‘मेरे पति की उम्र 60 बरस है, लेकिन सेक्स को लेकर उनकी भूख मिटती नहीं। वो पेड सेक्स से लेकर घर में कॉल गर्ल बुलाने तक की हद भी पार कर चुके हैं। पोर्न वीडियोज देखने से भी कोई कोताही नहीं है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं?’
भोपाल की आभा (बदला हुआ नाम) अपने पति की सेक्स को लेकर बढ़ती इच्छाओं से तब और परेशान हो गईं जब उनके हसबैंड इस इच्छा को पूरा करने के लिए हर तरह का लिहाज भूल गए।
आभा बताती हैं कि मेरे पति ने घर की हाउसहेल्प तक से बैनिफिट लिया और मेरी बहनों को मेसेंजर पर पोर्न वीडियोज भेजे। जब उनसे उनकी इस हरकत पर जवाब तलब किया गया तो कहने लगे कि गलती से चला गया, लेकिन ये शिकायतें बढ़ने लगती गईं और अब तो इनकी हरकतों से बच्चे भी परेशान होने लगे हैं।
मैं ये सोचकर बर्दाश्त कर रही थी कि एक दिन सुधर जाएंगे, लेकिन यह तमीज 60 बरस की उम्र में पहुंचने तक भी नहीं आई’
आभा के पति जिस बीमारी से जूझ रहे हैं उसे सेक्स एडिक्शन कहा जाता है। इसे कंपल्सिव सेक्सुअल बिहेवियर डिसऑर्डर भी कहते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति सेक्स इच्छा को कंट्रोल नहीं करता और सेक्स उसे कंट्रोल करने लगता है। भोपाल के बंसल अस्पताल के एक्सपर्ट के मुताबिक, महीने में औसतन पांच केस 55 से ऊपर की उम्र के लोगों के आ रहे हैं।
सेक्स कब एडिक्शन बन जाता है?
दिल्ली में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रज्ञा मलिक का कहना है कि जब पेशेंट अपनी सेक्स की इच्छा को कंट्रोल नहीं कर पाता है और उसे एंजॉय भी नहीं कर पाता तब उसे कंपल्सिव सेक्सुअल बिहेवियर डिसऑर्डर की श्रेणी में रखा जाता है। जरूरत से ज्यादा मास्टरबेशन करना, साइबर, पोर्न और फोन सेक्स इसमें शामिल है।
भोपाल के बंसल अस्पताल में साइकेट्रिस्ट डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी का कहना है कि सेक्स एक सामान्य प्राकृतिक क्रिया है। इसके विचार आना तब तक गलत नहीं है जब तक यह हमारे कंट्रोल में है, लेकिन जब सेक्स हमें कंट्रोल करने लगे तो व्यक्ति सेक्स एडिक्शन से पीड़ित माना जाता है। वह हमेशा सेक्स के लिए ऑब्सेसेड रहता है और कॉम्प्लसिवली सेक्स करने के लिए परेशान रहता है। इसके कारण उसकी व्यक्तिगत सामाजिक, व्यावसायिक जिंदगी बुरी तरीके से प्रभावित होने लगती है। मनोचिकित्सा में इसका प्रभावी इलाज संभव है।
डॉ. त्रिवेदी के मुताबिक, हालांकि, पोर्न ने सेक्स के तरीकों और व्यवहार पर काफी प्रभाव डाला है और यह सोच को भी विकृत कर रही है। सेक्स के तरीके का चुनाव करना बेहद निजी मामला है और सेक्स को उम्र के बंधन में बांधना भी गैर वैज्ञानिक है। इसे डिसऑर्डर तब कहा जाता है जब उसके कारण सामाजिक, आर्थिक जिंदगी प्रभावित होने लगे।
डॉ. प्रज्ञा का कहना है कि ऐसे लोग किसी मुसीबत के समय में भी सेक्स वीडियो देखना पसंद करते हैं। जिस वक्त विचार आया उन्हें उसी समय संबंध बनाने की इच्छा होती है। इस वजह से लोग इनसे दूरी बनाने लगते हैं और एक समय बाद ऐसे लोग अकेले पड़ जाते हैं।
यह लत क्यों लगती है?
दिल्ली विश्वविद्यालय में साइकोलॉजी की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मीतु दाश का कहना है कि जो बुजुुर्ग अपने ऊपर सेक्सुअल कंट्रोल नहीं रख पाते उन्हें सेक्सुअल डिसऑर्डर होता है। यह डिसऑर्डर अक्सर बायोलॉजिकल, साइकोलॉजिकल, सोशल, कल्चरल और एनवायरमेंटल कारणों से पनपते हैं। ऐसे लोग जीवन में कड़वे अनुभवों से भी गुजरने के बाद इस तरह के बन जाते हैं। इसमें बचपन का सेक्शुअल एब्युज भी शामिल है।
जामिया में रिसर्च स्कॉलर और दिल्ली विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान पढ़ा चुके समीर अंसारी साइकोलॉजिस्ट एरिक्सन की थ्योरी का हवाला देते हुए कहते हैं कि ‘एरिक्सन की थ्योरी साइकोलॉजिकल डेवलपमेंट ऑफ ह्युमन बीइंग' में जीवन को आठ भागों में बांटा गया है, जिसमें नवजात से लेकर मृत्यु तक का डेवलपमेंट बताया गया है।
इस थ्योरी की आठवीं स्टेज ‘इंटेग्रिटी बनाम डिस्पेयर’ की है। यानी जीवन में से जो कुछ पाया और जो नहीं मिल पाया इस सबके बीच छुपी असंतुष्टि ही इस शक्ल में बाहर आती है। इस उम्र में इंसान अगर अपने जीवन भर के कामों से संतुष्ट है तो कोई दिक्कत नहीं, लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो असंतुष्टि से भरा मन थकान देता है। जिंदगी में बहुत से काम अधूरे रह जाने या मन मुताबिक सफलताएं न पाने की वजह से खुद को लेकर नकारात्मक सोच बढ़ने लगती है। यही सोच स्वभाव में दिक्कतें बनकर उभरती है। ऐसे पुरुष असामान्य सेक्सुअल एक्टिविटी की तरफ मुड़ सकते हैं।
साइको एनालिस्ट स्टिग्मंड फ्राइड की थ्योरी का हवाला देते हुए समीर बताते हैं स्टिग्मंड फ्राइड ने लाइफ की पांच चरण बताए हैं। इनकी थ्योरी कहती है कि हमारे शरीर में जो सेक्सुअल एनर्जी है वही हमारे व्यवहार और स्वभाव को गति देती है। उस सेक्सुअल एनर्जी को ‘लिबिडो’ कहा गया है। जब किसी व्यक्ति को सेक्सुअल सेंस में ‘ठरकी’ कहा जाता है तो इसका मतलब हुआ कि उनका लिबिडो ही बिगड़ गया।
क्या सेक्स एडिक्शन का इलाज संभव है?
विशेषज्ञों का कहना है कि सेक्स एडिक्शन का इलाज पूरी तरह से संभव है। इसे दवाएं और थेरेपी की मदद से ठीक किया जा सकता है। यहां वे थेरेपी बता रहे हैं जिनसे सेक्स एडिक्शन की बीमारी को ठीक किया जा सकता है।
समूह थेरेपी
इस थेरेपी के जरिए सेक्सुअल एडिक्ट को बताया जाता है कि वह इस बीमारी से पीड़ित अकेले नहीं हैं। यह थेरेपी हानिकारक यौन व्यवहारों को स्वस्थ और सामाजिक व्यवहारों के साथ बदलने में मदद करती है।
कपल काउंसलिंग
सेक्स एडिक्शन होने से पार्टनर से रिलेशन से लेकर समाज में रिश्तों तक में खटास पैदा होती है। इससे बचने के लिए कपल काउंसलिंग की जाती है। बातचीत के जरिए पार्टनर के साथ रिश्ता बेहतर बनाने की कोशिश होती है। काउंसलिंग से रिलेशनशिप बेहतर बनती है।
पेट थेरेपी
एडिक्शन दूर करने में जानवर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जानवरों में पाई जाने वाली इमोशनल अवेयरनेस व्यक्ति की फीलिंग और इमोशन को समझने में मदद करती है। पेट थेरेपी के जरिए इंसान अपने इमोशन्स पर काबू पाना सीखता है।
आर्ट थेरेपी
इस थेरेपी के जरिए इंसान रंगों से खेलता है और दिमाग का रचनात्मक इस्तेमाल करता है। इस वजह से वह खुद को किसी भी तरह के एडिक्शन से बाहर निकलने में सक्षम होता है।
योग और ध्यान
योग और ध्यान हेल्दी लाइफ स्टाइल का हिस्सा हैं। सेक्स एडिक्ट व्यक्ति तनाव में रहता है और उसे डर रहता है कि लोग उसके बारे में क्या सोच रहे होंगे। ऐसे में योग और ध्यान करने से तनाव से दूरी बनाई जा सकती है। सामान्य जीवन जीया जा सकता है।
जिंदगी इंसान को एक बार ही मिलती है, इसलिए इसका जितना रचनात्मक इस्तेमाल कर लिया जाए उतना सही है। अगर इसे सेक्स एडिक्शन में लगाकर बर्बाद कर देंगे तो जीवन में सिवाय बीमारियों और हिकारत के कुछ हासिल नहीं होगा।
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