• Hindi News
  • Women
  • It Also Features Cross Culture Ka Ishq, Shekhar Kapur And Shabana Azmi In The Film.

इमरान की पूर्व पत्नी की फिल्म बैन करेगा पाकिस्तान?:इसमें क्रॉस-कल्चर का इश्क, शेखर कपूर और शबाना आजमी भी फिल्म में

नई दिल्ली2 महीने पहले
  • कॉपी लिंक

पाक के पूर्व पीएम इमरान खान की एक्स वाइफ जेमिमा खान की फिल्म ‘What’s Love Got to Do with it?’ इस समय पाकिस्तान में चर्चा का विषय बनी हुई है। जेमिमा की फिल्म वहां रिलीज होगी या नहीं, ये अब भी साफ नहीं है।

ये फिल्म 26 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया में रिलीज हो चुकी है और 27 जनवरी को ब्रिटेन में रिलीज होगी। पिछले साल सितंबर में टोरंटो फिल्म फेस्टिवल और अक्टूबर में रोम फिल्म फेस्टिवल में इसका प्रीमियर हो चुका है। जहां इसे बेस्ट कॉमेडी फिल्म का अवॉर्ड भी मिला।

जेमिमा की फिल्म का क्या है भारतीय कनेक्शन?

‘What’s Love Got to Do with it?’ फिल्म क्रॉस कल्चर पर आधारित ब्रिटिश रॉमकॉम (रोमांटिक-कॉमेडी) है। इस फिल्म को भारतीय फिल्ममेकर शेखर कपूर ने डायरेक्ट किया है। इसमें ब्रिटिश एक्टर्स के अलावा पाकिस्तानी और भारतीय एक्टर्स ने काम किया है। हिंदी सिनेमा की दिग्ग्ज एक्ट्रेस शबाना आजमी का भी फिल्म में महत्वपूर्ण रोल है। वहीं, जेमिमा ने इस फिल्म का स्क्रीनप्ले लिखा है।

इस फिल्म से शेखर कपूर ने डायरेक्शन में कम बैक किया है। फ़िल्म की कहानी में प्यार और शादी के दौरान दो अलग-अलग तहज़ीबों को लेकर टकराव को दर्शाया गया है।
इस फिल्म से शेखर कपूर ने डायरेक्शन में कम बैक किया है। फ़िल्म की कहानी में प्यार और शादी के दौरान दो अलग-अलग तहज़ीबों को लेकर टकराव को दर्शाया गया है।

खानादानी रईस हैं जेमिमा

जेमिमा मार्शल गोल्डस्मिथ ३० जनवरी १९७४ को इंग्लैंड में पैदा हुईं। जेमिमा अपने मां-बाप की सबसे बड़ी संतान हैं। उनकी मां लेडी एनाबेल गोल्डस्मिथ एक बड़ी एंगलो-आयरिश फैमिली से ताल्लुक रखती हैं। वहीं पिता सर जेम्स गोल्डस्मिथ लग्जरी होटल टायकून और पूर्व कंर्जवेटिव सांसद के बेटे हैं। जेमिमा ओरमेले लॉज में पली-बढ़ीं। पढ़ाई-लिखाई के लिए पहले ओल्ड विकरेज प्रिपरेटरी स्कूल, फिर फ्रांसिस हॉलैंड गर्ल्स स्कूल से पढ़ीं। १०-१७ साल की उम्र तक वो लंदन में घुड़सवारी किया करती थीं। साल १९९३ में अंग्रेजी की पढ़ाई के लिए उन्होंने ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। दो साल बाद उस वक्त के क्रिकेटर और अब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से शादी के बाद पढ़ाई छोड़ दी। २००२ में सेकेंड डिवीजन से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। फिर उन्होंने लंदन की यूनिवर्सिटी से इस्लाम के मॉर्डन ट्रेंड पर मास्टर्स किया। इमरान से शादी के बाद उन्होंने न सिर्फ अपना धर्म बदला बल्कि वो पाकिस्तान शिफ्ट हो गईं।

पत्रकार से स्क्रीनराइटर तक जेमिमा का सफर

जेमिमा ने बतौर जर्नलिस्ट, कॉलमलिस्ट और एडिटर ‘द संडे टाइम्स’, ‘द इंडिपेंडेंट’, ‘इवनिंग स्टैंटर्ड’, ‘संडे टेलीग्राफ’, ‘ब्रिटिश वोग’, ‘वैनिटी फेयर’, ‘न्यू स्टेट्समैन’ जैसे बड़े मीडिया संस्थानों के लिए काम किया। १९९८ में उन्होंने एक बड़ा फैशन लेबल लॉन्च किया। इसमें गरीब पाकिस्तानी महिलाएं वेस्टर्न कपड़ों पर हथकरघे का काम करती थीं। उस लेबल का मकसद पाकिस्तानी महिलाओं को रोजगार देना ही था। २०१५ में उन्होंने लंदन में इंस्टिंक्ट प्रोडक्शन खोला।

पाकिस्तान में पहले भी बैन हो चुकी हैं फिल्में

पाकिस्तान में चर्चित अवॉर्ड विनिंग और ऑस्कर नामित फिल्म ‘जॉयलैंड’ बैन हो चुकी। ये पहली बार नहीं है कि पड़ोसी देश ने किसी फिल्म को बैन किया हो। भारत की फिल्मों के अलावा वो अपने यहां की फिल्मों को भी खूब बैन करते हैं। आइए आपको बताते हैं उन पाकिस्तानी फिल्मों के बारे में, जिनका कंटेंट वहां की सरकार को पंसद नहीं आया।

1- भारत से अलग होने के 16 साल बाद यानी कि साल 1963 में पाकिस्तान में सेंसर बोर्ड बना। लेकिन फिल्में उसके पहले से वहां बैन होती थीं। साल 1979 में नियम और कड़े हो गए, जब जिया उल हक प्रधानमंत्री बने। 1959 में उर्दू के मशहूर कवि फैज़ अहमद फैज़ की लिखी फिल्म 'जागो हुआ सवेरा' को बैन किया गया। इस फिल्म में ईस्ट पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) के एक गरीब मछुआरे के गांव के संघर्ष को दिखाया गया था। यह फिल्म कभी भी बड़े पर्दे पर न आ सकी। उस वक्त सत्ता पर काबिज अयूब खान सरकार ने इस फिल्म को बैन कर दिया।

2- इसी साल 'करतार सिंह' नाम से एक फिल्म आई। इसमें 47 के बंटवारे के दौरान हिंदू, मुस्लिम और सिखों के बीच हुए दंगों को दिखाया गया था। इस फिल्म की कहानी असल घटना पर आधारित थी। फिल्म में सिख किरदार को हीरो के तौर पर दिखाने की वजह से सरकार ने इसे बैन कर दिया। हालांकि बाद में सेंसर बोर्ड ने फिल्म को रिलीज करने की मंजूरी दी और यह हिट भी हुई।

3- 1970 में बंगाली भाषा की पॉलिटिकल सटायर फिल्म 'जिबन थेके नेया' भी बैन फिल्मों की लिस्ट में शामिल है। फिल्म में पाकिस्तान में हुए बंगाली मूवमेंट को दिखाया गया था। फिल्म में प्रभावशाली महिला का किरदार पूर्वी पाकिस्तान में अयूब खान की तानशाही को रिप्रजेंट कर रहा था।

4- साल 1973 में 'इंसान और गधा' नाम से एक और पॉलिटिकल सटायर फिल्म आई। इस फिल्म में पाकिस्तान में रहने वालों की स्थिति को दिखाया गया था। फिल्म में जुल्फिकार भुट्टो के स्पीच देने की शैली का मजाक उड़ाया गया था। रिलीज होने के तुरंत बाद भुट्टो सरकार ने फिल्म को बैन कर दिया।

5- ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत की एक महिला की कहानी को दर्शाती फिल्म 'बेगम जान' को सिर्फ ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में रिलीज किया गया था। बाकी शहरों में इस फिल्म पर रोक थी। फिल्म की कहानी एक महिला के इर्द-गिर्द थी, जो घर-घर जाकर सामान बेचती है और शादी से बाहर बच्चे को जन्म देती है।

6- साल 1979 में रिलीज हुई पाकिस्तान की पहली फेमिनिस्ट फिल्म 'औरत राज' पर खूब बवाल हुआ। ये फिल्म वहां के मशहूर कॉमेडियन रंगीला ने डायरेक्ट की थी। पहले तो फिल्म रिलीज हो गई लेकिन बाद में पूरे देश में इसे बैन कर दिया गया। यह फिल्म भी पॉलिटिकल सटायर थी। इसमें जनरल जिया उल हक के शासन के दौरान महिलाओं के लेकर बदले माहौल का मजाक उड़ाया गया था। फिल्म में पाकिस्तानी महिलाओं को पैंट पहने दिखाया गया था और पुरुषों को एक कठपुतली की तरह। जो अपनी महिला शासक की हर बात को मानता है।