एक बाघिन ने जन्म तो 3 बच्चों को दिया, लेकिन हालात ने उसे 6 शावकों की मां बना दिया। जब दया-ममता को लेकर इंसान कंजूस होता जा रहा है तब एक बाघिन मां की ममता की अनूठी मिसाल पेश कर रही है। मध्य प्रदेश स्थित संजय गांधी टाइगर रिजर्व की यह सच्ची घटना बताती है कि ममता की कोई शक्ल नहीं होती है।
उस अंधेरी रात को ट्रेन से निकल रही लाइट की दिशा में वह बाघिन दौड़ती चली जा रही थी। उसे किसी चीज की सुध-बुध नहीं थी, उसकी नजर शायद किसी शिकार का पीछा कर रही थी, उसे शिकार को काबू में करना था। बच्चों को पीछे छोड़ वह किसी जानवर की तलाश में निकली थी। तीन छोटे-छोटे शावकों की मां को पता था कि भोजन का इंतजाम करना बहुत जरूरी है। लेकिन तभी इस मां की ख़्वाहिश को तेजी से आती हुई ट्रेन रौंदती निकल गई।
जोश से भरी बाघिन पलभर में वहीं ढेर हो जाती है और उसके शावक रातभर मां का इंतजार करते रह जाते हैं। सुबह जंगल में इस बाघिन की मौत की खबर आग की तरह फैल जाती है। वन विभाग के अधिकारी नन्हे शावकों के भविष्य को लेकर चिंतित हो जाते हैं। वन विभाग ने इस बाघिन काे T-18 नाम दिया गया था।
आठ-9 महीनों के शावकों का पेट कौन भरेगा
इस घटना के 5 साल पहले दो बाघिनें एक साथ पैदा हुई। एक ही मां की इन बेटियों ने जंगल में कभी साथ घुमक्कड़ी की तो कभी साथ शिकार किया। जंगल के संरक्षकों ने इन बहनों का नाम रखा T-18 और T-19। दोनों की मां T-29 ने दोनों को पैरों पर खड़ा होना यानी शिकार करना सिखाया। T-19 की बहन अब इस दुनिया में नहीं थी। अपने पीछे वह तीन निशानियां छोड़ गई थी।
अनाथ शावकों की उम्र केवल 8 से 9 महीने थी। इस उम्र में बाघों को शिकार करना नहीं आता है। टाइगर के बच्चे 2.5 साल की उम्र में शिकार करना शुरू कर देते हैं। सवाल यह था कि अब इन बच्चों का पेट कैसे भरेगा, इनको शिकार करना कौन सिखाया?
बिन मां के शावकों का क्या होगा
वन विभाग की ओर से जब T-18 के बच्चों की खोज शुरू हुई। आखिरकार, उन्हें यह देखकर तसल्ली हुई। उन्होंने देखा कि एक बाघिन अनाथ शावकों को अपने बच्चों के भोजन को शेयर करने दे रही है। बाघों की दुनिया में सामान्य बात नहीं है, आमतौर पर बाघ-बाघिन अपने शिकार में किसी दूसरे की हिस्सेदारी पसंद नहीं करते। लेकिन इस बाघिन ने कोई ऐतराज नहीं जताया। बाद में वन विभाग को पता चला कि यह और कोई नहीं इन बाघों की ही मौसी यानी T-19 हैं।
वह अपने 3 सगे शावकों के साथ अपनी बहन के तीनों शावकों की भी देखभाल कर रही है। शायद उसे इस बात का अहसास होगा कि बिना मां के बच्चे का जीवन कैसा होता है, फिर ये तो उसके सगे ही हैं, उसकी अपनी बहन के बच्चे हैं, वह बहन जो इस जहां में नहीं है। अब उसका काम डबल हो गया है। पहले उसे 3 शावकों के लिए तकरीबन 30 किलोग्राम तक मांस का इंतजाम करना होता था, लेकिन अब यह बढ़कर 60 किलोग्राम हो जाएगा।
पहले वह हिरण-चीतल-सांभर का शिकार करती थी अब उसे नीलगाय जैसे बड़े पशु को मारना पड़ेगा, जिसके लिए ज्यादा ताकत चाहिए। लेकिन T-19 के दिल में अब इन अनाथ शावकों के लिए ममता जाग गई थी। वह उसे खुद से दूर नहीं करना चाहती थी, वह उसे अपने संरक्षण में रखना चाहती थी, अब वह 6 बच्चों की रियल मां बन गई थी।
रिश्ते निभाना कोई इनसे सीखें
जंगल में अनाथ शावकों की देखभाल की जिम्मेदारी वन विभाग की हो जाती है। इनकी पूरी निगरानी में स्पेशल केयर की जाती है। इनके लिए भोजन उपलब्ध कराया जाता है लेकिन इन शावकों को वापस जंगल में छोड़ा जाता है, तो उनके लिए वहां के माहौल के साथ तालमेल बिठाना आसान नहीं होता। उन्हें यह पता नहीं होता है कि उन्हें शिकार किस तरह से करना है, दूसरे जानवरों से अपना बचाव कैसे करना है।
मां बन जाती है रक्षक बचाती है भक्षकों से
बाघिन के बारे में कहा जाता है कि वह अपने बच्चों को लेकर बहुत ही पजेसिव होती है। कोई इनके बच्चों की तरफ देखे, तो इन्हें बरदाश्त नहीं होता। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि कोई पुरुष बाघ अगर बाघिन की तरफ आकर्षित हो जाता है, तो बाघिन अपने शावकों को उनसे दूर कर देती हैं क्योंकि कई बार ये शावक, बाघ के गुस्से का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है।
रेंज ऑफिसर असीम भूरिया एक वाकये का जिक्र करते हुए बताते हैं कि एक बार एक बाघिन अपने शावकों के साथ रह रही थी, तभी एक बाघ उसके पास आने लगा, बाघिन को यह महसूस हुआ कि बाघ का आना उसके शावकों के लिए खतरा है। वह उस बाघ के साथ कहीं दूर निकल गई। दोबारा 5-6 दिनों बाद अकेली लौटी। उसने बच्चों पर मंडराते खतरे को टाल दिया था।
दूसरे बाघ के अलावा गाड़ियां और इंसानी चहल-पहल देखकर भी बाघिन अपने शावकों के लिए चौकन्नी हो जाती है। वह प्रोटेक्शन मोड में आ जाती है। आज T-19 शान से जंगल में अपने 6 बच्चों के साथ घूमती है। उसका यह प्यार बताता है कि शायद हम इंसान प्यार का पाठ भूल गए हैं, शायद हमारे अंदर अपने-पराए का भेद बढ़ गया है लेकिन ये बेजुबान नहीं भूले।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.