जिस उम्र में लोग खटिया पकड़कर मरने की बातें करते हैं उस उम्र में हरियाणा की एक परदादी ने रेस में भाग लेकर नेशनल रिकॉर्ड बनाकर सभी को हैरान कर दिया है। रविवार को गुजरात के वडोदरा में ऐथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से राष्ट्रीय ओपन मास्टर्स ऐथलेटिक्स चैम्पियनशिप का आयोजन किया गया। इसमें 105 वर्ष की रामबाई ने 45.40 सेकंड में 100 मीटर की रेस पूरी कर नेशनल रिकॉर्ड बनाया है। इससे पहले यह रिकॉर्ड 101 वर्षीय मान कौर के नाम था, जिन्होंने 74 सेकंड में रेस पूरी की थी।
पिछले साल शुरू की रेसिंग, अब विदेश में दौड़ लगाने की चाहत
इस मुकाबले में रामबाई ने 100 से अधिक उम्र की कैटेगरी में रेस में भाग लिया था। हालांकि इस कैटेगरी में उनके साथ रेस लगाने के लिए और कोई प्रतिद्वंदी नहीं था। मगर रामबाई ने अपनी स्पीड से रेस को पूरा किया। उन्होंने 200 मीटर रेस में भी भाग लिया और उसे 1 मिनट और 52.17 सेकंड में पूरा किया। दोनों की रेस में शानदार प्रदर्शन कर उन्होंने गोल्ड मेडल अपने नाम किया है।
रामबाई ने पिछले साल से ही प्रोफेशनल रेसिंग शुरू की है। अब उनका सपना है कि वे विदेश जाकर इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लें और जीतकर आएं। इसके लिए वह अपना पासपोर्ट भी बनवा रही हैं।
'मैं तो हमेशा से दौड़ना चाहती थी किसी ने मौका ही नहीं दिया'
देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 150 किलोमीटर दूर स्थित हरियाणा के चरखी दादरी जिले में 1 जनवरी, 1917 को रामबाई का जन्म हुआ था। जीत हासिल करने पर जब उनसे पूछा गया कि आप पहले कभी क्यों नहीं दौड़ी ? तो परदादी हंसते हुए कहती हैं 'मैं दौड़ने के लिए तैयार थी लेकिन किसी ने मुझे मौका नहीं दिया।'
रामबाई गुजरात के टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए अपनी पोती शर्मिला सांगवान के साथ पहुंची थीं। परिवार के ज्यादातर सदस्य खेलजगत से जुड़े हैं। शर्मिला कहती हैं कि उनका पूरा परिवार खेलों में है। वह बताती हैं सेना में सेवा दे चुके परिवार के कुछ सदस्यों ने मास्टर्स ऐथ्लैटिक्स मीट में भाग लेने के अलावा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लिया है। दादी ने पहली बार नवंबर 2021 में प्रतिस्पर्धा में वाराणसी में भाग लिया था।
रोज पीती हैं 1 लीटर दूध, 250 ग्राम घी संग खाती हैं बाजरे की रोटी
अपने जीतने के फॉर्मूले पर दादी रामबाई कहा कहना है कि वह अच्छे से खाना खाती हैं और खेत में काम भी करती हैं। वह शुद्ध शाकाहारी हैं और हर दिन आधा किलो दही खाती हैं। दिन में दो बार 500 लीटर शुद्ध दूध पीती हैं। बाजरे की रोटी के साथ लगभग 250 ग्राम घी खाती हैं।
इतनी डाइट लेने पर उसे पचाने के लिए खेत में काम भी करती हैं। यहां तक की रोजाना खेत में 3-4 किलोमीटर दौड़ भी लगाती हैं। प्रदूषण से दूर गांव की शुद्ध हवा में कसरत करना और घर के खेत में उगी चीजें ही खाना-पीना उनकी सेहत का असल राज है।
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