कुछ साल पहले ब्यूटी वीडियो क्रिएटर कसान्द्रा बैक्सन ने यह कह कर चौंका दिया कि उनके शरीर में दो यूटरस, दो वजाइना हैं। इसके बाद सोशल मीडिया पर उनके शरीर और रिश्ते से जुड़े ढेरों सवाल पूछने वालों की लाइन लग गई। जुलाई 2021 में राजस्थान के नागौर में भी एक ऐसी महिला को प्रेग्नेंसी के दूसरे महीने में ब्लीडिंग होने पर अस्पताल ले जाया गया, तो उसके शरीर में दो यूटरस, दो सर्विक्स और दो वजाइना होने का पता चला।
लाखों लोगों के लिए यह शारीरिक स्थिति चौंकाने वाली थी लेकिन, मेडिकल साइंस में इसे ‘यूटरस डेडिल्फस’ के नाम से जानते हैं। कई बार यह रिस्की होता है, तो कई बार ताउम्र महिला को अपनी इस खास शारीरिक बनावट का अहसास तक नहीं होता है।
अजीब है गर्भ का यह किस्सा
गुरुग्राम के क्लाउड नाइन हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट की डॉ. रितु सेठी के अनुसार, “ मां के गर्भ में मौजूद कन्या भ्रूण में एक ही जगह से यूटरस, वजाइना और सर्विक्स जैसे अंग बनते हैं। शुरुआत में हर सामान्य कन्या भ्रूण में यूटरस दो भागों में होता है, जो सातवें महीने में आपस में मिलकर एक गर्भाशय बनाता है।
कुछ मामलों में गर्भाशय आपस में मिल नहीं पाते। मेडिकल साइंस में इस स्थिति को ‘मुलेरियन डक्ट-एनाॅमलीज’ कहा जाता है। इस तरह से एक मां में दो कोख की स्थिति बनती है लेकिन ऐसे मामले न के बराबर ही होते हैं।”
हाॅरमोन पर नहीं पड़ता असर
डॉक्टर रितु सेठी का कहना है कि दो गर्भाशय बनने की वजह से महिलाओं के शरीर में किसी तरह के हॉरमोनल बदलाव नहीं होते। वुमन हॉरमोन्स का निर्माण ओवरीज में होता है। यूटरस डेडिल्फस का अंडाशय (ओवरीज) के साथ कोई संबंध नहीं होता इसलिए महिला शरीर में किसी तरह का हॉरमोनल बदलाव नहीं होता।
बच्चे होने में आ सकती हैं दिक्कतें
यूटरस के दो भागों में बंट जाने से उसकी क्षमता प्रभावित होती है। इस वजह से महिलाओं को कई तरह की तकलीफों से गुजरना पड़ सकता है। उनको गर्भधारण करने में भी मुश्किलें आती हैं। यूटरस डेडिल्फस में
प्रेग्नेंसी के बाद कई बार प्री-मैच्याेर डिलीवरी और अबॉर्शन की आशंका बढ़ जाती है। लेबर पेन समय से पहले आ सकता है। वाटर बैग के फूटने के चांसेज बढ़ जाते हैं। साथ ही शिशु का विकास भी प्रभावित होता है। यूटरस फटने के रिस्क की आशंका से गर्भपात की इजाजत भी मिल जाती है।
जुड़वा बच्चे का भी जन्म हो सकता है
इस कंडीशन में दोनों गर्भाशय में दो बच्चे (जुड़वा प्रेग्नेंसी) भी हो सकते हैं। हालांकि ऐसे केसेज बहुत ही कम होते हैं। आमतौर पर एक ही यूटरस में बेबी डेवलप होता है। डॉक्टर की देखरेख में इस तरह की प्रेग्नेंसी भी की जा सकती है।
डॉ. रितु इस बात पर जोर देती हैं कि यह स्थिति अनुवांशिक नहीं होती।आमतौर पर कम उम्र में इस तरह की शारीरिक स्थिति का पता नहीं चल पाता है लेकिन अगर किसी वजह से शादी के पहले शरीर में इस तरह की बनावट का पता चले, तो प्रेग्नेंसी प्लान करते समय डॉक्टर के संपर्क में रहें।
दो यूटरस का पूरी जिंदगी पता नहीं चल पाता
डॉ. रितु यह भी स्वीकारती हैं कि आमतौर पर औरतों को पूरी जिंदगी अपने शरीर की इस स्थिति का पता नहीं चल पाता है। प्रेग्नेंसी में किसी तरह की दिक्कत आने पर जांच किए जाने से ऐसी चीजें सामने निकल कर आती हैं।
अमूमन टीनएज में या शादी के पहले अल्ट्रासाउंड की जरूरत नहीं पड़ती, ऐसे में शरीर के अंदर दो यूटरस या दो वजाइना की स्थिति हो भी तो पता नहीं चलता। कभी-कभार मेन्सट्रूअल प्रॉब्लम्स में अल्ट्रासाउंड कराना पड़े, तो इस कंडीशन के पता चलने के चांसेज होते हैं।
क्या वैवाहिक संबंधों पर असर पड़ता है
कई बार विवाह के बाद संबंधों के दौरान महिला असहज या तकलीफ महसूस करती हैं। ऐसे में आंतरिक जांच के बाद दो वजाइना होने का पता चलता है, यह शरीर के ऊपरी और बाहरी हिस्से में नजर नहीं आता। कुछ मामलों में इसे ऑपरेशन के बाद ठीक किया जा सकता है और कुछ केस में यह स्वत: ठीक हो जाता है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.