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ये 6 महिलाएं बन गईं अबॉर्शन कानून का चेहरा:एक का इंडिया से है कनेक्शन तो किसी की लड़ाई के बाद 5 करोड़ महिलाओं ने कराया गर्भपात

नई दिल्लीएक वर्ष पहले
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अमेरिका में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए महिलाओं का गर्भपात के संवैधानिक अधिकार खत्म कर दिया है। इस फैसले ने सुप्रीम कोर्ट के 49 साल पुराने रो बनाम वेड केस में दिए गए फैसले को पलट दिया है। इस केस में महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दिया गया था। इसको लेकर कई शहरों में रैली और प्रदर्शन किए जा रहे हैं। गर्भपात के अधिकार के समर्थन में सैकड़ों लोग शिकागो, अटलांटा, ह्यूस्टन और अन्य शहरों में इकट्ठे हुए। अमेरिका में यह मुद्दा इसलिए गहराता जा रहा है क्योंकि हर साल गर्भपात की वजह से कई महिलाओं की जान जाती है। आइए जानते हैं दुनिया भर की ऐसी कुछ महिलाओं के बारे में जिनको कानून और डॉक्टर की लापरवाही की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी।

सविता हलप्पनवर, आयरलैंड
गर्भपात जनमत संग्रह का इंडियन कनेक्शन
आयरलैंड में भारतीय मूल की सविता हलप्पनवार का छह साल पहले मिसकैरेज हो गया था। हालांकि, कड़े कैथोलिक क़ानून के चलते गर्भपात कराने की कई बार मांग कर चुकी सविता को इसकी इजाज़त नहीं दी गई। इस वजह से उनकी मौत हो गई थी। तब उनके पति ने बताया था कि डॉक्टरों ने गर्भपात करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि सविता का भ्रूण जीवित था।

सविता के पति प्रवीण ने कहा था, "पहले तो वो मां बनने को लेकर बहुत खुश थी, लेकिन बाद में उसे बहुत तेज दर्द होने लगा और ऐसे में वह गर्भपात कराने को कह रही थी, लेकिन गॉलवे के अस्पताल वालों ने यह कह मना कर दिया कि कैथोलिक देश में उसे गर्भपात नहीं कराना चाहिए। सविता हलप्पनवार, जिन्हें आयरलैंड में कानूनी अड़चनों की वजह से साल 2012 में जान गंवानी पड़ी थी

प्रवीण के मुताबिक सविता ने डॉक्टरों से कहा भी कि वह हिंदू है, कैथोलिक नहीं तो उन पर यह कानून क्यों थोपा जा रहा है। ऐसे में डॉक्टरों ने माफी मांगते हुए कहा- दुर्भाग्य से यह एक कैथोलिक देश है और यहां के कानून के मुताबिक हम जीवित भ्रूण को अबॉर्ट नहीं करेंगे। प्रवीण ने कहा, "मेरे पास 24 अक्टूबर 2012 की देर रात साढ़े बारह बजे फोन आया कि सविता का हार्ट रेट तेजी से बढ़ रहा है और हम उन्हें ICU में ले जा रहे हैं। इसके बाद हालात खराब होते गए। कुछ अंगों ने तब तक काम करना बंद कर दिया था। 28 अक्टूबर यानी रविवार को सविता की मौत हो गई।

ओल्गा रेयेस, निकारागुआ
22 वर्षीय ओल्गा रेयेस ने 2006 में अस्पताल के वार्ड में घंटों दर्द के साथ इंतजार किया। उसे पहले ही एक अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया गया था। इसके बाद वे एक प्राइवेट क्लिनिक से अल्ट्रासाउंड कराया जहां पता लगा कि उसकी फैलोपियन ट्यूब टूट चुकी है। इस वजह से उसके 6 महीने के पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गई।

निकारागुआ में चिकित्सीय गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने पर उसी वर्ष प्रकाशित एक रिपोर्ट में, मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा अगर समय पर इलाज मिल पाता तो महिला की जान बच सकती थी।
निकारागुआ में चिकित्सीय गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने पर उसी वर्ष प्रकाशित एक रिपोर्ट में, मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा अगर समय पर इलाज मिल पाता तो महिला की जान बच सकती थी।

इसके बाद डॉक्टरों ने भी इलाज में देरी की, इस डर से कि वहां अबॉर्शन पर रोक था। जब तक सर्जरी हुई ओल्गा की मौत हो चुकी थी।

इसाबेला, पोलैंड
अपनी मौत से एक दिन पहले, इसाबेला ने अस्पताल से अपनी माँ को संदेश भेजा। "बच्चे का वजन 485 ग्राम है। अभी के लिए, गर्भपात कानून के कारण, मुझे बिस्तर पर रहना है और वे कुछ नहीं कर सकते। वे बच्चे के मरने या कुछ होने का इंतजार करेंगे, क्योंकि पोलैंड ने भी अबॉर्शन की इजाजत नहीं है।"

30 वर्षीय इसाबेला के पास सिलेसिया के एक छोटे कस्बे में एक हेयर सैलून था। अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर वह नियमित रूप से नए हेयरस्टाइल की तस्वीरें पोस्ट करती थीं। कई लोगों ने उनकी काफी तारीफ भी की। यहां भी डॉक्टरों की लापरवाही से महिला की मौत हो गई।

अस्पताल में रहने के दौरान इसाबेला के लिए जिम्मेदार डॉक्टर के खिलाफ कोर्ट केस चल रहा है। अस्पताल के निदेशक ने मार्च में इस्तीफा दे दिया था।
अस्पताल में रहने के दौरान इसाबेला के लिए जिम्मेदार डॉक्टर के खिलाफ कोर्ट केस चल रहा है। अस्पताल के निदेशक ने मार्च में इस्तीफा दे दिया था।

हालांकि डॉक्टर कानूनी रूप से गर्भपात करवा सकते थे, लेकिन उन्होंने तब तक नहीं चुना जब तक बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल के खिलाफ एक अदालती मामले में इसाबेला के परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील जोलांटा बुडज़ोस्का कहते हैं, इस कानून ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी थी।

अगर वे समय पर इलाज करते तो उसकी जान बच सकती थी। राष्ट्रव्यापी विरोध के बाद, जिस अस्पताल में इसाबेला की मृत्यु हुई, उस पर पोलिश स्वास्थ्य सेवा द्वारा 650,000złoty (£120,000) का जुर्माना लगाया गया था।

मैनुएला, अल सल्वाडोर
अल सल्वाडोर की दो बच्चों की मां मैनुएला ने वही किया जो ज्यादातर लोग 2008 में गर्भवती होने के दौरान बीमार पड़ने पर करते थे। वह अस्पताल गई थीं। दुर्भाग्य से, उसका मिसकैरिज हो गया, लेकिन डॉक्टरों ने इलाज के बजाय उसको अस्पताल में भर्ती कर पुलिस को बुला दिया और पुलिस ने उससे पूछताछ की।

33 वर्षीय मैनुएला, जिसका पूरा नाम कभी सार्वजनिक नहीं किया गया, पर अल सल्वाडोर के कठोर गर्भपात विरोधी कानूनों के तहत गंभीर हत्या का आरोप लगाया गया और 30 साल जेल की सजा सुनाई गई। दो साल बाद कैंसर से उनकी मौत हो गई।

मिल्ड्रेड, केन्या
मिल्ड्रेड केन्याई शहर नाकुरु में मान्यानी एस्टेट की एक 15 वर्षीय लड़की थी। उन्हें पिछली गर्मियों में पेट में तेज दर्द और उल्टी की वजह से नाकुरु लेवल 5 अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह दर्द से कराहती हुई मर गई। गर्भावस्था के 20 सप्ताह में उसने जड़ी-बूटियों और नमक का उपयोग करने की कोशिश की, ताकि उसका गर्भपात हो जाए लेकिन ऐसे करने में वे सफल नहीं हो सकी और उसकी मौत हो गई।

नोर्मा मैककोर्वे, टेक्सास
नोर्मा मैककोर्वे को दुनिया 'जेन रो' के नाम से जानती है। नोर्मा ने 1969 में राज्य के उस कानून को चुनौती दी, जिसके हिसाब से अबॉर्शन अवैध था। मामला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उन्हें जीत मिली। 'रो बनाम वेड' फैसले के बाद अमेरिका में लीगल तरीके से लगभग पांच करोड़ अबॉर्शन किए गए।

नोर्मा का जन्म 22 सितंबर, 1947 को मैरी और ओलिन नेल्सन के घर नोर्मा नेल्सन के रूप में हुआ था। नोर्मा के पिता एक टेलीविजन मैकेनिक थे। 13 साल की उम्र में उनके मां-बाप का तलाक हो गया।
नोर्मा का जन्म 22 सितंबर, 1947 को मैरी और ओलिन नेल्सन के घर नोर्मा नेल्सन के रूप में हुआ था। नोर्मा के पिता एक टेलीविजन मैकेनिक थे। 13 साल की उम्र में उनके मां-बाप का तलाक हो गया।

नोर्मा का जन्म 22 सितंबर, 1947 को मैरी और ओलिन नेल्सन के घर नोर्मा नेल्सन के रूप में हुआ था। नोर्मा के पिता एक टेलीविजन मैकेनिक थे। 13 साल की उम्र में उनके मां-बाप का तलाक हो गया। मां मैरी ने नोर्मा और उनके बड़े भाई को पाला। हालांकि उनकी मां एक शराबी थीं। जब वो 10 साल की थीं तो एक महिला दोस्त के साथ मिलकर एक पेट्रोल स्टेशन पर कैश लूट लिया था और ओकलाहोम सिटी भाग गईं। गिरफ्तार हुईं और अदालत में ले जाया गया। जहां जज ने उन्हें कैथोलिक बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया। बाद में उन्हें टेक्सास के गेन्सविले में स्टेट स्कूल फॉर गर्ल्स में शिफ्ट किया गया। 11 से 15 साल की उम्र तक वो वहां रहीं। रिहा होने के बाद नोर्मा अपनी मां के चचेरे भाई के साथ रहने लगीं। तीन हफ्ते तक हर रात चचेरे मामा ने उनका रेप किया।