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14 साल की लड़की बोली-सहमति से बनाए संबंध:लड़के पर पॉक्सो केस, आपस में उलझते देश के 9 कानून

11 दिन पहलेलेखक: मनीष तिवारी
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दिल्ली में 2017 में एक व्यक्ति ने अपनी 14 साल की बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसके बाद लड़की खुद पुलिस के पास पहुंच गई। उसने बताया कि वह एक लड़के से प्यार करती है और अपनी मर्जी से उसके साथ रह रही है। लड़की का कहना था कि वे दोनों शादी करना चाहते हैं और कई बार उनके बीच फिजिकल रिलेशन भी बन चुके हैं।

इतना सुनते ही पुलिस ने आरोपी पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया। मामला अदालत पहुंचा तो ट्रायल कोर्ट ने यह कहकर आरोपी को छोड़ दिया कि दोनों के बीच रिश्ते सहमति से बने थे। इस फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस हाईकोर्ट पहुंची।

अब हाईकोर्ट ने इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत लड़के पर आरोप तो तय कर दिए। लेकिन यह मजबूरी भी जताई कि प्रेम में पड़े नाबालिग लड़के-लड़कियों के घर से भागने, एकसाथ रहने और सहमति से संबंध बनाने के मामलों को अलग तरह से निपटाया जाना चाहिए, लेकिन पॉक्सो एक्ट के कारण बंधे कोर्ट के हाथ बंधे हैं।

नाबालिगों के बीच सहमति से बने रिश्ते में पॉक्सो के तहत कार्रवाई पर पहले भी चीफ जस्टिस से लेकर देश की कई अदालतें चिंता जता चुकी हैं।

चाइल्ड राइट्स एक्सपर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में एडवोकेट मुकेश चौधरी कहते हैं कि ऐसे मुद्दे कई कानूनों के बीच उलझे पड़े हैं। सेक्शुअल रिलेशन बनाने और शादी की उम्र से लेकर रेप जैसे गंभीर मामले पर इन कानूनों में आपसी तालमेल नहीं है।

आपस में उलझते ये 9 कानून

1- पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंस) एक्ट

इसके मुताबिक 18 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियां नाबालिग हैं और उनसे सेक्शुअल रिलेशन बनाना अपराध है, फिर भले ही उन्होंने आपसी सहमति से संबंध क्यों न बनाए हों।

2- एज ऑफ कंसेंट

इंडियन पीनल कोड के तहत शारीरिक संबंध बनाने की सहमति देने के लिए कानूनी तौर पर तय उम्र 18 साल है। इससे कम उम्र की लड़की से संबंध बनाना रेप है, भले ही संबंध बनाने में लड़की की सहमति हो।

3- बाल विवाह निषेध अधिनियम

जब तक लड़के की उम्र 21 साल (21 पूरा होने और 22वां साल लगने) और लड़की की उम्र 18 साल पूरे न हो जाए (18 पूरा होने और 19वां साल लगने), तब तक कानून की नजर में उन्हें बच्चा ही माना जाएगा।

4- IPC की धारा 375 का अपवाद-2

IPC की धारा 375 रेप से संबंधित है। इस सेक्शन के अपवाद-2 के मुताबिक 15 साल से अधिक उम्र की पत्नी से संबंध बनाना रेप नहीं है।

5- हिंदू मैरिज एक्ट, क्रिश्चियन मैरिज एक्ट और पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट

इन कानूनों के तहत लड़का 21 साल पूरे करने और लड़की 18 साल पूरे करने पर ही शादी कर सकते हैं, इससे पहले नहीं।

6- स्पेशल मैरिज एक्ट

अलग-अलग धर्म के कपल को शादी के लिए लड़के का 21 और लड़की को 18 साल का होना जरूरी है। लेकिन, पहले से शादीशुदा कपल इस एक्ट के तहत मैरिज रजिस्ट्रेशन कराना चाहें तो लड़के के साथ लड़की भी 21 साल की होनी चाहिए।

7- मुस्लिम पर्सनल लॉ

इस कानून में लड़के-लड़की की उम्र साफ नहीं है। लेकिन प्यूबर्टी हासिल करने यानी पीरियड्स शुरू होने के बाद 14-15 साल की उम्र में लड़की की शादी हो सकती है।

8- जुवेनाइल जस्टिस एक्ट

इस कानून के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के बच्चे नाबालिग हैं। लेकिन, बेहद गंभीर अपराध करने वाले 16 से 18 साल तक के किशोर को बालिग भी माना जा सकता है।

9- बाल विवाह निषेध (संशोधन) बिल, 2021

सभी धर्मों की लड़कियों के लिए शादी की उम्र 18 से 21 साल करने के लिए सरकार ने 2021 में यह बिल लोकसभा में पेश किया। फिलहाल यह बिल संसद की स्थायी समिति के पास है।

ये कानून कभी एक-दूसरे को काटते, कहीं मामला उलझाते और कहीं राहत की वजह बनते हैं।

एक कानून में 15 की उम्र में शादी जायज, दो कानूनों में ये अपराध

शरीयत कानून के तहत प्यूबर्टी हासिल करने यानी लगभग 14-15 की उम्र में लड़की की शादी की जा सकती है और पति संबंध भी बना सकता है। हालांकि इस उम्र में किसी और धर्म में शादी करना पॉक्सो एक्ट और बाल विवाह निषेध अधिनियम का उल्लंघन है।

रेप के कानून में ही झोल: पॉक्सो और बाल विवाह निषेध का भी उल्लंघन

IPC के सेक्शन 375 के मुताबिक 18 साल से कम उम्र की लड़की से संबंध बनाना रेप है। लेकिन, 375 के अपवाद-2 के मुताबिक 15 साल से अधिक उम्र की पत्नी से संबंध बनाना रेप नहीं है। जबकि यह पॉक्सो एक्ट और बाल विवाह निषेध अधिनियम का उल्लंघन है।

‘सेक्शन 375 के अपवाद’ पर सुप्रीम कोर्ट भी स्पष्ट नहीं

सुप्रीम कोर्ट भी धारा 375 के अपवाद पर अलग-अलग फैसले दे चुका है। 2017 में कोर्ट ने कहा कि 18 साल से कम उम्र की पत्नी से संबंध बनाना रेप माना जाएगा।

मगर दूसरे केस में केरल हाईकोर्ट ने नाबालिग पत्नी से संबंध बनाने वाले पति को सजा सुनाई, तो इसी केस में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 375 के अपवाद के आधार पर यह कहा कि जब पति-पत्नी के बीच संबंध बने, पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा थी। इसलिए पति को बरी कर दिया गया।

भारत में बच्चे की कानूनी उम्र कहीं 18 तो कहीं 21 साल

  • बाल विवाह निषेध अधिनियम में 21 साल तक के लड़के और 18 साल तक की लड़की को नाबालिग कहा गया है।
  • पॉक्सो एक्ट में 18 साल तक सभी नागरिक बच्चे हैं।
  • जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत गंभीर अपराध करने वाले 16 से 18 साल के किशोरों को भी वयस्क माना जा सकता है।

किशोरों में राेमांटिक रिलेशनशिप को पॉक्सो एक्ट में लाने पर चिंतित सीजेआई

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ भी टीनेएजर्स के बीच सहमति से बने रोमांटिक रिश्तों को ‘पॉक्सो एक्ट’ के दायरे में शामिल करने पर चिंता जता चुके हैं। उनसे पहले दिल्ली हाईकोर्ट, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट समेत पूर्व जज सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र घटाकर 16 साल करने पर विचार करने का सुझाव दे चुके हैं।

अदालतें कानून में संशोधन के लिए जो सुझाव दे रही हैं, उसकी वजह जानने के लिए पढ़ें यह ग्रैफिक्स…

'प्यार के नाम पर सेक्शुअली एब्यूज करने वालों की नीयत को नहीं कर सकते इग्नोर'

चाइल्ड एक्टिविस्ट मुकेश चौधरी कहते हैं कि प्यार करना अपराध नहीं है। लेकिन, वयस्क होने से पहले संबंध बनाना कानून की नजर में क्राइम है। अगर कानून में छूट दी गई, तो बच्चा बाहर से या तो खुद विक्टिम बनकर आएगा या फिर किसी को विक्टिम बनाकर आएगा। दोनों हालात में आखिर में नुकसान तो बच्चों का ही होगा। उनका कहना है कि कानूनों में सुधार से पहले प्यार के नाम पर सेक्शुअली एब्यूज करने वाले की नीयत को इग्नोर नहीं करना चाहिए।

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कई कानूनों के बावजूद देशभर में बाल विवाह हो रहे हैं और बालिग होने से पहले ही किशोरों के बीच संबंध बन रहे हैं...

यह इन कानूनों का ही पेंच है कि हाल ही में असम में कई पति अपने ही घर में रेपिस्ट बन गए और कानून से छिपते फिर रहे हैं।

असम में नाबालिग लड़कियों के पति-पार्टनर बन गए रेपिस्ट

असम में फरवरी 2023 में बाल विवाह के आरोप में 4000 से ज्यादा एफआईआर दर्ज कर 3000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इन मामलों में ‘चाइल्ड मैरिज कानून’ के साथ ही ‘पॉक्सो एक्ट’ के तहत भी कार्रवाई हुई। नाबालिग लड़कियों के पति और पार्टनर सेक्शुअल एब्यूज और रेप के आरोपी बन गए।

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इंटरनेट के लिए बने कड़ा कानून, AI से हो निगरानी

चाइल्ड राइट्स के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता अर्चना अग्निहोत्री कहती हैं कि चीफ जस्टिस के सुझावों को एकदम से नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन, बच्चों को ऐसे हालात से बचाने के लिए उन्हें अवेयर करना जरूरी है। इंटरनेट से लेकर फिल्मों तक एडल्ट कॉन्टेंट की भरमार है। बच्चे ऐसा कॉन्टेंट देखेंगे तो उनकी जिज्ञासा बढ़ेगी। जिस तरह से पब्लिक प्लेस पर अश्लीलता फैलाना अपराध है, वैसा ही कानून वर्चुअल वर्ल्ड के लिए भी बनाया जाए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से इसकी पड़ताल की जाए और दोषियों पर एक्शन लिया जाए।

जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में गंभीर अपराधों के लिए माना जा सकता है कि नाबालिग आरोपी के पास अपराध और उसके अंजाम के बारे में सोचने-समझने की क्षमता थी। ऐसी स्थिति में सजा देने के लिए उसके साथ वयस्क अपराधियों जैसा सलूक किया जा सकता है। लेकिन, दूसरी तरफ कानून और समाज यह मानने को तैयार नहीं कि नाबालिग को भी प्यार हो सकता है और वह वयस्कों जैसी समझदारी दिखा सकता है। प्रेम और अपराध के मामले में कानून और समाज का नजरिया आपस में टकराता और दोहरे रवैये जैसा दिखाई देता है।

ग्रैफिक्स: सत्यम परिडा

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