नागपुर की 19 साल की अबोली जरीट एक छोटी बच्ची की तरह दिखती है। वह किसी दिन स्टार बनने का सपना देखती है। लेकिन ज्यादातर लोग उन्हें एक बच्ची समझते हैं। इस बात से वे काफी परेशान हैं। अबोली एक जटिल बीमारी से जूझ रही हैं, जिस वजह से उनके शरीर का विकास रुक गया। उनकी हाइट 3 फीट और 4 इंच लंबी है।
रिकेट्स की वजह से रुक गया है विकास
19 साल की अबोली को रिकेट्स या ऑस्टियोमलेशिया है। बच्चों में इस रोग को रिकेट्स कहते हैं। ये विटामिन डी की कमी के कारण होता है। इस स्थिति में हड्डियों का सही से विकास नहीं हो पाता। इस स्थिति में किडनी फेल की भी समस्या होती है। अबोली अपनी उम्र के किशोरों की तुलना में बहुत छोटी है। उसे अपनी बीमारी की वजह से हर वक्त डायपर पहनना पड़ता है। इसको लेकर लोग तरह-तरह के कमेंट भी करते हैं।
ऐसी बीमारी मे जल्दी हो जाती है मौत
अबोली जैसी बीमारी बहुत कम लोगों को होती है। ऐसी स्थिति में लोगों की जल्दी ही मौत हो जाती है। डॉक्टरों का मानना है कि इसका कोई समाधान नहीं है क्योंकि गुर्दे की बीमारी का कोई स्थायी इलाज नहीं है, इसलिए अबोली के लिए रोजमर्रा के काम जैसे बाहर जाना और चलना मुश्किल है।
6 महीने से 4 साल तक के बच्चों को होता है रिकेट्स
डॉक्टरों का कहना है कि रिकेट्स बच्चों में विटामिन डी की कमी के कारण होता है। इसमें हड्डियां नरम और कमज़ोर रह जाती हैं। हड्डियां ठीक तरह से ग्रो नहीं कर पाती हैं। सूरज की रोशनी में अल्ट्रावायलेट किरणें होती हैं, वो स्किन के अंदर जाकर विटामिन डी का प्रोडक्शन करती हैं। ये विटामिन डी आगे जाकर हड्डियों में कैल्शियम और फास्फ्रेट डिपॉजिट करता है। इससे हड्डियां मज़बूत होती हैं और नॉर्मल तरीके से ग्रो करती हैं। अगर किसी भी कारण से शरीर को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिलता है तो कैल्शियम और फास्फेट हड्डियों में सही तरह से डिपॉजिट नहीं हो पाता। ऐसे में हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं। कुछ समय बाद वो टेढ़ी हो जाती हैं जिसको रिकेट्स कहते हैं। ज्यादातार 6 महीने से लेकर 4 साल के बच्चों में रिकेट्स देखने को मिलता है।
समस्याओं के बाद भी हार नहीं मानती अबोली
डॉक्टर कहते हैं कि ऐसे बच्चे यूरीनरी ट्रैक्ट के साथ पैदा नहीं होते हैं। इन्हें हर वक्त डायपर लगाना पड़ता है क्योंकि हर वक्त यूरीन लीक होते रहता है। अबोली कहती है कि मेरे घर में कोई कार भी नहीं है। इसलिए कहीं बाहर आने जाने में काफी परेशानी होती है। लेकिन इतनी समस्या के बाद भी मैं हार नहीं मानूंगी।
शुरुआत में वह एक डांसर हुआ करती थी लेकिन धीरे-धीरे अबोली एक प्रोफेशनल सिंगर बन गई। मिस व्हीलचेयर इंडिया में वे फाइनलिस्ट तक भी पहुंची। उनके माता-पिता, भाई-बहन और परिवार के अन्य सदस्य सभी उनका साथ देते है। अबोली कहती हैं कि , "मैं अपनी खुद की प्रेरणा हूं क्योंकि बचपन से लेकर आज तक जो मेरे साथ हुआ है, उससे मैंने जिंदगी जीना सीखा है।"
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