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कोई गलत तरीके से छुआ तो रखने लगा पैपर स्प्रे:यौन उत्पीड़न से बचने के लिए लड़कों का औजार बना पैपर स्प्रे और डियो

नई दिल्ली16 दिन पहलेलेखक: संजय सिन्हा
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मुंबई में एक बार ऑफिस से लौटते वक्त एक व्यक्ति ने मुझसे लिफ्ट मांगी। मुझे लगा इस एरिया में ऑटो कम मिलते हैं। मैंने उसे बाइक पर बिठा लिया। रास्ते में वह मुझे गलत तरीके से टच करने लगा। पहले मैंने उसे टोका, वह फिर भी नहीं माना। मैंने बाइक रोकी और उसे वहीं उतार दिया।

एक-दो दिनों के बाद वो मुझे एक पार्टी में भी मिल गया। उसने मुझे फिर से टच करने की कोशिश की। मुझे समझ में आ गया कि यह मेरा पीछा कर रहा है। मैंने उसे समझाया कि मैं ‘गे’ नहीं हूं। बड़ी मुश्किल से बाद में उससे पीछा छुड़ाया।

इस घटना से मैं इतना डर गया कि सुरक्षा के लिए पैपर स्प्रे रखना शुरू कर दिया। मेरे कई दोस्त भी पैपर स्प्रे रखते हैं। मुंबई के रहने वाले आशुतोष (नाम बदला हुआ) ने अपनी पहचान न जाहिर करने की शर्त पर हमसे ये घटना शेयर की।

पैपर स्प्रे का इस्तेमाल संसद में भी हो चुका है, जब एक सांसद ने सेल्फ डिफेंस के लिए इसे हथियार बनाया।

बात 2014 की है, जब कांग्रेस के सांसद एल राजागोपाल संसद में तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग करने के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे थे। राजागोपाल को जब रोका गया तो उन्होंने पैपर स्प्रे का इस्तेमाल किया। जिसकी वजह से कई सासंदों ने आंखों में जलन की शिकायत की थी। बाद में राजगोपाल ने कहा कि उन्होंने सेल्फ डिफेंस में ऐसा किया।

ये घटनाएं पुरुषों द्वारा पैपर स्प्रे रखने और इस्तेमाल की जरूरत बताती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मैन बैग अलार्म, सर्वावइवल ब्रेसलेट और टेक्टिकल पेन भी इसी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।

पुरुषों में भी पैपर स्प्रे रखने के बढ़ते ट्रेंड पर विस्तार से जानने से पहले इस पोल पर अपनी राय साझा करते चलिए।

पुरुषों में भी होता है यौन शोषण का खौफ

सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकेट्री की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संघमित्रा गोडी बताती हैं कि सेक्शुअल हैरासमेंट के शिकार पुरुषों को लगता है कि अगर वो किसी को अपने साथ हुई ज्यादती के बारे में बताते हैं तो कोई इसे गंभीरता से नहीं लेगा। लोग उन्हें ही दोषी ठहराएंगे। ये एक तरह का निगेटिव जेंडर स्टीरियोटाइप है। जबकि लड़कों को भी पैपर स्प्रे चाहिए।

रायपुर में लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देने वाली हर्षा साहू बताती हैं कि पैपर स्प्रे सेल्फ डिफेंस का टूल है। मैं सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग के बावजूद लड़कियों को पैपर स्प्रे रखने की सलाह देती हूं। ट्रेनिंग और वर्कशॉप के दौरान जब लड़कों को भी यह रखने की सलाह दी तो उन्होंने बताया कि वो भी सेल्फ डिफेंस के लिए पैपर स्प्रे रखते हैं। हर्षा साहू कहती हैं कि पुरुष यौन शोषण का शिकार होने पर वे भी मानसिक तनाव से गुजरते हैं।

अगर पुरुष यौन शोषण का शिकार हों तो उनमें भी कैसे मनोवैज्ञानिक बदलाव आते हैं और वे किस तरह रिएक्ट करते हैं, ये जानना भी जरूरी है।

आमतौर पर घरों या स्कूलों में छोटे बच्चों को गुड टच, बैड टच के बारे में बताया जाता है तो क्या पुरुष भी इसे पहचान पाते हैं।

‘द प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ (PNAS) मेडिकल जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब कोई अनजान महिला किसी पुरुष को टच करती है तो पुरुष उतना असहज नहीं होते जितना कि कोई पुरुष उन्हें गलत ढंग से टच करे।

‘टच: द साइंस ऑफ हैंड, हार्ट एंड माइंड’ के लेखक डेविड जे लिंडेन कहते हैं कि बैड टच या गंदी हरकत पर पुरुष भी किसी महिला इतना ही खौफ महसूस करते हैं।

हर महीने देश में 10 हजार से अधिक पैपर स्प्रे की बिक्री

वुमन सेफ्टी टूल्स बनाने वाली एक कंपनी के फाउंडर शेखर मिश्र ने वुमन भास्कर को बताया, दिल्ली-NCR में हर सप्ताह 400 से 500 पैपर स्प्रे की डिमांड है। इनके खरीदारों में अधिकतर महिलाएं हैं लेकिन पुरुष भी अब इसे ले रहे हैं। देश में हर महीने 10 हजार से अधिक पैपर स्प्रे की बिक्री हो रही है।

पैपर स्प्रे रखने का ट्रेंड केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में हैं। अमेरिका में इस पर एक सर्वे भी किया गया।

यूरोप के कई देशों में पैपर स्प्रे है बैन

यूरोप के कई देशों में पैपर स्प्रे बैन है। इसे रखना गैर कानूनी माना जाता है। स्विट्जरलैंड, जर्मनी और पुर्तगाल में पैपर स्प्रे के लिए लाइसेंस लेना पड़ता है। लाइसेंस रहने पर भी यदि पैपर स्प्रे का इस्तेमाल होता है इसे क्राइम ही माना जाता है। भारत में पेपर स्प्रे रखना गैर कानूनी नहीं है।

पुरुषों के सेक्शुअल हैरासमेंट पर देश में कानून सीमित

इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 354, 509 और 376 सेक्शुअल हैरासमेंट से जुड़े हैं। लेकिन ये सारे कानून महिलाओं के साथ ईव टीजिंग, सेक्शुअल हैरासमेंट और रेप के हैं जो पुरुषों पर लागू नहीं होते। पुरुषों के यौन उत्पीड़न से जुड़ा केवल एक ही धारा है वह है IPC की धारा 377।

झारखंड हाई कोर्ट में एडवोकेट धीरज कुमार बताते हैं कि कोई पुरुष किसी पुरुष के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाए तो इसे अपराध माना जाएगा। ऐसा साबित होने पर 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। अगर पुरुष महिला के साथ भी ऐसा करे तो इस परिस्थिति में भी धारा 377 के तहत अपराध माना जाता है।

लड़के पैपर स्प्रे रखें तो बुरा क्या है

लखनऊ में सेल्फ डिफेंस सिखाने वाली रेड ब्रिगेड संस्था की फाउंडर उषा विश्वकर्मा कहती हैं कि लड़के लड़कियों के मुकाबले फिजिक में मजबूत होते हैं। उनमें उस तरह का डर नहीं होता जैसा लड़कियों में होता है। लेकिन, चार-पांच लड़कों का ग्रुप किसी एक लड़के को पकड़कर ज्यादती करे तो ऐसी स्थिति में पैपर स्प्रे मददगार साबित हो सकता है।

सोसाइटी अगेंस्ट वॉयलेंस इन एजुकेशन के फाउंडर (SAVE) के डॉ. कुशल बनर्जी बताते हैं कि तीन कारणों से पुरुष भी पैपर स्प्रे रख रहे हैं-

  • रैगिंग का डर
  • सेक्शुअल अब्यूज
  • स्नेचिंग का भय

डॉ. कुशल बताते हैं कि रैगिंग पर बैन लगने के बावजूद मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में लड़कों के साथ बदसलूकी और सेक्शुअल अब्यूज जैसी स्थिति से बचने और जान बचाने के लिए लड़के पैपर स्प्रे रख रहे हैं।

पैपर स्प्रे नहीं तो डियो का भी करें इस्तेमाल

हर्षा कहती हैं-मैं लड़कों को पैपर स्प्रे नहीं होने पर डियो स्प्रे रखने की भी सलाह देती हूं। इसे भी जब करीब से किसी की आंखों पर स्प्रे करेंगे तो वह तिलमिला उठेगा, कुछ पल के लिए आंखों से दिखाई भी नहीं देगा।

अब आसान भाषा में जान लेते हैं कि पैपर स्प्रे क्या है और इसमें क्या मिला होता है।

  • पैपर स्प्रे एक तरह की आंसू गैस है। ये एरोसोल या स्प्रे के बोतल में आता है
  • पैपर स्प्रे में ओलियोरेसिन कैप्सिकम नाम का तेल होता है जिसे काली मिर्च जैसी जलन पैदा करने वाले पौधे से निकाला जाता है
  • पैपर स्प्रे में मिर्च से अधिक तीखे केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है

पैपर स्प्रे का कर सकते हैं मल्टीपर्पज इस्तेमाल

पैपर स्प्रे आमतौर पर लिपिस्टिक की साइज का होता है जिसे पर्स में रखा जा सकता है। शेखर बताते हैं कि उनकी कंपनी पैपर स्प्रे 100 ml, 160 ml और 400 ml के पैक में बनाती है। पैपर स्प्रे का कैप मेटल का और नुकीला होता है। इसका नुकीलापन भी सुरक्षा में काम आता है।

क्या पैपर स्प्रे के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?

  • आधे घंटे तक आंखों से दिखाई नहीं देता
  • स्किन पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं
  • नाक और गले में तकलीफ बढ़ जाती है
  • कुछ दिनों तक खांसी हो सकती है
  • एंजाइटी होने लगती है
  • अस्थमा से पीड़ित लोगों की परेशानी बढ़ती है
  • अस्थमा गंभीर है तो पीड़ित की मृत्यु तक हो सकती है
  • चक्कर आना, बेहोश होना, उल्टी, सिर दर्द
  • न्यूरोजेनिक इंफ्लैमेशन से पीड़ित होना

चोरों से बचने को भी रख रहे पैपर स्प्रे

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंडस्ट्रियल एरगोनॉमिक्स में पैपर स्प्रे के इस्तेमाल को लेकर शोध प्रकाशित किया गया। एक शोध के दो लेखकों में से एक अनिल आर कुमार बताते हैं कि घर में पैपर स्प्रे इसलिए रखते हैं कि कहीं चोर, डकैत या अनजान व्यक्ति घर में घुस जाए तो वो इसे स्प्रे कर सकेंगे। वैसी महिलाएंं जो घर में अकेली रहती हैं वो सेफ्टी के लिए अपने पास पैपर स्प्रे रखती हैं। कुछ लोग कुत्ते भी इसलिए रखते हैं ताकि सेल्फ डिफेंस में काम आ सके। कुछ घरों में अलार्म इंस्टॉल करते हैं तो कुछ चाकू भी रखते हैं। लेकिन इन सबमें कॉमन पैपर स्प्रे ही है।

बैग छीनने पर आती है आवाज पकड़ो, पकड़ो…

पुरुषों के बीच अपनी सुरक्षा के लिए मैन बैग अलार्म की डिमांड बढ़ी है। दिल्ली में एक कंपनी के फाउंडर पीएल चांदना बताते हैं कि उनकी कंपनी ऐसे बैग बनाती है जिसमें अलार्म लगा हुआ है। ये हाईटेक अलार्म मोबाइल से जुड़ा होता है। ऑफिस जाते या आते समय यदि कोई आपका बैग छीनकर भागेगा तो बस आप मोबाइल का एक बटन दबा दीजिए और बैग से पकड़ो, पकड़ो की आवाज सायरन की तरह सुनाई देगी। इस बैग की कीमत तीन से चार हजार रुपए होती है।

सदर्न रेलवे में महिला कर्मियों को दिया गया है पैपर स्प्रे

सदर्न रेलवे देश का पहला रेलवे जोन है जिसने महिला कर्मियों को पेपर स्प्रे दिया है। रिमोट स्टेशनों पर काम करने वालीं ट्रैक वुमन, स्वीपर-पोर्टर, वुमन गेटमैन कोे ये पेपर स्प्रे दिए गए हैं। शेखर मिश्र बताते हैं कि इंदौर जीआरपी भी पैपर स्प्रे का इस्तेमाल कर रही है।

महिलाएं ही सबसे अधिक पैपर स्प्रे रखती हैं

पुरुष भी पैपर स्प्रे रख रहे, लेकिन सेल्फ डिफेंस के लिए सबसे अधिक महिलाएं ही पैपर स्प्रे रखती हैं। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई जैसे बड़े शहरों में पैपर स्प्रे की डिमांड अधिक है। इनमें बिकने वाले पेपर स्प्रे में 90% से अधिक खरीदार महिलाएं ही हैं। शेखर मिश्र बताते हैं कि कई कंपनियां पैपर स्प्रे के कैन को एसेसरीज के तौर पर डिजाइन कर रही हैं। ये अलग-अलग कलर और फीचर्स के साथ हैं।

दिल्ली की रहने वालीं रुकसाना अंसारी पिछले 3 महीने से पैपर स्प्रे रख रही हैं। वर्किंग वुमन होने के चलते उन्हें काम के लिए बाहर जाना पड़ता है। इसलिए सेफ्टी के लिए अपने पास पैपर स्प्रे रखती हैं। उनकी कुछ और फ्रेंड भी पैपर स्प्रे रखती हैं।

सुरक्षा की जरूरत सिर्फ महिलाओं और लड़कियों को ही होगी, यह कहना गलत होगा। बुरी परिस्थितियों और असामाजिक तत्वों से कभी भी, कहीं भी सामना होने पर पुरुष भी इसका शिकार हो सकते हैं। सावधानी और सतर्कता ही बचाव है। ऐसे में पैपर स्प्रे जैसी मददगार चीजें, आपके साथ हों, तो क्या बुराई है।

ग्राफिक्स: सत्यम परिडा

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