छोटी उम्र में हिट गानों का डायरेक्शन:ऊंची हवेली, भर्तार 2, ब्यूटी पार्लर जैसे दिए जबरदस्त गाने, हरियाणवी इंडस्ट्री में मचाई धूम

एक वर्ष पहलेलेखक: मीना
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उम्र कम है तो क्या हुआ, अरमान बड़े हैं। कम उम्र में ही बड़े मुकाम हासिल करने की चाह है। शुक्र है भगवान का कि मैं ऐसे घर में जन्मी जहां मुझे सपने पूरे करने के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ी। ये शब्द हैं मात्र 21 साल में तीन हरियाणवी गानों का डायरेक्शन कर चुकीं अदिति वेदवान के। वुमन भास्कर से खास बातचीत में अदिति कहती हैं, ‘मेरी पैदाइश दिल्ली की है, लेकिन मेरा सारा काम हरियाणा के ग्रामीण इलाकों पर है।

पापा की उंगली पकड़ सीखा डायरेक्शन
दिल्ली विश्वविद्यालय से मैं इंग्लिश में बीए कर रही हूं। इन दिनों फाइनल ईयर की परीक्षाएं चल रही हैं। आगे की पढ़ाई के लिए एंट्रेंस की तैयारी भी कर रही हूं। पढ़ाई के साथ-साथ अपने पैशन को भी फॉलो किया। छोटी थी तभी से पापा को फिल्मों का डायरेक्शन करते देखती थी।

आठवीं क्लास में आई तो कैमरा क्या है, उसके एंगल क्या हैं, किसी शूट के दौरान लोकेशन कितना मायने रखता है, ड्रेस कैसी होनी चाहिए…ऐसे तमाम सवाल उत्सुकता में बदलने लगे। मैं भी पापा के साथ शूट पर जाने लगी।

नब्ज पकड़ना शुरू किया
धूल-मिट्टी से भरे रास्ते, सुदूर गांवों के लोकेशन पर काम करने में मजा आता। मेरे लिए सब कुछ नया था। मैं इंग्लिश लिटरेचर पढ़ रही थी तो स्क्रिप्ट लिखने में मदद मिली। लोगों को क्या पसंद है, इसकी नब्ज पकड़ने लगी थी। जो गाने लिखे गए थे, उन्हें कैसे फिल्माया जाना चाहिए, यह समझने लगी थी।

एक साथ दो गाने शूट किए
डायरेक्शन की बारिकियां समझने लगी तो एक्सपेरिमेंट में भी देरी नहीं की। मैंने दो गाने शूट किए। पिछले साल ब्यूटी पार्लर गाने के साथ मैंने पहली शुरुआत की थी। इसके बाद मैंने ‘फुल्ला अली’ गाने का डायरेक्शन किया। ‘ऊंची हवेली’, ‘तेरी खातिर’ (ननदी के बीरा), ‘भर्तार 2’ जैसे गानों में एसिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम किया। अब तक 15 गानों का डायरेक्शन किया है 20 गानों की स्क्रिप्टिंग की है।

जानदार और शानदार शुरुआत हुई
मेरा डेब्यू कठिन नहीं था, क्योंकि क्रू मेंबर्स से मैं पहले से ही मिलती रहती थी। सब एक-दूसरे को जानते थे। जिन मेन लीड्स के साथ मैंने काम किया, उनका भी डेब्यू था तो मुझे ज्यादा डर नहीं लगा। मजे-मजे में डायरेक्शन कर दिया। हा हा हा…

अदिति की उम्र अभी सिर्फ 21 साल है। वे कहती हैं कि उनके करिअर में उनके पिता का अहम रोल है।
अदिति की उम्र अभी सिर्फ 21 साल है। वे कहती हैं कि उनके करिअर में उनके पिता का अहम रोल है।

इन गानों के साथ यह भी ध्यान रखती कि कौन सा गाना कितने मिलियन पर पहुंचा। इंडस्ट्री में कौन सा नया गाना आया है। इससे अपनी रणनीति बनाने में मदद मिलती।

हरियाणवी इंडस्ट्री से जुड़ने लगे लोग
एक वक्त था जब लोग हरियाणवी इंडस्ट्री में काम नहीं करना चाहते थे, लेकिन मुझे मेरे परिवार ने सिखाया है कि अपने कल्चर से जुड़े रहें। मैं बेशक दिल्ली में पली-बढ़ी, लेकिन अपना गांव, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा नहीं छोड़ी। मुझे मेरे कल्चर या मेरी इंडस्ट्री पर शर्म नहीं गुमान है। अब हम सिर्फ किसी क्षेत्र में नहीं बल्कि विदेशों में भी पहुंच रहे हैं।

इंडस्ट्री में और महिलाओं को लाना है
डायरेक्शन में बहुत कम महिलाएं हैं और सॉन्ग में तो हैं ही नहीं। मेरा लक्ष्य है कि मैं डायरेक्शन तो करूं ही साथ ही और महिलाएं भी इस इंडस्ट्री से जुड़ें। एक्शन, डायरेक्शन सब कुछ महिलाएं ही करें, ऐसी मेरी सोच है।

अगले प्रोजेक्ट में ये दिखेगा
मेरा पूरा सेट महिलाओं के टैलेंट से जगमगा रहा होगा। मैं चाहती हूं कि अगले विश्व महिला दिवस पर ऐसा हो। मैं नए प्रोजेक्ट लेकर आऊं और महिलाओं की ताकत को दिखा पाऊं।

अदिति का कहना है कि मेरे क्रू मेंबर्स मेरा साथ देते हैं। इसलिए काम करने में झिझक नहीं होती।
अदिति का कहना है कि मेरे क्रू मेंबर्स मेरा साथ देते हैं। इसलिए काम करने में झिझक नहीं होती।

काम से ऊबती नहीं
कई बार हमें दूर जाकर शूट करना होता है। रात में भी काम होता है और दिन में भी। मैं अपने काम से कभी बोर नहीं होती। कोविड में मेरी तबीयत खराब हुई तब भी मैंने काम नहीं छोड़ा। मेरा क्रू मेंबर मुझसे बड़ी उम्र के लोगों से भरा है लेकिन कभी मुझे किसी ने ऐसा महसूस नहीं कराया कि मैं उनसे छोटी हूं और वो मेरी कम इज्जत करें। मुझसे हमेशा बहुत विनम्रता से बात की है।

अभी मंजिल बहुत दूर है
लड़कियां बेशक कितनी ही आगे पहुंच जाएं, तब भी उन्हें कोई न कोई पुरुष साथ रखना पड़ता है। समाज आज भी उतना आजाद नहीं हुआ है जहां लड़कियां बिना चिंता के खुले रास्तों पर जा सकें। मैं जब शूट पर निकलती हूं तो पापा साथ होते हैं।

अदिति का सपना है कि आगे जो इंडस्ट्री बने उसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा हो।
अदिति का सपना है कि आगे जो इंडस्ट्री बने उसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा हो।

बिना बैसाखी काम कर सकें महिलाएं
मैं चाहती हूं कि एक ऐसी दुनिया बन सके जहां महिलाओं को अपने सपने पूरे करने में रात या घड़ी न देखनी पड़ी। ये न सोचना पड़े कि सूरज ढल गया है, अब घर चलते हैं। वे खुलकर, आजाद होकर बिना किसी बैसाखी के अपने बल पर काम कर सकें।