किसी भी एक्टर के लिए सबसे बड़ा अवॉर्ड होता है, जब लोग उसे उसके किरदार से जानने लगे। एक्टर के निभाए गए किरदार से लोग प्यार या नफरत करने लगे। दृश्यम-2 में जेनी का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस के साथ आजकल ऐसा ही हो रहा है। आज ‘ये मैं हूं’ मैं बात मराठी एक्ट्रेस और दृश्यम-2 की जेनी यानी नेहा जोशी की।
मां-पापा दोनों 45 साल से कर रहे हैं थिएटर
मैं महाराष्ट्र के नासिक से हूं। मैं जॉइंट फैमिली में पली-बढ़ी हूं। बहुत बड़ा घर था। दादा-दादी, तीन चाचा-चाचियां, उनके बच्चे, मां-पापा मैं और भाई सब साथ रहते थे। जॉइंट फैमिली में बच्चे कैसे बड़े होते हैं, पता ही नहीं चलता है। मैंने भी ऐसा बचपन देखा। मां-पापा दोनों ही वर्किंग थे। पापा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में और मां रिस्पेशनिस्ट थीं। दोनों 45 साल से नासिक में थिएटर कर रहे हैं।
पैदा हुई तो घरवालों की आंखों में खुशी के आंसू थे
घर या पढ़ाई के दौरान मुझे लड़की होने की वजह से कभी कोई दिक्कत नहीं हुई। घरवाले जन्म का किस्सा सुनाते हुए बताते हैं कि अस्पताल में जब नर्स ने मुझे मां के गोद में रखा तो मां रोने लगीं। ऐसे में आसपास जो महिलाएं थीं, वो मां दिलासा देने लगीं रोओ मत। अब क्या कर सकते हैं? बेटी होगा या बेटा अपने हाथ में नहीं होता है। फिर मेरी मां ने बताया-मुझे बेटी चाहिए थी, इसलिए रो रही हूं। मेरा भाई मुझसे सात साल बड़ा है, इसलिए घर में सबको लड़की चाहिए थी। लड़के-लड़की का भेदभाव मैंने कभी महसूस नहीं किया है।
मेरे घर में आर्ट और एजुकेशन की बहुत क़द्र है
मेरी दादी के पिताजी भजन गाते थे तो इस वजह से दादी का लगाव संगीत से रहा। दादी की वजह से मेरे घर में भी माहौल संगीत का रहा। घर में शुरू से एजुकेशन और आर्ट की बहुत क़द्र रही है। फैमिली काफी प्रोग्रेसिव रही है। बारहवीं तक की पढ़ाई मैंने नासिक से की है। स्कूल में डांस, ड्रामा, क्लासिकल म्यूजिक, अलग-अलग कंपीटिशन में भाग लेती थी। मैंने कुछ सालों तक क्लासिकल म्यूजिक और कथक की ट्रेनिंग ली है। फिर मैं थिएटर में ग्रेजुएशन करने पुणे चली गई। तीन साल तक थिएटर की पढ़ाई करने के बाद मैं मुंबई शिफ्ट हुई।
मुझे अपने काम से मोहब्बत है, मीडियम मैटर नहीं करता
मुंबई आने के बाद मेरा पहला प्रोफेशनल काम एक प्ले के लिए था। उसमें मैं रिप्लेसमेंट के तौर पर जुड़ी थी। उसके बाद मैंने ज्यादातर काम मराठी में किया है। मैंने मराठी सीरियल्स और फिल्में की हैं। फिर मैंने हिंदी में भी काम किया है। मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा कि मैं इस मीडियम में काम करूंगी, दूसरे में नहीं। मुझे एक्टिंग से मोहब्बत है।
एक्टर की लाइफ में हर प्रोजेक्ट के बाद स्ट्रगल होता है
हमारा फील्ड ऐसा है कि यहां हर प्रोजेक्ट के बाद स्ट्रगल होता है। हर रोल अलग होता है। एक रोल खत्म होने के बाद उस कैरेक्टर से निकलना और दूसरे किरदार के लिए सोचना अलग स्ट्रगल है। अगले रोल के लिए ऑडिशन और स्क्रीन टेस्ट देने की अलग चुनौती होती है। लेकिन मैं थोड़ी लकी हूं कि मेरा पास एक न्यूट्रल फेस है। इसकी वजह से मुझे अलग-अलग किरदार के ऑफर मिले। मैंने सावित्री बाई फुले, भीमाबाई अंबेडकर, यशोदा, पुलिस ऑफिसर से लेकर सेक्स वर्कर तक के किरदार को आसानी से निभाया है। अपने न्यूट्रल फेस की वजह से मैं कभी टाइपकास्ट नहीं हुई हूं।
रोल फाइनल होने के बाद साउथ की दृश्यम-2 देखी
मैंने दृश्यम-2 नहीं देखी थी तो मुझे रोल के बारे में कुछ भी पता नहीं था। कास्टिंग फाइनल होने के बाद मैंने साउथ की दृश्यम-2 देखी। अजय, तब्बू और अक्षय खन्ना जैसे दिग्गज स्टार के साथ काम करने को लेकर बहुत बड़ा प्रेशर था। लेकिन ये तीनों इतने प्रोफेशनल और मैच्योर्ड हैं कि इन्होंने मुझे फील ही नहीं होने दिया कि मेरी पहली हिंदी फिल्म है। इन लोगों ने मुझे हमेशा ही को-स्टार की तरह ट्रीट किया, न कि न्यूकमर की तरह। वो लोग मेरे साथ सीन रिहर्सल करते थे। मैं डायरेक्टर से कोई सवाल पूछती थी, उसमें इन्वॉल्व होते थे। उन तीनों के देखकर एहसास हुआ कि मुकाम पर पहुंचने के बाद इंसान कितना विनम्र हो सकता है। लोगों के लिए छोटी सी बात हो सकती है लेकिन मेरी लिए बहुत बड़ी बात थी।
दृश्यम-2 करने के बाद मेरी लाइफ काफी बदल गई
दृश्यम-2 देखने के बाद लोग मुझे ढूंढकर मैसेज करते हैं। परिवार और दोस्तों ने तो सराहा ही लेकिन कई मैसेज ऐसे आए, जिन्हें मैं जानती नहीं थी। लोग मेरे दोस्तों और परिवार वालों के जरिए मैसेज भेज रहे हैं। मैं फिलहाल जयपुर में ‘दूसरी मां’ की शूटिंग कर रही हूं। यहां एक बड़ा दिलचस्प किस्सा हुआ। ‘दूसरी मां’ की सेट पर कुछ महिलाएं मेरे साथ सेल्फी ले रही थीं। तभी उनमें से एक महिला चिल्ला उठी और आप तो दृश्यम-2 में हो ना? आप ही अजय देवगन को धोखा देती हो ना। फिर बाकी की महिलाओं ने भी मुझे पहचान लिया और कहने लगी आपने ऐसा क्यों किया? बतौर एक्टर ये मेरी कमाई है कि दर्शक मुझे मेरे रोल की वजह से पहचानते हैं।
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