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कीड़ों के अंडे खाकर वजन घटाने का चलन:टेपवर्म डाइट की गोली 1.25 लाख की, पर लिवर-किडनी-हार्ट के लिए खतरनाक

नई दिल्ली5 महीने पहलेलेखक: ऐश्वर्या शर्मा
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मारिया कैलस 1940 के दौर में अमेरिका की मशहूर ओपरा सिंगर थीं। उनकी आवाज और लुक्स का हर कोई दीवाना था। उनका करियर बहुत लंबा चलता, लेकिन 1965 में ही उन्होंने गाना छोड़ दिया। उस समय वो 42 साल की थीं। 1977 में 53 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

अगर वह आज जिंदा होतीं तो 100 साल की होतीं। उनके साथ हमेशा से एक विवाद जुड़ा रहा और वह थी उनकी डाइट।

करियर की शुरुआत में उनका वजन 91 किलो था। 1953 में उनका वजन 36 किलो हो गया। उनके बारे में कहा जाता है कि वह स्लिम रहने के लिए ‘टेपवर्म डाइट’ लेती थीं। ऐसा उन्होंने एक स्विस डॉक्टर के कहने पर किया था।

सिंगर कैलस टेपवर्म के अंडों को शैंपेन के साथ लेतीं। उन्हें कई लोगों के खत मिलते जो उनसे उनके वेट लॉस के सीक्रेट पूछते। लेकिन, उन्होंने इस बारे में कभी बात नहीं की। वेट लॉस का असर उनकी आवाज पर भी पड़ा। कमजोरी से उनकी आवाज निकलनी बंद हो गई थी। कई लोग मारिया की मौत की वजह टेपवर्म डाइट को मानते हैं।

पिछले साल Parasitologia नाम के जर्नल में छपी एक रिपोर्ट में बताया गया कि गूगल ट्रेंड में दुनियाभर के लोगों ने इंटरनेट पर टेपवर्म डाइट पिल्स के बारे में सर्च किया। इसमें दावा किया गया कि मेक्सिको की कुछ वेबसाइट पर 1 टेपवर्म पिल करीब 1.25 लाख रुपए में बेची जा रही है। इसके बाद टेपवर्म डाइट पर फिर से चर्चा छिड़ गई।

2015 में अमेरिका की टीवी अभिनेत्री क्लोई कर्दाशियां ने एक शो में टेपवर्म डाइट पिल्स लेने की इच्छा जाहिर की थी। तब भी इस पर विवाद खड़ा हो गया था।

आखिर टेपवर्म डाइट है क्या? क्यों ये एक जमाने में पॉपुलर डाइट थी और आज भी वजन कम करने की चाहत रखने वाले लोग इसके बारे में सर्च कर रहे हैं?

टेपवर्म डाइट यानी पेट में कीड़ों को पालना

टेपवर्म डाइट में पिल्स के रूप में टेमवर्म (कीड़े) के अंडे खाए जाते हैं। ये पैरासाइट्स होते हैं। पेट में कुछ समय बाद अंडों से कीड़े निकलते हैं। व्यक्ति जो डाइट खाता है, उसे पेट के कीड़े खा लेते हैं यानी आपने जो खाना खाया, वो खाना आपके बजाय पेट में पल रहे कीड़ों की डाइट बन जाता है। इससे व्यक्ति का वजन तेजी से घटने लगता है।

जब व्यक्ति अपना मन चाहा वजन पा लेता है तो उसे एंटी-पैरासाइटिक पिल्स दी जाती हैं, ताकि पेट में पल रहे कीड़े बाहर निकल जाएं।

आगे बढ़ने से पहले ग्राफिक के जरिए जानिए टेपवर्म क्या होता है?

इन कीड़ों को पनपने से रोकना होता है मुश्किल

टेपवर्म सफेद रंग के कीड़े होते हैं जो आंतों में रहते हैं। यह शरीर के पोषक तत्व खाते हुए बढ़ते रहते हैं और एक चेन की तरह बड़े होते हैं। यह शरीर को अंदर से खोखला करते हैं। यह बढ़ते-बढ़ते आंतों से निकलकर बाकी अंगों से चिपकने लगते हैं, जिससे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा हो जाता है।

अगर ये आंतों से बाहर आ जाएं तो इन्हें कंट्रोल करना और पेट से बाहर निकालना बेहद मुश्किल होता है। इस वजह से डायरिया, बुखार, कमजोरी और पेट का दर्द हो सकता है। टेपवर्म एलर्जी, बैक्टीरियल इंफेक्शन और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का कारण भी बन सकता है।

कुछ लक्षणों से पहचान सकते हैं कि पेट में टेपवर्म हैं। ग्राफिक्स देखिए:

ब्रिटेन से विक्टोरियन एरा में शुरू हुई टेपवर्म डाइट

टेपवर्म डाइट इतनी अनहेल्दी है तो ये डाइट आखिर आई कहां से? दरअसल यह डाइट ब्रिटेन की महारानी क्वीन विक्टोरिया के जमाने में काफी मशहूर थी। 1837–1901 के बीच का दौर विक्टोरियन एरा कहलाता है। इस दौर में महिलाएं खूबसूरत दिखने की चाहत में टेपवर्म डाइट को अपनाती थीं।

यह सुनने में बहुत अजीब लगेगा लेकिन जिस तरह ट्यूबरक्लोसिस यानी टीबी से शरीर दुबला और चेहरा मुरझाया हो जाता है, वो लुक उस जमाने में खूबसूरती का पैमाना था। महिलाएं इस उम्मीद में यह डाइट अपनातीं कि वे पति को रिझा सकें।

यह वह दौर था जब पीली-मुरझाई त्वचा, बड़ी-बड़ी व गड्‌ढे में डूबी आंखें, लाल गाल, सूजे होंठ और साथ में छोटी पतली कमर महिलाएं चाहती थीं। पतली कमर की चाहत ने ही टेपवर्म डाइट को मशहूर बनाया था।

16 इंच की कमर पाने के लिए फेमस हुई टेपवर्म डाइट

1800 के दौर में अमेरिका के इंजीनियर चार्ल्स गुडइयर ने रबर में बदलाव करके उसे ज्यादा लचीला और उससे दूसरी चीजों को बनाने लायक बनाया। इसके बाद औद्योगिक क्रांति हुई। इससे कोरसेट बनने लगे। कोरसेट कमर पर पहना जाता है। इसे बनाने के पीछे की यह सोच रही कि जब इसे कमर पर पहना जाएगा तो पसीना आएगा जिससे चर्बी कम होगी और वजन भी घटेगा। कोरसेट को स्त्री और पुरुष दोनों पहनते थे।

महिलाएं इसे पहनकर ज्यादा स्लिम नजर आतीं। इसमें कई तरह के स्टाइलिश डिजाइन भी आते थे। यानी कोरसेट उस जमाने का फैशन स्टेटमेंट था।

विक्टोरिया युग में महिलाओं के बीच कोरसेट पहनने का चलन खूब बढ़ा। उस दौर में 16 इंच की कमर परफेक्ट मानी जाती थी। 16 इंच की कमर पाने के लिए महिलाओं ने टेपवर्म डाइट पिल्स खानी शुरू कीं।

इस डाइट पिल्स को मैजिक पिल के तौर पर देखा जाता, लेकिन हकीकत जादू से कहीं ज्यादा भयानक और डरावनी थी। इतिहासकार भी पता नहीं लगा पाए कि ये डाइट पिल्स आखिर बनाई किसने?

यह वही समय था जब मशीनों और पिल्स से वजन घटाने के विज्ञापन जोर-शोर से बन रहे थे और लोग पतला दिखने की चाहत में इन्हें खरीद भी रहे थे। हालांकि पहले विश्व युद्ध (1914 –1918) के दौरान इन पर काफी हद तक अंकुश लग गया।

टेपवर्म डाइट लेने से होता है सिर्फ नुकसान

दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. अनिल अरोड़ा ने वुमन भास्कर को बताया कि टेपवर्म या इसकी पिल्स बेचना और खाना आज गैरकानूनी है। ये कीड़े किसी भी तरह से फायदेमंद नहीं हैं। मेडिकल अथॉरिटीज ने भारत समेत सभी देशों में भी इन पर बैन लगाया है। टेपवर्म लिवर, अपेंडिक्स, पैंक्रियाज और ब्रेन को नुकसान पहुंचाते हैं।

इन कीड़ों से बचने से लिए ही पहले के जमाने में बच्चों को जन्मघुट्‌टी पिलाई जाती थी। यह कड़वी दवा थी जो इन कीड़ों से होने वाली बीमारी जैसे डायरिया से बचाती थी। टेपवर्म को पेट से बाहर निकालने के लिए बाजार में गोलियां भी आने लगी हैं। ये गोलियां डिवॉर्मिंग में भी दी जाती हैं जो डॉक्टर की सलाह से ही लेनी चाहिए।

ये दवा कीड़ों की मसल्स में जाती हैं जो उन्हें मारकर मोशन के जरिए शरीर से बाहर निकाल देती हैं।

टेपवर्म से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। ग्राफिक्स पढ़िए:

टेपवर्म से होने वाला इंफेक्शन ट्रांसफरेबल

टेपवर्म से होने वाला इंफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो सकता है। भले ही वह नॉन वेज न खाता हो। अगर कोई इसके इंफेक्शन से ग्रस्त है और दूसरा व्यक्ति उसके साथ बैठकर खाना खा रहा है।

एक ही बर्तन, ग्लास, प्लेट यूज कर रहा है तो उस व्यक्ति के हाथों से यह इंफेक्शन दूसरे व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। इसलिए हाथों की सफाई जरूरी है।

वेट लॉस पिल्स भूख मारती है

बाजार में कई वेट लॉस पिल्स बिक रही हैं। यह पिल्स बॉडी के एनर्जी लेवल को मेंटेन रखते हुए बॉडी का फैट बर्न करती हैं। इन टैबलेट्स को खाने के बाद भूख या तो बिल्कुल नहीं लगती या कम लगती है और पेट भरा-भरा लगता है।

अधिकतर पिल्स में फाइबर होता है। भूख तभी लगती है जब शरीर एनर्जी मांगता है। ये गोलियां फैट ऑक्सिडेंट को बढ़ाकर शरीर की एनर्जी बढ़ाती हैं। यानी ये गोलियां भूख को मारती हैं जो एक अननैचुरल प्रोसेस है।

कुछ लोग इमोशनल ईटिंग के शिकार होते हैं। इन पिल्स में विटामिन बी और कैफीन होता है जो इमोशंस को कंट्रोल करता है और व्यक्ति ओवरईटिंग से बच जाता है।

कुछ पिल्स ऐसी होती हैं जिनमें हाई फाइबर होता है यानी ग्लूकोमनन होता है। यह खाने से पहले दी जाती है ताकि व्यक्ति जरूरत से ज्यादा न खाए। किसी भी वेट लॉस पिल को डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए। लंबे समय तक इस तरह की पिल्स खाई जाएं तो नींद और सेहत दोनों पर बुरा असर पड़ता है। इससे कॉन्स्टिपेशन, पेट में दर्द, उल्टी, गैस की समस्या हो सकती है। दिल, लिवर और किडनी भी खराब हो सकते हैं।

20 दिन में वजन कम, लेकिन सेहत को खतरा

दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की डायटीशियन पूजा पंवार ने कहा कि टेपवर्म डाइट से भले ही इंसान का वजन 20 दिनों में कम होने लगे लेकिन सेहत के हिसाब से यह खतरनाक है। टेपवर्म कार्बोहाइड्रेट लेते हैं। इसी से ग्लूकोज निकलता है जो शरीर को ताकत देता है।

जब कीड़े इसे खाने लगते हैं तो शरीर में कमजोरी होने लगती है। इस डाइट से व्यक्ति को पेट से जुड़ी बीमारियां घेर लेती हैं। लंबे समय तक ऐसा किया जाए तो इंसान की जान तक जा सकती है।

अगर किसी के पेट में कीड़े हों तो डायटीशियन उन्हें शरीर से निकालने के लिए हाई फाइबर डाइट लेने की सलाह देते हैं। सब्जी और फल खाने से ये कीड़े मोशन के जरिए आसानी से निकल जाते हैं।

आगे बढ़ने से पहले ग्राफिक्स के जरिए जानिए क्या है आपका बीएमआई:

बिना सलाह के न करें कोई डाइट शुरू

वजन हमेशा नेचुरल तरीके से घटाना चाहिए। 1 महीने में 3-4 किलो वजन कम करना नॉर्मल है। हर इंसान का शरीर अलग होता है। डाइट बताने से पहले व्यक्ति के मेडिकल टेस्ट कराए जाते हैं और उनकी मेडिकल हिस्ट्री पूछी जाती है। उसके बाद डाइट बताई जाती है।

कभी भी खुद से कोई डाइट फॉलो नहीं करनी चाहिए। वजन कम करने का सिंपल फाॅर्मूला है कि जितनी कैलोरी लें, उतनी बर्न करें। इससे कभी मोटापा नहीं आएगा।

अमेरिका में टेपवर्म पिल्स पर बैन, मोटापा दूर करने पर शोध जारी

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार हर साल अमेरिका में 1000 नए टेपवर्म इंसानों को इंफेक्शन देते हैं।

अमेरिका में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने टेपवर्म डाइट पिल्स पर बैन लगाया है। वहां ये गोली चोरी-छिपे बेची जाती है।

मोटापा दुनिया के लिए चिंता का विषय बन चुका है। ऐसे में पिछले दिनों कैलिफोर्निया में ओबेसिटी वीक सम्मेलन हुआ। इसमें एक शोध के नतीजे साझा किए गए। इसमें एक दवा को लगभग 16 महीनों के लिए साप्ताहिक इंजेक्शन के तौर पर दिया गया। लोगों की जीवनशैली भी बदलवाई गईं। इससे प्रतिभागियों को 20% तक वजन घटाने में कामयाबी मिली।

यहीं नहीं, एक ऐसी दवा पर शोध चल रहा है जो खाने के आधे घंटे पहले ली जाएगी। इससे पेट भरा भरा लगेगा तो व्यक्ति ओवरईटिंग से बचेगा जिससे वजन कंट्रोल रहेगा।

मोटापा दूर करने के लिए कुछ सर्जरी भी की जाती हैं, ग्राफिक्स से जानिए :

कुछ लोग मोटापे के नहीं, एनोरेक्सिया के शिकार

दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट में बैरिएट्रिक एंड जीआई सर्जरी के डायरेक्टर डॉ. संजय वर्मा ने बताया कि जरूरी नहीं हर इंसान मोटापे से परेशान हो। कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो पतले होते हैं लेकिन दिमाग में मोटे होने का फितूर सवार होता है।

इसे एनोरेक्सिया कहा जाता है जो ईटिंग डिसऑर्डर होता है। इसमें लोग पहले ही बहुत अंडरवेट होते हैं लेकिन उन्हें वजन बढ़ने का डर सताता रहता है या लगता है कि मोटे हैं। वह वजन कम करने के लिए खाने पर पाबंदी लगा देते हैं। हमेशा कैलोरी गिनते रहते हैं और कई बार कैलोरी कंट्रोल करने के लिए खाने के बाद जबरदस्ती उल्टी कर देते हैं। हद से ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं।

जिन लोगों को एनोरेक्सिया होता है वह चिड़चिड़े होते हैं। नींद नहीं आती, किसी काम में मन नहीं लगता और रिश्तों में भी खटास रहती है। यह डिसऑर्डर 14 साल से 40 साल की उम्र के लोगों के बीच ज्यादा देखा जाता है।

ऐसे लोग खून की कमी, कमजोर हड्डियों, कमजोर मसल्स, इनडाइजेशन और ब्लोटिंग जैसी पेट से जुड़ी समस्याओं से जूझते हैं। महिलाओं को अनियमित पीरियड्स और पुरुषों को टेस्टस्टेरोन के घटने की दिक्कत होती है। एनोरेक्सिया से ग्रस्त लोगों की अचानक जान तक जा सकती है।

ग्रैफिक्स: सत्यम परिडा

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