बच्चे को अच्छी आदतें सीखाने के लिए उन्हें डेली रूटीन का हिस्सा बनाएं। इन्हीं अच्छी आदतों में शामिल है उनकी पॉटी ट्रेनिंग। चूंकि, यह नेचर्स कॉल होती है। ऐसे में बच्चों को पॉटी करने का सही तरीका सिखाना अहम हो जाता है। यानी सुबह उठने के बाद उसे कब, कैसे और कहां पॉटी करनी है, इसकी ट्रेनिंग मां से बेहतर कोई नहीं दे सकता। यह ट्रेनिंग बच्चे को किस उम्र से देनी शुरू की जाए, बता रही हैं पीडियाट्रीशियन डॉ. रीतिका सिंघल।
किस उम्र में शुरू करें पॉटी ट्रेनिंग?
बच्चे कुछ चीजें जल्दी और कुछ चीजें देर से सीखते हैं, वैसा ही पॉटी ट्रेनिंग के दौरान भी होता है। डेढ़ से दो साल का बच्चा समझने लगता है और अपनी बातें बताने लगता है। यही वह समय और उम्र है, जब आप बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग दे सकते हैं।
कैसे जानें बच्चा ट्रेनिंग के लिए तैयार है?
बच्चे को कैसे दें इसकी ट्रेनिंग?
हर बच्चा अलग होता है और हर पेरेंट के अपने बच्चे से कम्युनिकेशन के तरीके भी अलग होते हैं। पैरेंट्स अपने बच्चे को समझने और समझाने के तरीके खुद ही ढूंढ निकालते हैं, जिससे बच्चे को नई व अच्छी आदतें सिखाई जाती है। इस बारे में डॉ. रीतिका कहती हैं कि कई बच्चे पॉटी करने के दौरान नथुने फुलाते हैं। अगर आपका बच्चा भी ऐसे कुछ संकेत देता है, तो उस पर ध्यान देने की जरुरत है।
आवाज निकालें - ये सबसे कारगार तरीका है, जिसका इस्तेमाल बच्चे को यूरिन पास कराने के लिए किया जाता है। इसी आवाज का इस्तेमाल अगर आप लगातार करते रहेंगे, तो बच्चा उसे याद कर लेगा। बच्चे को अगर पॉटी के लिए ले जाएं, तब भी आवाज निकालना जारी रखे, इससे बच्चे में पॉटी पास करने की आदत भी विकसित हो जाएगी।
जोर लगाने के संकेत दें - बच्चे को अपने फेशियल एक्सप्रेशन से भी ये चीजें समझा सकती हैं। बच्चे को वॉशरूम ले जाएं और फिर वहां उसे बैठाकर उसका ध्यान अपनी ओर खींचें। जब बच्चा आपके चेहरे को देखे, तो अपने चेहरे पर जोर लगाने के भाव लाएं। बच्चा आपकी नकल करेगा औरइससे उसे पॉटी करने में आसानी होगी।
एक समय तय करें - बच्चे को एक तय समय पर पॉटी के लिए ले जाएं, तो उसे इसकी आदत हो जाएगी। इससे बच्चे का रूटीन भी बन जाएगा और आपको भी परेशानी नहीं होगी।
ट्रेनिंग के दौरान किन बातों पर दें ध्यान?
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