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देश बनाने वाला बाबा नित्यानंद शिष्या को लेकर चर्चा में:किसी ने बसाया अपना शहर, चलाई करेंसी; कोई रोल्स रॉयस का शौकीन

नई दिल्ली3 महीने पहले
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बाबा नित्यानंद एक बार फिर से सुर्खियों में है। कुछ साल पहले इस बाबा पर भारत में रेप और यौन शोषण के आरोप लगे थे, जिसके बाद से पुलिस उसकी खोज में है। लेकिन उसने तीन साल पहले अलग द्वीप खरीद कर एक नया देश बसा लिया है जिसका नाम उसने 'कैलासा' रखा है। यहां नित्यानंद की सरकार चलती है और उसकी सेना भी है।

अभी हाल ही में उसने संयुक्त राष्ट्र की जेनेवा मीटिंग में अपने देश की प्रतिनिधि (तथाकथित स्थायी राजदूत ) के तौर पर विजयप्रिया नित्यानंद को भेजा था। इस मुद्दे पर यूएन की तरफ से सफाई आ चुकी है। यूएन ने कहा कि विजयप्रिया नित्यानंद ने एनजीओ प्रतिनिधि के तौर पर पब्लिक मीटिंग में भाग लिया था। ऐसे में विजयप्रिया का वक्तव्य अप्रासंगिक है। इसके बाद अब नित्यानंद की प्रतिनिधि विजयप्रिया नित्यानंद ( खुद को यूनाइटेड स्टेट ऑफ कैलासा-यूएसके का अंबेस्डर बताती हैं) ने कहा कि उनके बयान को गलत संदर्भ में पेश किया गया है।

इसके बाद से बाबा नित्यानंद, शिष्या विजयप्रिया नित्यानंद और कैलासा देश सुर्खियां बटोर रहे हैं।

जानिए कौन है यूएन में शामिल होने वाली विजयप्रिया

सोशल मीडिया प्रोफाइल के मुताबिक फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली विजयप्रिया ने साल 2014 में कनाडा के मैनिटोबा विश्वविद्यालय से माइक्रोबायोलॉजी सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन किया था।

यूएन में कैलासा की स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर विजयप्रिया का पूरा नाम ‘मां विजयप्रिया नित्यानंद’ है।
यूएन में कैलासा की स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर विजयप्रिया का पूरा नाम ‘मां विजयप्रिया नित्यानंद’ है।

वह अंग्रेजी, फ्रेंच, क्रियोल भाषाएं जानती हैं। कॉलेज में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए उन्हें सम्मानित भी किया चुका है, और 2013 और 2014 में इंटरनेशनल ग्रेजुएशन स्टूडेंट स्कॉलरशिप भी मिली थी।

कैलासा का असली हिंदू राष्ट्र होने का दावा

हैरानी यह है कि बाबा नित्यानंद अपने देश 'कैलासा' को असली हिंदू राष्ट्र होने का दावा करता है। उसकी अपनी वेबसाइट है और दुनिया भर में उसके लाखों की संख्या में अनुयायी हैं।

इक्वाडोर के नजदीक मौजूद इस द्वीप देश की दूरी भारत से करीब 17 हजार किलोमीटर है। वैसे तो कैलासा बेवसाइट का दावा है कि दुनिया में उसके देश के नागरिक करीब 2 करोड़ हैं लेकिन यूएन (UN) में शामिल होने का दावा करने वाली विजयप्रिया नित्यानंद ने कहा है कि यहां की आबादी 20 लाख है। विजयप्रिया का दावा है कि 150 देशों में कैलासा के दूतावास हैं।

नित्यानंद के देश यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा के प्रतीक चिन्ह योग मुद्रा में बैठे शिव और नंदी हैं।
नित्यानंद के देश यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा के प्रतीक चिन्ह योग मुद्रा में बैठे शिव और नंदी हैं।

खास बात यह है कि इस देश का अपना झंडा, संविधान, करेंसी, पासपोर्ट और राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह भी हैं। संस्कृत, अंग्रेजी और तमिल राज भाषा के तौर पर यहां मान्यता दी गई है। यहां हिंदू शास्त्रों और मनुस्मृति से कानून चलाए जाने का दावा किया जाता है। हालांकि अभी तक इस देश को किसी ने भी मान्यता नहीं दी है।

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जेल काट चुके राम रहीम ने बसाया अपना शहर, चलाई अपनी करेंसी

डेरा सच्चा सौदा के बाबा राम रहीम का नाम तो आपने जरूर सुना होगा। देश में रहकर अपनी अलग मुद्रा चलाना भले ही गैरकानूनी है लेकिन इन्होंने अपनी प्लास्टिक मुद्रा का प्रचार जोर-शोर से किया।

गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां हरियाणा के सिरसा में मौजूद संस्था डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख है। डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 1968 में शाह मस्ताना जी ने की थी।
गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां हरियाणा के सिरसा में मौजूद संस्था डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख है। डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 1968 में शाह मस्ताना जी ने की थी।

जो भी व्यक्ति सिरसा के डेरे में आता था उसे अपना हर प्रकार का काम और कारोबार इसी प्लास्टिक मनी से करना होता है। इनके डेरे में फाइव स्टार होटल, सिनेमा, स्कूल, कॉलेज था। इसी कारण डेरा सच्चा सौदा एमएसजी सिटी के नाम से अपना अलग शहर बनाना चाहता था। लेकिन कानून की गिरफ्त में आने के बाद से राम रहीम के कारनामों पर शिकंजा कसता गया।

रजनीश ओशो की भी थी अपनी दुनिया, लग्जरी लाइफ जीने के लिए रहे मशहूर

मध्य प्रदेश में जन्मे रजनीश भारत में ज्ञान मिलने का दावा करते थे। ‘संभोग से समाधी तक’ दर्शन देने वाले ओशो नौकरी छोड़कर भारत से अमेरिका चले गए। साल 1981 से 1985 के बीच अमरीकी प्रांत ओरेगॉन में उन्होंने 65 हजार एकड़ में आश्रम की स्थापना की।

1985 में अमेरिकी सरकार ने ओशो पर अप्रवास नियमों के उल्लंघन के तहत करीब 35 आरोप लगाए और उन्हें हिरासत में ले लिया। बाद में उन्हें पेनाल्टी भरकर और देश छोड़ने और 5 साल तक वापस ना आने की सजा के साथ छोड़ा था।
1985 में अमेरिकी सरकार ने ओशो पर अप्रवास नियमों के उल्लंघन के तहत करीब 35 आरोप लगाए और उन्हें हिरासत में ले लिया। बाद में उन्हें पेनाल्टी भरकर और देश छोड़ने और 5 साल तक वापस ना आने की सजा के साथ छोड़ा था।

महंगी घड़ियां, रोल्स रॉयस कारें, डिजाइनर कपड़ों की वजह से वे हमेशा चर्चा में रहे। ओरेगॉन में ओशो के शिष्यों ने उनके आश्रम को रजनीशपुरम नाम से एक शहर के तौर पर रजिस्टर्ड कराना चाहा, लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। इसके बाद 1985 वे भारत वापस लौट आए और 5 साल बाद ओशो का निधन हो गया। कई बाबाओं की तरह इनके कारनामे भी देश और दुनिया में चर्चा के विषय बने रहे।