सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पहली बार इस साल से एनडीए में महिलाओं को जगह दी जा रही है। केंद्र सरकार ने कोर्ट का आदेश मानते हुए इस साल से महिलाओं का प्रवेश एनडीए में शुरू कर दिया है। लेकिन महिलाओं के लिए वैकेंसी सिर्फ 19 ही निकाली गई हैं। जबकि कुल वेकेंसी 370 हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल डिफेंस एकेडमी में महिलाओं के लिए निकाली गई 19 वैकेंसी पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चिंता जाहिर की है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर इस पर जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 6 मार्च को होगी।
पिछले साल कहा गया था कि महिलाओं के एकेडमी में आने से उन्हें नए इन्फ्रास्ट्रक्चर और अलग फिजिकल ट्रेनिंग स्टैंडर्ड की जरूरत होगी। एनडीए कभी भी महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए नहीं थी। महिलाओं के लिए अलग आवास के साथ ही एक अलग स्क्वाड्रन जैसे व्यावहारिक मुद्दों को हल करने के लिए नया बुनियादी ढांचा बनाना होगा। कहा जा रहा है कि सरकार की ओर से इस पर काम किया जा रहा है।
अभी तक केवल पुरुषों को मिलता था स्थायी कमी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले आर्मी में 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) में सेवा दे चुके पुरुषों को ही स्थायी कमीशन का विकल्प मिल रहा था, लेकिन महिलाओं को यह हक नहीं था। दूसरी ओर वायुसेना और नौसेना में महिला अफसरों को स्थायी कमीशन मिल रहा है। महिलाएं शॉर्ट सर्विस कमीशन के दौरान आर्मी सर्विस कोर, ऑर्डिनेंस, एजुकेशन कोर, एडवोकेट जनरल, इंजीनियर, सिग्नल, इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रिक-मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में ही एंट्री पा सकती हैं। उन्हें कॉम्बैट सर्विसेस जैसे- इन्फैंट्री, आर्म्ड, तोपखाने और मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में काम करने का मौका नहीं दिया जाता। हालांकि, मेडिकल कोर और नर्सिंग सर्विसेस में ये नियम लागू नहीं होते। इनमें महिलाओं को परमानेंट कमीशन मिलता है। वे लेफ्टिनेंट जनरल की पोस्ट तक भी पहुंची हैं।
43 हजार अफसरों में अभी 1600 से ज्यादा महिलाएं
इस साल सुप्रीम कोर्ट के कई आदेश के बाद सेना में स्थायी कमीशन पाने वाली महिला अधिकारियों की संख्या बढ़कर 424 हो गई है। वहीं, एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना में करीब 43,000 अफसर हैं जिनमें से 1,653 महिलाएं हैं। हाल ही में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने उत्तराखंड में अपनी 75 रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी के लिए पहली बार एक महिला सेना अधिकारी को ऑफिसर कमांडिंग नियुक्त किया है। मेजर आइना राणा सड़क निर्माण कंपनी की कमान संभालने वाली पहली भारतीय सेना इंजीनियर अधिकारी हैं। उनके अधीन तीनों प्लाटून कमांडर- कैप्टन अंजना, एईई (सिविल) भावना जोशी और एईई (सिविल) विष्णुमाया महिला अधिकारी हैं। इससे पहले भी कई महिलाएं वायुसेना, नौसेना में उच्च पदों पर पहुंची हैं। इसी साल मई में पहली बार 83 महिलाओं को जवान के रूप में सेना में भर्ती किया गया।
इंडियन आर्मी में 12 लाख पुरुषों के मुकाबले 7 हजार महिलाएं
संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक, इंडियन आर्मी में करीब 12 लाख पुरुष हैं, जबकि महिलाओं की संख्या तकरीबन 7 हजार ही है। पुरुषों के लिहाज से महिलाओं का अनुपात 0.56 फीसदी ही है।वहीं, अगर इंडियन एयर फोर्स की बात करें तो इसमें करीब 1.5 लाख पुरुष हैं। वहीं, महिलाओं की संख्या 1600 ही है। यहां अनुपात 1 फीसदी से थोड़ा ज्यादा बैठता है।इसके अलावा इंडियन नेवी में पुरुषों की संख्या दस हजार है, जबकि महिलाएं 700 ही हैं। इस फोर्स में महिलाओं का प्रतिशत 6.5 है।
तीनों सेनाओं में कुल 9118 महिला अधिकारी
भारत की तीनों सेनाओं में कुल मिलाकर करीब 9,118 महिलाएं हैं। भारत की तीनों सेनाओं में साल 2019 की तुलना में 2020 में महिलाओं की संख्या बढ़ी है। भारत में महिलाएं फाइटर एयरक्राफ्ट उड़ाने और समुद्र में सैनिक जहाजों पर अहम जिम्मेदारियां संभालने के साथ ही स्पेशल ऑपरेशन के जरिए दुश्मन को सबक सिखाने में अहम भूमिकाएं निभा रही हैं। अगर पुरुषों और महिला अधिकारियों के रेशियो की बात करें तो सबसे अधिक महिलाएं नेवी में काम कर रही हैं। नेवी की कुल क्षमता का लगभग 6.5 फीसदी महिलाएं हैं।
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