जिस तरह घड़ी की सुई हमें समय बताती है, ठीक उसी तरह हमारे शरीर की घड़ी जैविक क्रियाओं के बारे में बताती है। इसे मेडिकल भाषा में बॉडी क्लॉक कहा जाता है। यह हॉर्मोन को बैलेंस, वजन को कम करने और सेक्स लाइफ को अच्छा बनाने में बहुत मददगार साबित होती है।
कैसे काम करती है बॉडी क्लॉक
बॉडी क्लॉक हमारे शरीर की 24 घंटे की लय को निर्धारित करती है। हमारे शरीर में हजारों जीन काम कर रहे होते हैं। प्रोटीन, ऐनजाइम, फैट, कार्बोहाइट्रेड और हॉर्मोन बनते, टूटते और घुलते हैं जिससे हमारी ग्रोथ, प्रजनन क्षमता, मेटाबॉलिज्म, याददाश्त समेत कई चीजों पर असर पड़ता है। शरीर में यह सब काम निर्धारित समय पर होते हैं।
सर गंगाराम हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर अंशु रोहतगी ने वुमन भास्कर को बताया कि हमारी बॉडी क्लॉक यानी सर्कैडियन रीदम की मास्टर क्लॉक सुप्राचैस्मेटिक न्यूक्लाई (SCN) होती है जो दिमाग में होती है। इसके अलावा हमारे लीवर, मांसपेशियों और अग्नाशय की कोशिकाओं के अंदर भी घड़ियां होती हैं जो मास्टर घड़ी SCN के साथ मिलकर काम करती है। अगर किसी एक कोशिका की लय बिगड़ती है तो शरीर का पूरा सिस्टम गड़बड़ा जाता है और इंसान बीमार पड़ जाता है।
सूरज की रोशनी के हिसाब से सेट करें बॉडी क्लॉक
हमारे बुजुर्ग हमेशा कहा करते थे कि सुबह सूरज उगने से पहले उठो। आयुर्वेद में भी यही कहा जाता है। दरअसल सूरज के हिसाब से ही ब्रह्मांड और पूरी दुनिया चल रही है। हमारा शरीर भी इसके आधार पर ही चलता है। हमारी आंखें शरीर की बॉडी क्लॉक के लिए सेंसर का काम करती हैं। सुबह और शाम को देखते ही आंखें सर्कैडियन क्लॉक को सही समय बताती है। इसे रोजाना रिसेट करना होता है। खासकर सूर्योदय और सूर्यास्त के आसपास यह शरीर में दोबारा स्थापित होती है। इसे रिसेट करने का सबसे अच्छा तरीका है सूरज उगने के बाद और ढलने से पहले 30 से 60 मिनट तक नेचुरल लाइट में रहना।
सेक्स लाइफ में नहीं आएगी दिक्कत
ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर रसेल फोस्टर ने अपने लेख में लिखा कि रात के समय कपल्स को बहस नहीं करनी चाहिए। पूरे दिन काम करने के बाद जब आप अपने पाटर्नर के साथ रात को टाइम बीता रहे होते हैं तो उनसे ऐसी बात करने से बचें जिससे आप दोनों में बहस हो जाए। मतभेद कोर्टिसोल और एड्रेनालाइन जैसे स्ट्रेस हॉर्मोन को बढ़ा देता है। इससे आपकी नींद प्रभावित होती है जिसका बुरा असर बॉडी क्लॉक पर होता है। इसलिए इस तरह की बातचीत दिन में करें और रात में सिर्फ पाटर्नर को समय दें। सेक्स करने से कोर्टिसोल हार्मोन कम होते हैं और आपको अच्छी नींद आती है।
ब्लू लाइट का गुड नाइट में दखल
कई लोग रात को सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। इसका इस्तेमाल हमारी नींद को डिस्टर्ब करता है। टीवी, लैपटॉप, आईपैड, मोबाइल जैसे तमाम डिवाइस से ब्लू लाइट निकलती है। यह हमारी मेंटल अलर्टनेस को बढ़ाता है जिससे नींद देरी से आती है और बॉडी क्लॉक बिगड़ जाती है।
शाम 4 से 6 बजे तक कैलोरी ज्यादा बर्न होती है
जितना आप एक्टिव रहते हैं, उतना आपके शरीर में जमा ग्लूकोज ऊर्जा में बदलता है। शाम को 4 से 6 बजे तक बॉडी का तापमान सबसे अधिक होता है। यह वक्त आपके मेटाबॉलिक रेट और मसल पावर को बढ़ाता है। अगर आप इस समय में एक्सरसाइज करते हैं तो कैलोरी ज्यादा बर्न होती है जिससे वजन तेजी से घटता है।
बीमारी का भी होता है पीक टाइम
हृदय रोग: सुबह के समय हार्ट अटैक ज्यादा होते हैं क्योंकि इस समय ब्लड प्रेशर हाई रहता है।
बुखार: एक स्टडी के मुताबिक शाम को बैक्टीरियल इंफेक्शन और सुबह वायरल इंफेक्शन के चांस रहते हैं।
जुकाम: सुबह 4 से 5 बजे के समय शरीर ठंडा रहता है, इससे जुकाम बढ़ जाता है, दोपहर में कम और शाम को दोबारा बढ़ जाता है।
अस्थमा: इस बीमारी के मरीज दिन के मुकाबले रात को ज्यादा परेशान रहते हैं क्योंकि इस समय फेफड़े ठीक से काम नहीं करते।
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