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रणवीर-आयुष्मान पहनते हैं स्कर्ट:पुरुषों में महिलाओं की ड्रेस पहनने का ट्रेंड ‘जेंडर फ्री फैशन’, गारमेंट्स स्टोर्स में आया ऐन्ड्रॉजनस सेक्शन

नई दिल्ली5 महीने पहलेलेखक: ऐश्वर्या शर्मा
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‘कॉफी विद करण’ के सातवें सीजन के अंतिम एपिसोड में करण जौहर ने रणवीर सिंह को अपना ‘फैशन बडी ‘(Fashion buddy) बताया। उन्होंने कहा था कि हम मैसेज कर एक-दूसरे की लुक्स की तारीफ करते रहे हैं। इसी शो के पहले एपिसोड में रणवीर सिंह ने खुलासा किया कि उनकी मदर-इन-लॉ को उनका वॉर्डरोब स्वीकार करने में समय लगा। हालांकि, उनके पास 2 वॉर्डरोब हैं। जब उन्हें दीपिका पादुकोण के पेरेंट्स के घर जाना होता है तो वह सफेद टी-शर्ट और जींस ही पैक करते हैं।

रणवीर सिंह की ड्रेसिंग सेंस का भले ही लोग मजाक बनाएं लेकिन कम ही लोगों को पता है कि उनका फैशन एक खास कैटिगरी में आता है। उनका यह ड्रेसिंग स्टाइल ‘जेंडर फ्री फैशन’ कहलाता है।

तो आइए-आज हम इसी ‘जेंडर फ्री फैशन’ पर बात करते हैं। क्या है यह फैशन, कौन लोग इसे पसंद करते हैं, इसे पहनते हैं और इसे पॉपुलर बना रहे हैं। साथ ही यह भी जानने की कोशिश करते हैं कि इसके पीछे की सोच क्या है?

अभी तक आप यह सोचते होंगे कि स्कर्ट, साड़ी, सलवार-सूट, ट्यूनिक…यानी वुमन वेयर ही है। वहीं, कुर्ता-पजामा, पेंट-शर्ट-कोट, टाई, धोती जेंट्स वेयर है। लेकिन अब वक्त फिर पुराने दौर में लौट रहा है। फैशन ने अब मेल-फीमेल का भेदभाव करना छोड़ दिया और धीरे-धीरे बन गया है ‘जेंडर फ्री फैशन।’ और इसे अब नया नाम भी मिल गया है जिसे ऐन्ड्रॉजनस फैशन कहा जा रहा है।

भले ही आपको गारमेंट स्टोर्स या मॉल में मेल और फीमेल सेक्शन अलग मिलें, लेकिन इसमें ‘ऐन्ड्रॉजनस फैशन’ का सेक्शन भी शामिल हो गया है।

आगे बढ़ने से पहले ग्राफिक्स से समझें ‘ऐन्ड्रॉजनस फैशन’ क्या है:

ऐसा फैशन जिसे महिला-पुरुष दोनों अपना सकें

ऐन्ड्रॉजनस लैटिन शब्द है। ग्रीक में ऐन्ड्रास पुरुष और गून महिला को कहा जाता है। ऐन्ड्रॉजनस का मतलब है मेल और फीमेल क्वॉलिटीज का मिला-जुला स्टाइल।

नॉन बाइनरी जेंडर आइडेंटिटी को जाहिर करने वाले व्यक्ति चाहे वह पुरुष या स्त्री , ऐन्ड्रॉजनस फैशन या जेंडर फ्री फैशन को अपनाते हैं और अपनी जेंडर फ्री सोच को अपने फैशन के जरिए शो करते हैं। आसान लहजे में समझाएं तो ऐन्ड्रॉजनस फैशन अपनाने वाला अपने आपको महिला-पुरुष की पहचान से ऊपर उठकर देखता है और इन गारमेंट्स को महिला और पुरुष दोनों पहन सकते हैं। भले ही वह साड़ी, जींस, या कुछ भी हो।

नॉन बाइनरी क्या होता है

कुछ लोग अपने आपको जेंडर में बांधकर नहीं देखते। वक्त के साथ उनकी जेंडर के प्रति सोच बदली है। उनका जेंडर भले ही मेल या फीमेल रहे, लेकिन वह बहुत खुले विचारों के होते हैं जो खुद को और पहनावे को पुरुष-स्त्री के दायरे से बाहर निकलकर देखते हैं। यह लोग अपनी पहचान को एक नए अंदाज में दुनिया के सामने लाते हैं और यही उनकी पर्सनैलिटी को खास बनाता है।

आयुष्मान के भाई अपारशक्ति खुराना ने इंस्टाग्राम पर फ्रिल लगी शर्ट की फोटो पोस्ट कर ऐन्ड्रॉजनस फैशन का बेहतरीन उदाहरण पेश किया।
आयुष्मान के भाई अपारशक्ति खुराना ने इंस्टाग्राम पर फ्रिल लगी शर्ट की फोटो पोस्ट कर ऐन्ड्रॉजनस फैशन का बेहतरीन उदाहरण पेश किया।

आलोचना के साथ तारीफ भी

इंडियन सिलेब्स इस फैशन के ट्रेंड को दोबारा लाए हैं। बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह अक्सर फेमिनिन स्टाइल, पैटर्न, कलर्स और डिजाइन के कपड़े पहने दिखते हैं।

वहीं, आयुष्मान खुराना फिल्मों के साथ-साथ अपने लुक और स्टाइल के साथ भी एक्सपेरिमेंट करते नजर आते हैं। एक इवेंट में वह बंद गले की नेहरू जैकेट के साथ काली स्कर्ट में दिखे। बस समझ लीजिए यही जेंडर फ्री फैशन का लुक है।

इनके अलावा कई पुरुष एक्टर ट्रांसपेरेंट टॉप पहने भी दिखते हैं। इस मामले में हीरोइन भी कम नहीं हैं। वह भी खूब जेंडर फ्री फैशन को अपनाती हैं।

ग्राफिक्स में देखिए कौन से बॉलीवुड सेलेब्स को भाया जेंडर फ्री फैशन:

मर्द सदियों से पहन रहे हैं स्कर्ट

स्कर्ट को हमेशा लड़कियों से जोड़कर देखा जाता है। क्यों? स्कूलों में भी स्कर्ट गर्ल्स की और पेंट बॉयज की यूनिफॉर्म का हिस्सा होता है। हालांकि, फैशन की हिस्ट्री में जाएं तो इजिप्ट में स्कर्ट लड़कियां और लड़के सभी पहनते थे।

मेसोपोटामिया के सुमेर साम्राज्य में लगभग 30 हजार साल पहले बॉयज बेल्ट के साथ लॉन्ग स्कर्ट पहनते थे जिसे कौनकेस (kaunakes) कहा जाता था। यह एनिमल स्किन और ऊन से बनती थी।

वहीं, ग्रीस में टी शेप की ट्यूनिक पहनी जाती जिसका नाम ‘चिटॉन’ था। यह ड्रेस जेंडर फ्री कैटिगरी में आती थी जिसे औरत और मर्द सभी पहनते।

रोम ने ग्रीस के कल्चर को अपनाते हुए चिटॉन को अपनाया। यह स्कर्ट आज की मिनी स्कर्ट जैसी थी।

13-15वीं शताब्दी के बीच कई नए डिजाइन बने। पुरुषों की ड्रेस में जहां बटन लगे। वहीं, महिलाओं की ड्रेसेज बिना बटन की डीप नेक लाइन वाली होती। पुरुषों की ड्रेस की लंबाई कम रखी गई, जबकि महिलाओं की ज्यादा। पुरुषों की स्कर्ट में ‘स्लिट्स’ यानी लंबे कट लगाए गए, ताकि घुड़सवारी आराम से की जा सके।

यूरोप में यूनान के साथ ही बॉलकन में भी पुरुष कॉटन की स्कर्ट पहना करते जिसे Fustanella कहा जाता। यह बॉलकन की ट्रैडीशनल ड्रेस भी है।

ग्राफिक्स से समझें, दुनिया के हर देश में पहनी जाती हैं ऐसी ड्रेसेज:

नाम नया, ट्रेंड पुराना

सारी यूनिसेक्स ड्रेसेज ऐन्ड्रॉजनस फैशन का हिस्सा हैं। फैशन डिजाइनर शिल्पी आहूजा ने बताया कि ऐन्ड्रॉजनस फैशन भले ही नया नाम है, लेकिन इसका ट्रेंड पुराना है।

यह कपड़े पहनने की पर्सनल चॉइस है जो इंसान को कम्फर्ट देती है। यह खुद का ईजाद किया फैशन है, यानी इंसान अपने कम्फर्ट के हिसाब से अपना ड्रेसिंग स्टाइल चुनता है। ऐन्ड्रॉजनस फैशन में लूज कपड़े ज्यादा आते हैं।

जैसे एक लड़की अपने पिता, भाई या हस्बैंड की शर्ट को वन पीस की तरह इस्तेमाल कर सकती है। या लड़के लड़कियों के ओवर साइज पायजामे या जींस को पहन सकते हैं।

यह स्टाइल अभी तक हमारे घरों तक सीमित था, लेकिन अब फैशन डिजाइनर और ब्रैंड कस्टमर्स को कपड़ों को कस्टमाइज करने का ऑप्शन देते हैं। कस्टमर अपना फैशन खुद क्रिएट कर रहे हैं जिसमें स्टाइल से पहले कम्फर्ट आता है।

कई नामी ब्रैंड आज इसी पैटर्न के कपड़े बना रहे हैं जिसे स्टोर से पुरुष और महिला कोई भी खरीद सकता है। इस पर यूनीसेक्स भी नहीं लिखा होता।

ऐन्ड्रॉजनस फैशन जिसे न्यूट्रल क्लोदिंग, जेंडर फ्री फैशन या यूनिसेक्स क्लोदिंग भी कहा जाता है, आज हर बड़े ब्रैंड स्टोर में मौजूद है। जारा, H&M, Valentino, KGL, HUEMN, KOYTOY समेत कई ब्रैंड कस्टमर्स को इस यूनीक स्टाइलिंग का ऑप्शन दे रहे हैं।

इंडिया के लिए यह फैशन नया नहीं

शिल्पी आहूजा ने वुमन भास्कर को बताया कि हमारे देश में साड़ी पहनने का कल्चर बहुत पुराना है।

साड़ी एक फैब्रिक है जिसे महिलाएं साड़ी की तरह ही और पुरुष धोती या दुशाले की तरह पहनते हैं। यानी जेंडर अपने कम्फर्ट के हिसाब से कपड़े का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका बेहतरीन उदाहरण है-महाराष्ट्र में महिलाएं साड़ी पुरुषों की धोती के स्टाइल में पहनती हैं।

अगर आज भी पंजाब के गांवों में जाएंगे या कोई पुरानी पंजाबी फिल्म देखेंगे तो पाएंगे कि महिलाएं अपने पति के लूज कुर्ते के नीचे लुंगी पहनती थीं।

हरियाणा में महिलाएं जो घाघरे के ऊपर कमीज पहनती हैं, उनमें मर्दों की शर्ट की तरह ही कॉलर, जेब, कफ के साथ ही यह साइड से स्लिट भी होती है।

पुराने जमाने में अनारकली ड्रेसेज बहुत पॉपुलर थी। लखनऊ में जो पुरुष लोक नृत्य करते हैं उसकी ड्रेसेज में ‘कलियां’ डाली जाती हैं। उसे कलीदार कुर्ता कहा जाता है।

पुराने जमाने में राजा और रानी कलीदार कुर्ता पहना करते थे। अवधी कॉस्ट्यूम में राजा और रानी दोनों अंगरखा पहना करते थे।

हरियाणवी सिंगर, डांसर और बिग बॉस 11 की कंटेस्टेंट रहीं सपना चौधरी हरियाणा की पारंपरिक ड्रेस पहने हुए।
हरियाणवी सिंगर, डांसर और बिग बॉस 11 की कंटेस्टेंट रहीं सपना चौधरी हरियाणा की पारंपरिक ड्रेस पहने हुए।

फैशन ने महिला-पुरुष का भेद तोड़ा

सेलिब्रिटी फैशन डिजाइनर सलीम असगर अली ने बताया कि बीच में एक ऐसा दौर भी आया था कि जेंडर के हिसाब से कपड़ों का बंटवारा हो गया, लेकिन अब यह दीवार टूटी है। आज की जनरेशन और LGBTQ समेत कई कम्युनिटी ने इस भेद को तोड़ा।

ऐन्ड्रॉजनस फैशन हमारे पूर्वजों की देन रहा है। पुराने जमाने में कपड़े किसी एक जेंडर से जुड़े हुए नहीं थे।

फैशन ने अब लोगों को कुछ भी पहनने की आजादी दी है। वह कहते हैं कि 'मैं खुद भी ‘जेंडर फ्लूइड’ हूं। यानी जब जैसा मन हुआ वैसी ड्रेस पहन ली। जेंडर फ्लूइड (gender fluid) यानी कभी मैं अपने अंदर ‘मेल’ को ज्यादा महसूस करता हूं और कभी मेरे अंदर का ‘फेमिनिन साइड’ जाग जाता है। एक दिन मुझे लगता है कि मैं मर्द हूं और फिर अगले दिन मेरे अंदर छिपी कमसिन स्त्री बाहर आने को बैचेन होती है। तो मैं वैसे ड्रेसअप करता हूं।'

साड़ी और मेकअप में सलीम असगर अली के डिफरेंट लुक:

फ्रांस के किंग बने मिसाल

फ्रांस में 1643-1715 तक शासन कर चुके किंग लुईस द ग्रेट जिन्हें Louis XIV भी कहा जाता था, उनका स्टाइल भी ऐन्ड्रॉजनस फैशन की मिसाल बना। वह डायवर्टेड स्कर्ट (Diverted Skirt), स्टॉकिंग्स, लंबा विग और हाई हील्स पहना करते थे।

फ्रांस के किंग लुईस द ग्रेट की तस्वीर, सोर्स: विकीपीडिया
फ्रांस के किंग लुईस द ग्रेट की तस्वीर, सोर्स: विकीपीडिया

इंडस्ट्री रेवॉल्यूशन ने किया कपड़ों का बंटवारा

फ्रेंच रेवॉल्यूशन (1789 –1799) और इंडस्ट्री रेवॉल्यूशन (1760 –1840) ने महिला और पुरुषों के कपड़ों के पहनने का अंदाज न केवल फ्रांस बल्कि दुनिया में बदल दिया। ब्रिटेन में क्वीन विक्टोरिया के राज में पुरुषों का ब्राइट कलर्स पहनना बिल्कुल कम हो गया। ब्रिटिश साइकोलॉजिस्ट जॉन फ्लूजेल ने इसे पुरुषों का सबसे बड़ा त्याग कहा। स्कर्ट महिलाओं के खेमों में आ गई थी।

1920 में कुछ डिजाइनर्स ने ऐन्ड्रॉजनस फैशन को दुनिया के सामने शोकेस किया तो लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। कुछ लोगों ने इसे बदलाव के तौर पर देखा तो कुछ ने इसकी आलोचना की। 1930 में आधुनिकता के दौर में विदेशी फैशन शो में ऐसी ड्रेसेज देखने को मिलीं।

जब पहली बार महिला ने पब्लिक में पहना ‘मर्दाना सूट’

प्यूर्टो रिको की मशहूर लेखिका और वुमन राइट्स की एक्टिविस्ट—लुइसा कैपेटिलो ने मर्दाना सूट और टाई पहनी। धीरे-धीरे महिलाओं ने मर्दों के कपड़े अपनाने शुरू कर दिए।

अमेरिका की मशहूर फैशन डिजाइनर एलिजाबेथ स्मिथ मिल्ली पहली डिजाइनर थीं जिन्होंने महिलाओं के लिए अलग तरह के ट्राउजर बनाए जिन्हें 'द ब्लूमर' नाम दिया गया और आजकल बच्चों के लिए भी ब्लूमर बनाए जाते हैं।

1850 में 'द ब्लूमर' पॉपुलर होने लगा और यह पैंट महिलाओं के वार्डरोब का हिस्सा बन गई।

आगे बढ़ने से पहले देखिए पुराने जमाने में भी था 'ऐन्ड्रॉजनस फैशन':

फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के आसपास महिलाओं में फ्लैपर स्टाइल बना ट्रेंड

1914 में शुरू हुए पहले विश्वयुद्ध के आसपास कपड़ों में लिंगभेद मिटने लगा था। उन दिनों फैशन जगत के बड़े नाम Coco Chanel और Paul Poiret ने फ्लैपर स्टाइल को पॉपुलर किया। फ्लैपर स्टाइल यानी ट्राउजर और चिक बॉब हेयरस्टाइल, महिलाओं के बीच ट्रेंड बना। सेलेब्स ने इसे पॉपुलर किया।

1930 में जर्मनी की एक्ट्रेस Marlene Dietrich पहली सिलेब थी जिन्होंने फ्लैपर ऐन्ड्रॉजनस स्टाइल को अपनाया।

सिनेमा और म्यूजिक से जुड़े लोग लाए क्रांति

1960-70 के दशक में पश्चिमी देशों में महिलाओं की आजादी के लिए आंदोलन शुरू हुआ। फ्रांस की मशहूर कंपनी Yves Saint Laurent ने ‘Le Smoking’ सूट डिजाइन किया।

वहीं, अमेरिका के मशहूर सिंगर एल्विस प्रेस्ली भी ऐन्ड्रॉजनस स्टाइल में ड्रेस होकर आई मेकअप के साथ परफॉर्म करते दिखे।

ग्राफिक्स: सत्यम परिडा

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