बच्चे को दूध पिला लेने के बाद मां चाहती है कि बच्चा दो-ढाई घंटे की नींद पूरी कर ले, ताकि वो घर के सभी काम निपटा सके। लेकिन बच्चा हर आधे-एक घंटे में उठकर रोता है और मां को उसे बार-बार गोद में लेकर दूध पिलाना पड़ता है। आधे घंटे की नींद लेकर बच्चा फिर भूख से रोने लगता है। इस स्थिति में मां बच्चे को क्लस्टर फीडिंग कराती है। ऐसा क्यों होता है, बता रही हैं मदरहुड हॉस्पिटल की लेक्टेशन एक्सपर्ट आरती प्रियदर्शिनी।
क्या है क्लस्टर फीडिंग?
नवजात बच्चे को एक बार दूध पिला देने के बाद दो-ढाई घंटे तक वो आराम से सोता है। लेकिन क्लस्टर फीडिंग की स्थिति तब बनती है जब बच्चे को थोड़ी-थोड़ी देर में भूख लगने लगती है। वह आधे से एक घंटे के बीच में भूख की वजह से रोता है। नवजात शिशु में जब शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से होता है, तब उसे भूख ज्यादा और बार-बार लगती है।
क्लस्टर फीडिंग में देखा जाता है कि बच्चा एक बार में ज्यादा दूध नहीं पीता, इसलिए उसे थोड़ी-थोड़ी देर में भूख लगती है। ये बदलाव बच्चे के जन्म के तीसरे, छठे हफ्ते या बच्चे के तीन महीने के हो जाने के बाद देखने को मिलते हैं। बच्चे के बार-बार रोने को उसकी शारीरिक परेशानी न समझें। शिशु के थोड़ी-थोड़ी देर में जगने और रोने की वजह सिर्फ भूख होती है। बच्चा अगर दूध पीकर शांत होता है, तो परिवार को किसी तरह की चिंता नहीं करनी चाहिए।
क्लस्टर फीडिंग के क्या हैं फायदे?
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