1980 की बात है। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी RSS के प्रचारक थे। वह एक स्वयंसेवक के घर गए जो झुग्गी में अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रहता था। घर आए मेहमान को उन्होंने थाली में बाजरे की आधी रोटी और दूध की एक कटोरी परोसी। स्वयंसेवक की पत्नी बच्चे को गोद में लेकर वहीं पास में बैठी थीं।
बच्चा दूध की कटोरी को देख रहा था। मोदी समझ गए थे कि जो दूध उन्हें परोसा गया है, वह बच्चे के लिए ही आया होगा। ऐसे में उन्होंने रोटी को पानी में डुबोकर खा लिया और दूध बच्चे को पिलाने के लिए मां को लौटा दिया। जैसे ही मां ने बच्चे को दूध दिया वह एक सांस में उसे गटक गया। यह देख वहां सबकी आंखें नम हो गई थीं। यह किस्सा गुजरात के मशहूर डॉक्टर अनिल रावल अक्सर सुनाया करते हैं। तब वह मोदी के साथ थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने अगस्त 2022 के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में 1 से 30 सितंबर को ‘न्यूट्रिशन मंथ’ बताया और कहा कि बाजरा पैदा करने में भारत दुनिया में सबसे आगे है। सभी भारतीयों को इसे खाना चाहिए। यही अनाज कुपोषण से लड़ने के लिए फायदेमंद है।
शायद आप सोच रहे होंगे कि हम बार-बार बाजरे का जिक्र ही क्यों कर रहे हैं?
दरअसल, साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। 2021 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र को इसका प्रस्ताव भेजा था। बाजरा जैसा स्मार्ट फूड अपने आप में कंप्लीट मील है।
बाजरा तो एक ही है लेकिन देश के हर हिस्से में लोग इसे अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। आइए, जानते हैं बोली बदलने के साथ ही कैसे इसका नाम बदल जाता है......
जिस बाजरे की बात हम आपसे कर रहे हैं उसका जिक्र इतिहास में भी मिलता है, जिसे आज स्मार्ट या सुपर फूड नाम दिया जा रहा है।
मौर्य राजवंश में सर्दी के मौसम में खाया जाता था बाजरा
जब शेरशाह ने दिल्ली के लिए छोड़ा 'बाजरा'
दिल्ली सल्तनत का शासक शेरशाह सूरी एक साहसी योद्धा था। वह अपना शासन बढ़ाने के लिए राजस्थान पर कब्जा करना चाहता था। उसका मुकाबला जोधपुर मारवाड़ के राजा मालदेव के सेनानायक जैताजी और कूपाजी से हुआ। यह बात 1543 की है।
इस समय गिरी-सुमेल की लड़ाई लड़ी गई, जिसमें शेरशाह सूरी कमजोर पड़ गया। मारवाड़ की सेना दिल्ली के करीब पहुंच गई थी। ऐसे में शेरशाह सूरी ने मैदान छोड़ने का फैसला किया।
युद्ध के बाद शेरशाह सूरी ने कहा, ’बोल्यो सूरी बैन यूं, गिरी घाट घमसाण, मुठी खातर बाजरी, खो देतो हिंदवाण।’ यानी ‘आज मैं मुट्ठी भर बाजरे के लिए पूरे हिंदुस्तान की सल्तनत खो देता।’
शेरशाह सूरी ने बाजरे का जिक्र इसलिए किया, क्योंकि राजस्थान में सबसे ज्यादा बाजरे की पैदावार होती है।
बाजरे का राजस्थान से पुराना नाता
दुनिया में सबसे ज्यादा बाजरा भारत में उगता है जिसकी 85% पैदावार अकेले राजस्थान में होती है। दरअसल, राजस्थान का मौसम शुष्क होता है, जमीन कम उपजाऊ होती है और बाजरा इसी तरह की रेतीली जमीन और सूखे मौसम में बेहतर उगता है।
राजस्थान में आपको बाजरे की रोटी से लेकर खिचड़ी तक मिल जाएगी। मारवाड़ी खिचड़ी को ‘खिचड़ा’ या ‘खिच’ कहते हैं। वहां चीला, बाटी-चूरमा, हलवा, कचौड़ी, मठरी समेत तमाम चीजें बाजरे की मिलती हैं।
बाजरे के साथ-साथ ही ज्वार और रागी भी बहुत फायदेमंद हैं। आखिर कैसे ? आइए, जानते हैं इस ग्राफिक्स से...
अफ्रीकी रेगिस्तान से होते हुए भारत पहुंचा था बाजरा
बाजरा सबसे पहले अफ्रीका में ही उगाया जाता था। अफ्रीका के कुछ इलाकों की जलवायु भी कमोबेश राजस्थान की तरह ही है। वहीं से इसे भारत लाया गया। कर्नाटक के ‘हल्लूर’ में हुई खुदाई के दौरान इसकी खेती के सबूत मिले हैं। इतिहासकारों के अनुसार 1500 ईसा पूर्व के आसपास भारत में बाजरे की खेती शुरू की गई होगी।
एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि बाजरे को सबसे पहले करीब 4500 साल पहले अफ्रीकी देश माली में उगाया गया था।
बाजरा है ‘स्मार्ट फूड’, भारत को देख उगाने लगे कई देश
बाजरे में पूरे पोषक तत्व मिलते हैं, जिस वजह से इसे स्मार्ट फूड कहना गलत नहीं होगा। यह ग्लूटन फ्री है और यह प्रोटीन से भरपूर होता है। इसमें विटामिन बी 6, फ्लोराइड, आयरन और जिंक भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है।
एक समय था जब बाजरा सिर्फ भारत और पश्चिम अफ्रीका में उगता था, क्योंकि इसकी फसल को सूखी और कम उर्वरता की मिट्टी और ऊंचा तापमान चाहिए होता है। इसके फायदे देखकर दुनिया के कई देशों ने इसे उगाना शुरू कर दिया।
जिनको गेहूं से परेशानी, उनके लिए बेहतर है बाजरा
डाइटीशियन कामिनी सिन्हा कहती हैं कि बाजरे में प्रोटीन और फाइबर भरपूर मात्रा में है। जिन लोगों को सीलिएक बीमारी (Celiac disease) है, उनके लिए यह बहुत अच्छा है। क्योंकि यह ग्लूटन फ्री है। इस बीमारी के मरीज को गेहूं नहीं पचता, क्योंकि उसमें ग्लूटन होता है।
मरीज की आंतें गेहूं में मौजूद ग्लूटन को पचा नहीं पातीं जिससे लगातार लूज मोशन रहते हैं। शाकाहारी लोगों के लिए यह प्रोटीन का बहुत अच्छा सोर्स भी है। इसमें मौजूद फाइबर शरीर के पानी को सोखता है जिससे वजन नहीं बढ़ता।
स्मार्ट फूड हर बीमारी के लिए रामबाण है। महिला और पुरुष दोनों के लिए यह फायदेमंद है। कैसे, आइए जानते हैं इस ग्राफिक्स के जरिए...
डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल पर रखता है कंट्रोल
बाजरा में मैग्नीशियम अच्छी मात्रा में मिलता है जो इंसुलिन को काबू में रखता है। इससे शुगर नहीं बढ़ती। यह दिल के लिए भी अच्छा है। इसे खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल कम रहता है और गुड कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल बढ़ता है। बाजरा अल्कलाइन नेचर का होता है और यह एसिडिटी नहीं होने देता। पेट में गैस की दिक्कत से भी बचाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो इंफेक्शन नहीं होने देते।
इससे खून की कमी भी दूर होती है क्योंकि यह आयरन का भी अच्छा सोर्स है। बाजरे में फास्फोरस होने की वजह से यह हड्डियों को भी मजबूत बनाता है। जिंक और विटामिन ए होने से यह स्किन और आंखों को दुरुस्त रखता है।
अभी तक आप बाजरे की तारीफ पढ़ रहे थे, अब इसी बिरादरी के अनाज ज्वार के बारे में भी जान लीजिए।
कैंसर को पास फटकने नहीं देता ज्वार
ज्वार भी बाजरे की तरह ही ग्लूटन फ्री होता है। इसमें भी फाइबर है जो डाइजेशन को सही रखता है और वजन कम करने में मदद करता है। ज्वार इम्यूनिटी बूस्टर है। यह जिंक का भी सोर्स है। यह आपके यौवन को बनाए रखता है। ज्वार की लेयर्स में एंटी कैंसर प्रॉपर्टीज हैं जो हमारे शरीर को कैंसर से सुरक्षित रखती हैं। आप इसे रोटी, इडली या हलवा बनाकर खा सकते हैं। कुछ लोग इसमें आलू डालकर खाते हैं। लेकिन हम यहां यह बताना जरूरी समझते हैं कि अगर ज्वार में आलू मिलाकर खाएंगे तो वजन कम नहीं होने वाला।
बाजरा और ज्वार मोटा अनाज होता है लेकिन इन्हें बच्चों को नहीं खिलाना चाहिए। क्यों? आइए जानते हैं एक्सपर्ट से...
मिस्र और सूडान की सीमा पर हुई खुदाई में भी मिले ज्वार के दाने
पुरातत्व विभाग के अनुसार ज्वार का अस्तित्व प्राचीन काल से है। पूर्वोत्तर अफ्रीका में मिस्र और सूडान की सीमा पर खुदाई के दौरान इसके दाने मिले। ये दाने 8000 ईसा पूर्व के आसपास के बताए गए हैं।
इतिहासकार मानते हैं कि ज्वार अफ्रीका में उगता था। भारत पहुंचने से पहले यह ऑस्ट्रेलिया पहुंचा। अमेरिका में इसका पहला रिकॉर्ड अमेरिकी वैज्ञानिक और लेखक बेंजामिन फ्रैंकलिन के पास मिला। उनके अनुसार 1757 में ज्वार का इस्तेमाल झाड़ू बनाने के लिए किया जाता था।
बाजरा और ज्वार के बाद अब रागी के बारे में जानिए कि इससे कैसे दिमाग तेज बनता है…
रागी में कैल्शियम होता है जिससे घुटनों के दर्द में आराम मिलता है। इसमें आयरन भी भरपूर मात्रा में होता है। नाश्ते में रागी का डोसा, इडली और चीला बनाकर खाएं, दिन अच्छा गुजरेगा।
इसमें एमिनो एसिड होते हैं। ‘ट्रिप्टोफैन’ होने से यह नर्वस सिस्टम को दुरुस्त रखता है जिससे दिमाग तेज होता है। यह बच्चों के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन, अगर किसी में हड्डी बढ़ने की समस्या हो तो रागी नहीं खानी चाहिए।
अगर आप बाजरा, रागी और ज्वार की रोटी खाना पसंद नहीं करते तो आप मिठाई के तौर पर भी इनके स्वाद का मजा ले सकते हैं। आइए, आपको बताते हैं इनसे बनने वाली मिठाइयों के बारे में...
भारत या अफ्रीका कहां से हुई रागी की शुरुआत?
रागी को संस्कृत में राजिका कहा गया है। आर्यों के भारत पहुंचने से पहले ही यहां रागी की खेती होने लगी थी।
फ्रेंच-स्विस वनस्पति वैज्ञानिक अल्फोंस डी कैंडोल (Alphonse De Candolle) ने 1886 में कहा था, ‘रागी करीब 3000 साल पहले भारत से ही अरब और अफ्रीका पहुंची।’ इसकी खेती की शुरुआत दक्षिण भारत से हुई।
वहीं, रूस के वैज्ञानिक निकोलाई वाविलॉव ने 1951 में अपने शोध में कहा कि रागी सबसे पहले अफ्रीकी देश इथोपिया में पैदा हुई। 1963 में एक और रिसर्च आई, जिसमें कहा गया कि यह अफ्रीका में पैदा हुई। इतिहासकार के.टी. अच्चया के अनुसार रागी पूर्वी अफीकी देश यूगांडा के पहाड़ों में पैदा हुई थी।
आपको ये बताते चलें कि ज्वार, बाजरा और रागी आंतों के लिए बेहतरीन क्लींजर का काम करते हैं। इसे खाने से आंतें साफ रहती हैं।
बाजरा और ज्वार खाने के फायदे ही फायदे हैं, लेकिन किडनी के मरीज न खाएं
शरीर के लिए ज्वार और बाजरे का कॉम्बिनेशन अच्छा होता है। लेकिन कुछ लोगों को इन्हें खाने से बचना चाहिए। डाइटीशियन कामिनी सिन्हा ने बताया कि अगर कोई किडनी का मरीज है और उसमें पोटेशियम का लेवल ज्यादा है तो उन्हें ज्वार बाजरा नहीं खाने दिया जाता। क्योंकि इन दोनों में पोटेशियम अच्छी मात्रा में होता है। वहीं, जिसे हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत हो, उसके लिए भी पोटेशियम खतरनाक साबित हो सकता है।
जिन्हें जोड़ों का दर्द रहता है या यूरिक एसिड ज्यादा बनता हो, तब भी इसे खाने से बचना चाहिए। प्रेग्नेंट महिला को भी यह नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह गर्म होता है। जबकि बेबी होने के बाद गुड़ के साथ बाजरे का हलवा खाना फायदेमंद है। यह प्रेग्नेंसी के बाद आई शरीर में खून की कमी को दूर करता है।
ज्वार लो ब्लड प्रेशर वालों को नहीं खाना चाहिए, क्योंकि ये सोडियम को कम कर देता है।
इस सुपर फूड को कई नामी एक्टर्स भी अपना रहे हैं। जानिए ग्राफिक्स के जरिए कौन हैं ये सेलेब्रिटीज...
स्मार्ट फूड दिन के समय खाएं क्योंकि इसे खाकर प्यास ज्यादा लगेगी
बाजरा, ज्वार और रागी को हमेशा दिन में खाना चाहिए क्योंकि इन्हें पचने में ज्यादा समय लगता है। गर्मी के मौसम में ज्वार-बाजरा खाने से बचना चाहिए। क्योंकि, इन्हें खाने से प्यास बहुत लगती है। यह शरीर में सोडियम और पानी को सोखने लगता है।
इससे बॉडी डिहाइड्रेट हो जाती है। बेहतर है कि इसे सितंबर के मौसम से खाना शुरू करें। सर्दी में प्यास नहीं लगती। अगर आप इस अनाज को गर्मी में खा रहे हैं तो इसे बेसन या दाल डालकर खाएं।
ग्राफिक्स: प्रेरणा झा
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