देश की जनता और राजनीतिज्ञ 73वां गणतंत्र दिवस मना रहे थे कि तभी टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी के बोल ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। क्या आप भी श्वेता की तरह अनजाने में ऐसा कर बैठते हैं, क्या यह कोई पर्सनेलिटी डिसॉर्डर है?
मुनमुन दत्ता और युविका चौधरी भी रही थी विवादों में
कई बार सेलिब्रिटी या नेता अपने बड़बोलेपन के कारण या अनजाने में कुछ ऐसा बोल जाते हैं, जो बड़े विवाद का रूप ले लेते हैं। मई 2021 में ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ की ‘बबिता जी’ यानी मुनमुन दत्ता पर अपने वीडियो में जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल का आरोप लगा।
उसी साल अक्टूबर महीने में टीवी एक्ट्रेस युविका चौधरी ने कुछ ऐसे शब्द बोले, जिससे जाति विशेष की भावनाएं आहत हुई। इस मामले में शिकायत किए जाने पर युविका को गिरफ्तार भी किया गया।
यूएस प्रेसिडेंट भी बोल गए अजीब बातें
अभी दो दिन पहले अमेरिका के प्रेसिडेंट जॉन बाइडेन ने कुछ ऐसा बोला कि हर मुल्क में इसके चर्चे शुरू हो गए। एम्ब्रेस इम्परफेक्शन की फाउंडर और मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट दिव्या महेंदू के अनुसार, “ बिना सोचे--समझे कुछ भी बोलने की बीमारी को साइकोलॉजी में ‘फुट इन माउथ’ की बीमारी भी कहते हैं। इस तरह फिजूल बोलने के कई कारण होते हैं।
इसमें पता नहीं होता है कि कब--कहां और क्या बोलना है। ऐसे में मामलों में व्यक्ति में सेंसिटिविटी की कमी पाई जाती है।” दिव्या महेंद्रू के कहती हैं कि दूसरे कारणों में यह देखा गया है कि कई बार लोगों को यह लगता है कि वह जल्दी से कुछ भी बोल जाएंगे, जो लोगों को याद भी नहीं रहेगा, लोग भूल जाएंगे या फिर हो सकता है कि लोग उस बात को पकड़ ही न पाएं।
तीसरी वजह में यह पाया गया कि जब कोई व्यक्ति खुद को बहुत महत्वपूर्ण समझने लगता हैं और बिना सोचेसमझे कुछ भी बोल जाता है। ऐसे लोग पर्सनेलिटी डिसॉर्डर के शिकार होते हैं। इसे अटेंशन डिफ्सिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर (एडीएचडी) कहते हैं।
दिमाग और जुबान पर कंट्रोल छूटने से होता है ऐसा
कई बार घर में पूरे परिवार के सामने या फिर ऑफिस में सहकर्मियों के बीच कुछ ऐसा मुंह से निकला जाता है, जो शर्मिंदगी की वजह बनता है। यह भी अटेंशन डिफ्सिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर की ही निशानी है। मेंटल एक्सपर्ट दिव्या महेंद्रू के मुताबिक इसमें खुद पर कंट्रोल की कमी होती है।
इस कारण जुबान भी फिसल जाती है। ऐसे लोग एक जगह शांत नहीं बैठ सकते। अपने आसपास की चीजों को छूते रहते हैं और उतावले लगते हैं। इसलिए इसे इंपल्सिव डिसॉर्डर के रूप में भी जाना जाता है।
जुबान पर लगाम लगाना जरूरी
परिवार में किसी को इस तरह की समस्या है, तो यह समझने की जरूरत है कि इस तरह की बात करने की वजह क्या है। इसे ठीक किया जा सकता है लेकिन स्थिति न सुधरने और समस्या को न पकड़ पाने की स्थिति में यह एंग्जाइटी या डिप्रेशन की वजह बन सकता है। लाइसेंस्ड साइकोलॉजिस्ट की मदद लेकर इस समस्या को दूर किया जा सकता है। उनकी मदद से स्पीच पर कंट्रोल करना सीखा जा सकता है।
‘फुट इन माउथ’ को ‘हैंड, फुट एंड माउथ डिसीज’ से कंफ्यूज मत करें
हैंड--फुट एंड माउथ एक बहुत ही मशहूर बीमारी है, जो बच्चों को होती है। यह एंटीरोवायरस के कारण होती है, यह संक्रमण से फैलती है। यह दूषित पानी और गंदगी के कारण होती है। इस वायरस के संक्रमण के कारण कई बार स्कूलों को भी बंद कर दिया जाता है।
इस वायरस का अटैक हाथ--मुंह और पैर में होने के कारण ही इसे हैंड--फुट एंड माउथ डिजीज कहते हैं। इसमें इन अंगों पर छोटे--छोटे लाल दाने निकल आते हैं। कई बार इन दानों में पानी भी भर जाता है। पर इस बीमारी का इलाज आसान है।
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