पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर में छापेमारी के दौरान 50 करोड़ रुपए से ज्यादा कैश बरामद हुआ है। ED ने पांच किलो से ज्यादा सोने-चांदी के गहने भी जब्त किए हैं। पहली बार नहीं है जब महिला नेता या सेलिब्रिटी के घर छापे में इतना कैश, सोना और लग्जरी सामान मिला हों।
इससे पहले तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के घर से कैश, सोने-चांदी के साथ 11 हजार से ज्यादा साड़ियां, फुटवीयर और महंगी घड़ियां भी बरामद हुई थीं। 26 साल से यह सभी सामान कर्नाटक हाई कोर्ट की हिरासत में हैं और अब सड़ने लगे हैं। मगर आजतक इनकी नीलामी नहीं हो सकी।
सुप्रीम कोर्ट के वकील से समझते हैं जब्त सामान का ED क्या करती है?
सवाल है ED या अन्य जांच एजेंसियों की रेड में बरामद कैश और सोने-चांदी तो सरकारी खजाने में जाते हैं मगर कपड़ों और बाकी लग्जरी सामानों का क्या होता है? सुप्रीम कोर्ट के वकील मनीष कुमार चौधरी ने बताया आखिर कपड़े-जूते जब्त करने के बाद सरकार उनका क्या करती हैं?
कोर्ट का फैसला आने तक मालखाने में ही रहते हैं कपड़े
एडवोकेट मनीष का कहना है कि ED के छापे के दौरान जितने भी सामान जब्त होते हैं सभी को सरकार के मालखाना या भंडारघर में जमा किया जाता है। ED प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 यानी PMLA 2002 के तहत यह कार्रवाई करती है।
जांच एजेंसी कोर्ट के सामने केस पेश करती है, जब्त संपत्ति पर अंतिम फैसला कोर्ट ही लेता है। जितने भी वर्ष कोर्ट में केस चलता है, उतने दिन सामान मालखाने में ही रहता है। फिर भले ही जब्त संपत्ति में कैश हो, सोना-चांदी हो, बाकी ज्वेलरी हो, कपड़े हो, जूते हो, हैंडबैग-घड़ियां या अन्य कोई लग्जरी आइटम हो उसकी नीलामी नहीं होगी।
भले सड़ जाए सामान, मगर कोर्ट के आदेश के बिना नहीं होगी नीलामी
एडवोकेट मनीष के मुताबिक कोर्ट के आदेश के बिना कुर्क की गई कोई भी संपत्ति और सामान न ही बेचा जाता है और न ही उसकी नीलामी होती है। अगर कोर्ट में केस 20 -30 वर्ष भी चलता है, तब भी सामान मालखाने में ही रहेगा और उसकी रखवाली होगी। इस बीच अगर कपड़े, जूते, घड़ियां या कार आदि चीजें खराब हो जाती हैं या उनकी कंडीशन थोड़ी खराब हो जाती है, तो उनकी कीमत गिर जाती है।
नीलामी से पहले उन सामान की जैसी स्थिति होगी उसी के अनुसार वैल्यूएशन होगी और फिर वह नीलाम होगा।
24 घंटे 4 पुलिसकर्मी करते हैं सोने की साड़ियों की सुरक्षा
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जे जयललिता के घर पर वर्ष 1997 में इनकम टैक्स विभाग ने रेड की थी। जिसमें 29 किलो सोना, 800 किलो चांदी, 11,344 साड़ियां जिसमें से 750 साड़ियां सिल्क और गोल्ड की हैं, 250 सॉल, 91 कीमती घड़ियाँ और 750 जोड़ी जूते-चप्पलें मिले थे। जयललिता पर आरोप थे कि उन्होंने ये संपत्ति बतौर मुख्यमंत्री 1991-96 के अपने पहले कार्यकाल में बनाई थी। उस समय रेड में मिली कुछ संपत्ति की कीमत 67 करोड़ रुपए आंकी गई थी। इस केस में जयललिता जेल भी गई थीं।
इनकम टैक्स विभाग ने साल 2002 में सारा सामान सरकार को सौंपा था। उस वक्त यह केस तमिलनाडु से कर्नाटक शिफ्ट हो गाया और अब बेंगलुरु की सिटी सिविल कोर्ट की पहली मंजिल पर मालखाने में रखा है। इस कमरे की निगरानी के लिए 24 घंटे 4 पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं।
26 साल से सड़ रहे कपड़े-चप्पल, सुप्रीम कोर्ट में अटका मामला, नीलामी की उठी मांग
मई 2015 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने जयललिता को केस से बाहर कर दिया था। कर्नाटक सरकार ने इस केस में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी। 5 दिसंबर 2016 को जयललिता का निधन हुआ। उनके निधन के बाद अवैध संपत्ति राष्ट्रीय धन बन गया था। मगर 26 साल से जयललिता का कीमती साड़ियों का कलेक्शन अभी भी मालखाने में सड़ रहा है, उसकी नीलामी नहीं हुई है।
बेंगलुरु के आरटीआई कार्यकर्ता एडवोकेट नरसिम्हामूर्ति ने मुख्य न्यायाधीश और कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की अचल संपत्ति की नीलामी की मांग उठाई। उन्होंने लिखा की जब्त की गई 27 संपत्तियों में से तीन - साड़ी, शॉल और जूते-चप्पल 26 वर्षों से अदालत की हिरासत में खराब हो रहे हैं। इसलिए इन सामानों की सार्वजनिक नीलामी कर जल्द निपटारा करना चाहिए। इसके लिए नरसिम्हामूर्ति ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अपील की है कि वह जल्द नीलामी के निर्देश दें।
आइए जानते हैं कपड़े, जूते- गहने कैसे नीलाम होते हैं?
ED जब्त की संपत्ति को अदालत में वैध नहीं ठहरा पाती है तो 180 दिन बाद संपत्ति खुद रिलीज हो जाती है, यानी वापस उसके मालिक से कब्जे में आ जाती है। अगर ED अदालत में सही साबित होती है तो संपत्ति पर सरकार का कब्जा हो जाता है। इसके बाद आरोपी को ईडी के कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट में अपील करने के लिए 45 दिन का समय मिलता है।
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