थाइरॉयड में आयोडीन का सेवन कब और कितना करना चाहिए ये एक बड़ा सवाल है। थाइरॉयड में डाइट कैसी होनी चाहिए इसे लेकर अगर कंफ्यूज रहते हैं तो डॉ आकिब गौरी बता रहे हैं कि थाइरॉयड कितने टाइप की होती हैं और इसमें क्या खाना सही है।
क्यों और कितने प्रकार का होता है थाइरॉयड
हमारे गले में ठीक नीचे थाइरॉयड ग्लैंड होती है, जिससे थ्योरिकसिन हार्मोन निकलता है और ब्लड के जरिए पूरे शरीर तक पहुंचता है। थाइरॉयड दो तरह के होती है, हाइपो थाइरॉय और हाइपर थाइरॉयड। हाइपो थाइरॉयड में वजन बढ़ता है। इसके अलावा गर्दन में सूजन, थकान , गुस्सा आना, स्किन ड्राई होना और ठंड लगना जैसी समस्याएं भी होती हैं। वहीं हाइपर थाइरॉयड में वजन घटता है, हार्ट बीट तेज होती है, कमजोरी, डिप्रेशन, बालों का झड़ना, ज्यादा पसीना आता है। हालांकि दोनों ही थाइरॉयड हमारी सेहत के लिए हानिकारक है। लेकिन दवाइयों के साथ-साथ सही डाइट लेने से इस बीमारी को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
क्या होता है हाइपोथाइरॉयड
हाइपोथाइरॉयड में थाइरॉयड ग्लैंड कम मात्रा में थ्योरिकसिन हार्मोन निकालती है। इस कारण मरीज को थाइरॉयड हार्मोन दिए जाते हैं। कोई हाइपो थाइरॉयडिज्म से पीड़ित है या नहीं, इसका पता टी3 और टी4 की कमी या फिर टीएसएच की वृद्धि से किया जा सकता है।
हाइपोथाइरॉयड है तो डाइट कैसी होनी चाहिए
हाइपोथाइरॉयड में आपको ऐसी डाइट लेनी चाहिए, जिसमें आयोडीन भरपूर मात्रा में मिल सके। अगर हो सके तो इसमें तो गेहूं के आटे की रोटी के बजाए बाजरे और ज्वार के आटे की रोटी खाएं। इसके अलावा पालक, गाजर जैसी सब्जियां आपकी हार्मोन्स को एक्टिव बनाने में मदद करती हैं। इसलिए कोशिश करें कि इन सब्जियों को कच्चे रूप में ही आप खा सकें, नहीं तो इनमें मौजूद पोषण खत्म हो जाएगा।
हाइपरथाइरॉयड है तो क्या खाएं
हाइपरथाइरॉयड में मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ जाती है। इसमें शरीर में टी3 और टी4 की मात्रा बढ़ जाती है जबकि टीएसएच की मात्रा कम हो जाती है। हाइपर थाइरॉयड से पीड़ित हैं तो हरे पत्तो वाली सब्जियां जैसी कि पालक टमाटर खा सकते हैं। इसके अलावा फल में केला, संतरा और ग्लूटेन फ्री डाइट खा सकते हैं। एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण वाले तुलसी, ओरिगानो, रोज मेरी जैसे हर्ब्स का भी सेवन करना चाहिए, जो हाइपर थाइरॉयड की समस्या से निजात दिलाने में मदद करता है।
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