दीपिका पादुकोण-रणवीर सिंह, आलिया भट्ट-रणबीर कपूर और सिद्धार्थ मल्होत्रा-कियारा आडवाणी समेत कई सेलिब्रिटीज ने दिन में शादी की और गोल्डन ऑवर में तस्वीरें खिंचवाईं। जबकि पहले शादियां रात में होती थीं। लेकिन अब अच्छी फोटोज की खातिर यंग कल्पस के बीच यही ट्रेंड चल पड़ा है। कपल्स मेंहदी की रस्म और शादी दिन में कर रहे हैं। बैचलर्स पार्टी जैसे इवेंट रात में होते हैं।
सेलिब्रिटीज की देखादेखी हर लड़का और लड़की अपनी जिंदगी में एक दिन तो हीरो-हीरोइन का रोल निभाते हैं। वो दिन होता है उनकी शादी का। सेलिब्रिटी जैसी फीलिंग शादी के हफ्ता भर पहले से ही शुरू हो जाती है। मेहमान पैपराजी बन मोबाइल कैमरा के साथ दूल्हा-दुल्हन के पीछे घूमते हैं।
ऐसे ही शादी के नशे में डूबे दिल्ली के कुणाल और रचना (बदला हुआ नाम) अपनी वेडिंग की प्लानिंग में जुटे दोनों के लिए वेडिंग फोटोग्राफी टॉप पर थी। अपनी शादी के इस सपने को लेकर दोनों फोटोग्राफर से मिलने पहुंचे।
कुणाल-रचना: हमें रॉयल वेडिंग चाहिए। वेन्यू जैसलमेर का महल है। दूल्हा हाथी पर आएगा। दुल्हन दीपिका, आलिया और कैटरीना की जैसी लगे और महल की छत पर दूल्हे का इंतजार करती दिखे।
फोटोग्राफर: हां, इस शॉट में ड्रोन कैमरे की जरूरत होगी। सीन देखने में ऐसा लगेगा कि दूर रेगिस्तान से राजा हाथी पर बैठकर अपनी रानी को लेने आ रहा है।
कुणाल-रचना: हां, हमें यही चाहिए। इसमें कितना खर्चा आएगा?
फोटोग्राफर: शॉट कैसे शूट होता है, खर्चा इस पर निर्भर करता है। हर ड्रोन कैमरे की रेंज अलग-अलग होती है। 10 किलोमीटर का एरिया हो या 50 किलोमीटर, फोटोग्राफी में जितना एरिया कवर होता है, उस हिसाब से कीमत तय होती है। कैमरे की क्वॉलिटी का भी कीमतों पर असर पड़ता है। लेकिन शॉट रियल और आपकी शादी को यादगार बनाने वाले होंगे।
इस बातचीत से पता चलता है कि वेडिंग फोटोग्राफी जिसकी शुरुआत 1840 से शुरू हुई थी, आज करीब 180 साल बाद कितनी बदल चुकी है।
हमारी सोसायटी में कहा जाता है कि शादी जिंदगी में एक ही बार होती है। तो इस वन टाइम इवेंट को ग्रैंड बनाने के लिए कपल्स कोई कसर नहीं छोड़ते। वैसे भी इंडिया में शादी एक उत्सव की तरह है तभी तो इसे ‘फैट इंडियन वेडिंग’ कहा जाता है। शादी में हर तबका खुलकर खर्च करता है क्योंकि समाज में अपनी साख दिखाने और शानो-शौकत से भरी यादों को कैद करने का यही एक मौका होता है।
इस पॉइंट पर फोटोग्राफर की एंट्री होती है, जो रस्मों के हर पल को लेंस में समेटने की कला जानता है। दूल्हा-दुल्हन को किसने गले लगाया, दुल्हन को चढ़ाई गई ज्वेलरी, दूल्हे के हाथों में दुल्हन का हाथ, एक दूसरे को मीठा खिलाते, फूलों की लड़ियों के बीच से मुस्कुराता चेहरा, वेन्यू के डेकोरेशन की तस्वीर …हर पल को कैप्चर करने की कीमत तय होती है।
जमाना बदला, टेक्नोलॉजी बदली। हर हाथ में कैमरा आया लेकिन वेडिंग फोटोग्राफर्स का काम बढ़ता गया। आज डिजिटल कैमरे से हजारों फोटो क्लिक होकर मेमोरी कार्ड में सेव हो जाती हैं। फोटोग्राफर्स तुरंत क्लांइट को फोटोज दिखा देते हैं जिससे हाथों हाथ फोटो सिलेक्ट हो जाती हैं।
आज न रोल खराब होने की चिंता और न आउट ऑफ फोकस फोटो आने का डर सताता है लेकिन यह जानना जरूरी है कि टेक्नोलॉजी ने वेडिंग फोटोग्राफी के ट्रेंड को क्या नया दिया है।
आगे बढ़ने से पहले जानिए वेडिंग फोटोग्राफी का इतिहास:
गोल्डन ऑवर में वेडिंग फोटोग्राफी
वेडिंग फोटोग्राफर रीतिका सैनी कहती हैं कि क्या आपको पता है कि सभी सेलिब्रिटीज की वेडिंग डे लाइट में होती हैं और फोटोग्राफी गोल्डन ऑवर में की जाती है क्योंकि इसे वेडिंग शूट के लिए बेस्ट टाइम माना जाता है। इसीलिए इसे गोल्डन ऑवर कहते हैं। गोल्डन ऑवर यानी सूरज ढलने से ठीक पहले का समय।
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रात की शादी में पिंक और ब्लू लाइट नहीं हो
पिछले 8 साल से वेडिंग शूट कर रहे फोटोग्राफर सुमित गुलाटी के अनुसार पुराने जमाने में हैलोजन लाइट चलती थीं। दुल्हा-दुल्हन के साइड में छतरीनुमा लाइट पकड़कर एक लड़का हमेशा दौड़ता नजर आता लेकिन अब कई तरह की लाइट्स आ चुकी हैं जैसे रॉ ऑन कैमरा फ्लैश, लाइट स्टिक्स, रिमोट स्ट्रोब्स, ऑन कैमरा बाउंस फ्लैश और एम्बिएंट लाइट। कैमरे भी नई टेक्नोलॉजी के आ चुके हैं जो ‘लो लाइट’ या ‘नो लाइट’ पर शूट करते हैं और इन तस्वीरों की खूबसूरती भी अलग होती है।
लेकिन एक फोटोग्राफर को सबसे ज्यादा दिक्कत तब आती है जब वेडिंग वेन्यू पर पिंक या ब्लू लाइट हो। वेडिंग शूट के दौरान हमेशा वाइट या येलो लाइट होनी चाहिए।
दरअसल फोटोग्राफर 2 मोड में पिक्चर क्लिक कर सकते हैं। रॉ और नॉर्मल।
अगर नॉर्मल मोड पर फोटोज क्लिक की जाएं तो बाद में एडिटिंग के दौरान कलर करेक्शन नहीं हो सकता है। रॉ मोड में कलर करेक्शन होते हैं।
लेकिन अगर वेन्यू में ही पिंक या ब्लू लाइट हो और वह लोगों के चेहरे पर पड़ रही हो तो सबके चेहरे पर ये रंग झलकते हैं और फोटोज भले ही रॉ मोड में शूट की गई हों लेकिन ये रंग कलर करेक्शन से भी हट नहीं पाता। पिंक लाइट के साथ यह दिक्कत सबसे ज्यादा है।
शादी में सोशल मीडिया का दखल
शादी में सोशल मीडिया का दखल भी बढ़ गया। आजकल जो गेस्ट शादी में किसी कारण नहीं पहुंच पाते, वो सोशल मीडिया के जरिए पूरी शादी देख सकते हैं। संदीप कहते हैं कि यह ट्रेंड कोरोना के दौर में शुरू हुआ। अब ज्यादातर वेडिंग फोटोग्राफर्स के यूट्यूब चैनल हैं। इसी के जरिए पूरी शादी यूट्यूब के जरिए लाइव स्ट्रीम होती है। इसके लिए दुल्हा-दुल्हन की फैमिली को लिंक दे दिए जाते हैं। इन लिंक्स को ई-वेडिंग कार्ड या अपने गेस्ट को वॉट्सऐप पर भेजा जाता है।
वहीं, सुमित यह भी बताते हैं कि आजकल कपल्स को रील्स बनवाने का बहुत शौक है। उनकी प्री-वेडिंग से लेकर शादी तक के हर इवेंट की वीडियो से अलग रील्स भी बन रही होती हैं। इस काम के लिए फोटोग्राफर की एक अलग टीम होती है।
वेडिंग फोटोग्राफी से पहले कई चीजों पर गौर करना चाहिए। ग्राफिक्स देखिए:
हर शॉट होता है एक-दूसरे से जुदा
शादी की तस्वीरों को कैमरे के लेंस बहुत खूबसूरत बना देते हैं। इसमें अहम रोल निभाते हैं ‘शॉट’। हर शॉट शादी की रस्मों, रिश्तों, इमोशंस की कहानी कहता है।
जैसे दुल्हन का मेकअप, विदाई के दौरान उसके एक्सप्रेशन और इमोशन क्लोजअप में लिए जाते हैं। इन शॉट्स में चेहरे पर फोकस होता है। इसमें 300 एमएम के लेंस का इस्तेमाल होता है।
लॉन्ग शॉट में स्टेज फोटोग्राफी होती है। ड्रोन शॉट में पूरे सीन को दिखाया जाता है। यह ‘एस्टेब्लिश शॉट’ होता है। इसमें ड्रोन से वेन्यू का शॉट, बारात आने का या आसमान में आतिशबाजियों के शॉट कैप्चर किए जाते हैं।
कैंडिड फोटोग्राफी की डिमांड
रीतिका कहती हैं कि आजकल लोगों को नेचुरल फोटोग्राफी ज्यादा पसंद आ रही है इसलिए वह कैंडिड फोटोग्राफी की डिमांड करते हैं जिसमें वे चाहते हैं कि उनके असली इमोशंस को फोटोग्राफर कैप्चर करे। ये एक ऐसी आर्ट है कि फोटोग्राफर को पिक्चर की टाइमिंग समझ में आनी चाहिए।
अगर फोटोग्राफर सही टाइम पर सही पल को कैप्चर करना सीख लिया तो फोटोग्राफर की प्रोफेशनल फीस अपने आप बढ़ जाती है। कैंडिड फोटोग्राफी पूरी तरह टाइमिंग और फोटोग्राफर के टैलेंट पर निर्भर करती है।
आज लोग फोटोग्राफर के इंस्ट्रक्शन सुनना पसंद नहीं करते और अगर फोटोग्राफर पोज बताने लगते हैं तो वह कॉन्शियस हो जाते हैं जो फोटोज में भी झलकता है। इसलिए वो पल चुनने पड़ते हैं जब चेहरा सहज लगे जैसे- आपस में बात करना, नेचुरल इमोशंस का चेहरे पर झलकना, आंखों से शर्माना, हल्के मुस्कुराना, तिरछी नजर से देखना या खाने-खिलाने के अलग-अलग पोज।
कपल्स की फोटोग्राफर्स से डिमांड
कपल्स फोटोग्राफर को अपनी वेडिंग फोटोग्राफी के लिए गाइडलाइंस देते हैं। उन्हें फ्रेम में क्या चाहिए, बैंकग्राउंड कैसा हो, चेहरे का कौन सा एंगल हो, किस बॉडी पार्ट पर फोकस किया जाए और कैसी ड्रेसेज होनी चाहिए। रीतिका बताती हैं कि क्लाइंट्स की जैसी डिमांड होती है, वेडिंग फोटोग्राफी के दाम इसी पर निर्भर करते हैं। आजकल 10 हजार में भी शूट हो रहा है और लोग 15 लाख भी वेडिंग फोटोग्राफी में खर्च कर रहे हैं।
मेकअप से लेकर कॉस्ट्यूम तक में ली जाती है फोटोग्राफर राय
दूल्हा-दुल्हन के साथ पूरे इवेंट में एक-एक फोटोग्राफर मौजूद रहता है। खासकर दुल्हन के साथ। इसे ‘गेट रेडी’ शूट कहा जाता है। जब वह ब्यूटी सैलून में मेकअप करवा रही होती हैं, तब हर मोमेंट को फोटोग्राफर कैप्चर कर रहा होता है। यही नहीं, दुल्हन मेकअप के बारे में और कॉस्टयूम के बारे में बार-बार फोटोग्राफर से सलाह लेती हैं।
रीतिका कहती हैं कि आजकल सेलिब्रिटीज की तरह दुल्हनों के बीच लाइट मेकअप और पेस्टल शेड्स के लहंगे ट्रेंड में हैं। वैसे तो फोटोग्राफी के लिहाज से ये रंग ठीक नहीं माने जाते। लेकिन दिन की शादी में इस रंग का लहंगा फोटो में अच्छा लगता है।
रात की शादी हो तो फोटोग्राफर को प्लेन और लाइट बैकग्राउंड के साथ फोटोशूट करना पड़ता है। लेकिन इसके बाद भी हूबहू ड्रेस और मेकअप का वो ग्रेस ठीक से कैप्चर नहीं होता, जो डे वेडिंग में होता है। बेहतर होगा, अगर दुल्हन नाइट वेडिंग के लिए ब्राइट शेड का लहंगा चुने।
आगे बढ़ने से पहले ग्राफिक्स से जानिए वेडिंग फोटोशूट के रेट:
6-8 फोटोग्राफरों की टीम करती है शादी को शूट
आजकल शादियां ग्रैंड बन चुकी हैं। 5 दिन तक रस्में चलती हैं और हर मौके पर फोटोग्राफर मौजूद रहते हैं। मेहमानों की लिस्ट कितनी लंबी है, इससे तय होता है कि फोटोग्राफर की टीम कितनी बड़ी होगी। आज एक शादी में कम से कम 5 से ज्यादा कैमरे चाहिए होते हैं। यह सब शादी के बजट पर निर्भर करता है। अब 2 फोटोग्राफर कैंडिड शूट, 2 ड्रोन शॉट, 1 वीडियोग्राफर, 1 सब मेहमानों को नॉर्मल शूट करता है, 2 दूल्हा-दुल्हन के साथ रहते हैं। एक सामान्य शादी में भी अब 6-8 फोटोग्राफरों की टीम रहती है।
यश चोपड़ा की फिल्मों की तरह प्री-वेडिंग शूट की लोकेशन
प्री-वेडिंग शूट का ट्रेंड भी बहुत है। कपल्स इस शूट के जरिए अपनी कहानी बताना चाहते हैं कि कब, कहां और कैसे मिले। प्यार की शुरुआत कब हुई, किसने किस तरह प्रोपोज किया। जिसका वीडियो अक्सर सगाई या बैचलर्स पार्टी में दिखाया जाता है।
कुछ कपल्स के लिए कुछ गाने बहुत यादगार होते हैं इसलिए वे उसी गाने पर प्री-वेडिंग शूट करना चाहते हैं। नए रिश्ते में जुड़ने जा रहे दूल्हा-दुल्हन पहाड़ों से लेकर समुद्र तक में शूट करने से नहीं कतराते।
फोटोग्राफर रीतिका सैनी ने बताया कि लड़कियों को यश चोपड़ा की फिल्मों जैसे शूट चाहिए। वे बर्फ के बीच शिफॉन की साड़ी में डांस करना चाहती हैं। अपने पार्टनर को शाहरुख खान की तरह देखना चाहती हैं। अक्सर दुल्हन डिमांड करती हैं कि वीडियो या एक फोटो ऐसी हो जहां उनका होने वाला हस्बैंड घुटनों पर बैठकर हाथ में फूल लेकर उन्हें प्रपोज करे, क्योंकि उन्हें अपना होने वाला हस्बैंड हीरो लगता है। प्री वेडिंग शूट में 2 से 3 दिन लगते हैं।
फोटोग्राफर संदीप सैनी ने बताया कि प्री-वेडिंग शूट के लिए दुबई, बाली, मॉरिशस, मालदीव्स, अंडमान-निकोबार, लद्दाख, केरल, गोवा और जैसलमेर पॉपुलर डेस्टिनेशन बन गए हैं।
उनका कहना है कि जब प्री वेडिंग शूट इन लोकेशन पर हो रहे हैं तो वेडिंग शूट की बात तो और भी बढ़कर होती है।
हल्दी, मेहंदी और शादी पर लगते हैं दुल्हा-दुल्हन के कटआउट पोस्टर
संदीप कहते हैं कि आजकल कपल्स शादी में खूब एक्सपेरिमेंट करते हैं और सबसे अलग दिखने की चाहत में नए-नए आइडिया सोचते हैं। वे चाहते हैं कि अपनी शादी के हर फंक्शन में वे किसी सेलिब्रिटी से कम न लगें और लोग उनकी शादी को हमेशा याद रखें। हर फंक्शन में कटआउट पोस्टर में दिखने वाले दूल्हा-दुल्हन प्री-वेडिंग फोटोग्राफी की ही देन होते हैं। एक कटआउट पोस्ट की कीमत 1500 रुपए से शुरू होती है।
अगर आप वेडिंग फोटोग्राफी में लाखों रुपए खर्च नहीं करना चाहते तो ये टिप्स अपनाएं:
प्री-वेडिंग शूट से बनाते हैं ई-वेडिंग कार्ड
हर कपल आज प्री-वेडिंग शूट जरूर कराना चाहता है। ऐसे में इस शूट के क्लिप ई-वेडिंग कार्ड बनाने के लिए भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
फोटोग्राफर संदीप सैनी ने बताया कि ई-वेडिंग कार्ड वीडियो फॉर्मेट में होते हैं। इसमें वीडियो के नीचे नाम और शादी की डिटेल चलती रहती है। इनकी कीमत 25 हजार रुपए से शुरू होती है।
इसके अलावा आजकल 2 D एनिमेशन कार्ड खूब चल रहे हैं। इसमें दूल्हा-दुल्हन के चेहरे का कार्टून बनाया जाता है। फिर इसमें मूवमेंट जोड़े जाते हैं। इसे बनाने में 1 हफ्ता लग जाता है। अगर 30 सेकंड की क्लिप है तो उसके 2500 रुपए लगते हैं। अगर 1 मिनट की क्लिप है 3500 रुपए लगते हैं।
10000 रुपए से 50 हजार रुपए तक की शादी की एल्बम
फोटोग्राफर सुमित गुलाटी कहते हैं कि शादी बजट का खेल है। जैसा क्लाइंट का बजट होता है, वैसे ही फोटोग्राफी होती है। शादी की एल्बम भी इसी बजट पर निर्भर करती है। यह 10000 रुपए से 50 हजार रुपए तक की बन सकती है। दरअसल फोटोग्राफर एल्बम में फोटो की संख्या के हिसाब से ही पूरी वेडिंग को चार्ज करता है।
सबसे सस्ती एल्बम ठीक वैसी होती है जैसे पुराने जमाने में बनती थी।
अब क्लाइंट्स की डिमांड पर वेल्वेट, शाइनिंग, मैट, थिक, थिन लीफलेट पेपर पर भी शादी की एल्बम बन रही है। पेपर की भी 500 से ज्यादा वैरायटी है जिनमें तस्वीर की गारंटी 50 से 100 साल तक खराब नहीं होने की गारंटी दी जाती है।
वहीं, संदीप बताते हैं कि अब क्लाइंट्स को सिंपल एल्बम नहीं चाहिए। आजकल कॉफी टेबल एल्बम का दौर है। इसका साइज 12x12 इंच या 14x10 इंच का होता है और फोटोज पेज पर प्रिंट होती हैं।
इसके अलावा फोटोबुक और मैगजीन भी चल रही है। इसमें मैट पेपर पर फोटोज छपी होती हैं।
शादी जिंदगी का सबसे खास पल होता है और वेडिंग मोमेंट्स कभी न भुलाए जाने वाली अनमोल यादें होती हैं। इसलिए इन पलों को खूबसूरत बनाने के लिए पहले से प्लानिंग करें और कुदरत की बनाई नैचुरल लाइट में शूट करवाएं ताकि फोटो में तो निखार दिखे ही, साथ में ‘वेडिंग वाइब्स’ भी नैचुरल और ओरिजनल कलर्स के साथ कैमरे में कैप्चर हों।
ग्रैफिक्स: सत्यम परिडा
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