किरण सेठी! नाम तो सुना ही होगा। वो पुलिस वाली जिसका नाम अपराधी सुन लें तो थरथर कांपने लग जाते हैं। चट्टान सा शरीर अगर अपराधियों को सामने दिख जाए तो उससे हुज्जत नहीं करते, बल्कि सरेंडर करते नजर आते हैं। दिल्ली पुलिस में अपनी 34 साल की सर्विस में 8 लाख लड़कियों को सेल्फ डिफेंस में ट्रेंड कर चुकीं लेडी सिंघम के नाम से जानी जाने वाली किरण सेठी ने वुमन भास्कर को बताया कि एक पुलिस कर्मचारी होने काम मतलब क्या है?
इन दिनों दिल्ली के कमला मार्केट की पिंक चौकी में तैनात सब इंस्पेक्टर किरण सेठी वुमन भास्कर से खास बातचीत में कहती हैं, ‘पुलिस मतलब 24 घंटे और सातों दिन की सेवा। हर रविवार किसी दफ्तर में ताला लगता होता होगा, लेकिन पुलिस स्टेशन में कभी नहीं लगता। हमारी होली-दिवाली सब थाने में होते हैं। कई बार स्थिति ये होती है कि कई रातें जागकर, घर से दूर रहकर किसी केस की जांच करनी पड़ती है।
आप सिर्फ किसी बच्चे के लापता होने की एफआईआर दर्ज कराकर घर जाकर सो जाते होंगे, लेकिन पुलिस वाले उस बच्चे को ढूंढने में दिन-रात नहीं सोते।
नौकरी से इतर समाज सेवक होना जरूरी
पुलिस की नौकरी एक समाज सेवा है, जो व्यक्ति समाजसेवक नहीं कर सकता, वह पुलिस की नौकरी नहीं कर सकता। मैंने जिस दिन पुलिस की नौकरी जॉइन की उसी दिन से मेरे अचीवमेंट शुरू हो गए थे। अपने बैच की मैं मुंशी (मॉनिटर), ऑल राउंडर और आउटडोर में फर्स्ट आने वाली लड़की रही और पहली बार पुलिस थाने में मेरा नाम बोर्ड पर लिखा गया और उस दिन मुझे दो ट्रॉफियां भी मिलीं। वो मेरे जीवन की पहली खुशी थी।
दिल्ली पुलिस की वुमन कांस्टेबल को दी जुडो-कराटे की ट्रेनिंग
दिल्ली पुलिस की वुमन कांस्टेबल को जुडो-कराटे की ट्रेनिंग देनी शुरू की। नौकरी के अलावा मैं खेलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके बाद अलग-अलग राज्यों में लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देनी शुरू की।
1992 में जुडो में ब्लैक बेल्ट मिला। पुरुष जवानों को भी सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी। 6 फुट के जवानों को ट्रेनिंग देने पर मुझमें आत्मविश्वास और बढ़ा। अब मैं कराटे में दो स्टाइल में ब्लैक बेल्ट हूं और ताइक्वांडो भी सीख लिया है। मैंने पांच विषयों में एमए किया है। पुलिस जवानों को योग भी सिखाती हू्ं।
अपराधी से ही पूछने लगी उसका पता, दौड़ाकर पकड़ा
अपनी सेवा में अब तक ऐसे कई अपराधियों से सामना हुआ कि बड़ी मुश्किल से कोई अपराधी पकड़ में आया। मुझे अच्छे से याद है कि एक बार एक क्रिमिनल को पकड़ने के लिए मैं फील्ड में निकली और बाहर आकर जिस आदमी से पूछ रही थी कि ‘भैया इस आदमी को कहीं देखा है, वही आदमी असली मुजरिम था।’ जैसे उससे पूछकर मैं पीछे मुड़ी तो वह व्यक्ति भागने लगा। मुझे शक हुआ और मैं भी उसके पीछे भागी। वो जवान लड़का था और तेज भाग रहा था। मेरे हाथ में कुछ केस की फाइल थीं और मैं सिविल ड्रेस में थी। मैंने भी फाइलें किसी को पकड़ाईं और उसके पीछे तेजी से भागी। कई गलियां टापने के बाद वो अपराधी हाथ में आया।
लड़की को बचाने के चक्कर में जब क्रिमिनल ने मार दी ब्लेड
इसी तरह एक बार 2021 में एक ब्लाइंड लड़की को कुछ गुंडे जबरदस्ती ऑटो में बैठा रहे थे। मैं उसी रास्ते से गुजरते हुए कोर्ट जा रही थी और मुझे लगा ये लड़की इनके साथ जाना नहीं चाहती। मैंने जाकर लड़की से पूछा तुम इन्हें जानती हो? उसने मना कर दिया और फिर उस लड़के के साथ हाथापाई हुई। इसी हाथापाई में उनमें से एक गुंडे ने मेरे हाथ में ब्लेड मार दिया और मैंने उन अपराधियों को पकड़कर पुलिस के हवाले किया। उस दिन भी मैं सिविल ड्रेस में ही थी।
प्राइवेट पार्ट दिखाने वाले अपराधी को पकड़ा
इसी तरह एक केस ऐसा सॉल्व किया, जिसमें एक आदमी अपना प्राइवेट पार्ट पार्क में खेलते बच्चों और टहलती महिलाओं को दिखाता था। मैंने उसे उसी हालत में खींचा और पुलिस थाने ले गई। बाद में महिलाओं ने बताया कि इस आदमी से हम बहुत दिन परेशान थे। इस पर मैं सभी को यही कहना चाहूंगी कि आप कहीं भी कुछ गलत होता देखते हैं तो उसे देखते न रहें पुलिस को बताएं और तुरंत एक्शन लें।
24 घंटे के मुलाजिम हैं हम
हम पुलिस वाले तो 24 घंटे के मुलाजिम हैं, क्योंकि किसी अपराधी को कोई क्राइम करना है तो वो दिन और समय देखकर नहीं करेगा। खुशी हो या गम हम हर जगह 24 घंटे तैनात रहते हैं। हमारी दिनचर्या उथल-पुथल वाली होती है। कई बार ऐसे केस होते हैं, जिनमें कई रातें जागना पड़ता है और उस केस के पीछे लगना पड़ता है। इस बीच में किसी को कोई अरेंजमेंट चाहिए तो वह भी करनी पड़ती है। कई बार ऐसा हुआ है कि पांच-पांच दिन घर नहीं जा पाते।
अवॉर्ड मिला और उतर गई थकान
एक बार मेरे पास एक साथ तीन केस आ गए और उन केस की जांच के लिए तीन रात जागी और इस काम के लिए जब दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की तरफ से मुझे अभय अवॉर्ड दिया गया तो उस दिन लग रहा था कि आज सारी थकान उतर गई।
स्टाफ पूछता है मैडम आप क्या खाती हैं?
हम पुलिस वाले अपने काम तो करते ही हैं साथ ही अपनी निजी जिंदगी को भी खुशनुमा बनाते हैं। इन्हीं 24 घंटे में नौकरी करती हूं और इन्हीं में एंजॉय करती हूं। मेरा स्टाफ कई बार मुझे कहता-मैडम आपकी किचन में जाकर चेक करना पड़ेगा कि आप क्या खाती हैं, ऐसा कौन सा शिलाजीत खाती हैं कि पूरे दिन आप एनर्जी से भरी रहती हैं। हा हा हा...
मुझे लगता है कि जिस इंसान के भीतर खुशी है वो कभी अपने काम से दूसरों से परेशान नहीं होता। ऊबता नहीं है। अगर आप अपने काम से थक गए हैं तो उसे महसूस कम करें। खुद के लिए समय निकालें क्योंकि शरीर मंदिर है और मंदिर को ठीक अवस्था में रखना जरूरी है। मैं सभी पुलिस कर्मचारियों को कहना चाहूंगी कि नौकरी से थकें नहीं। थकावट को अपनी फाइलों के साथ दबाकर रखें।
मैं सुबह 5 बजे से पहले उठ जाती हूं। पांच विषयों में एमए करन के बाद अभी योग थेरेपी पढ़ रही हूं और उसकी पढ़ाई के लिए सुबह 6 बजे का टाइम निकालती हू्ं। नौकरी के साथ-साथ समाज सेवा भी करती हूं। बच्चों को पुलिस स्टेशन में बुलाकर पढ़ाना, महिलाओं के लिए सिलाई-कढ़ाई जैसी सुविधाएं देना, लड़कियों को सेल्फ डिफेंस सिखाना… जैसे काम भी करती हूं।
अपराधियों को सुधारने का भी जिम्मा लिया है
मैं अपराधियों को पकड़ती हूं और जो सुधरना चाहते हैं उन्हें सलाह भी देती हूं कि तुमसे अपराध हो गया, लेकिन अब अपने जीवन को बदलने की कोशिश करें। अगर कोई मेरा दुश्मन बना दो मैंने उन्हें दोस्त बनाया। कई अपराधियों को तो सरकारी योजानाएं बताकर उनके काम लगवाए। रेप विक्टिम को मुआवजा, पढ़ाना, कोर्सेज कराना, स्कूल में दाखिला करना ये सब काम करती हूं।
हर बच्चा बने समाज सेवक
मैंने अपने जीवन के 30 से ऊपर बसंत देश की सेवा में निकाल दिए। इस सबके बीच मेरे अधिकारियों ने मेरी बहुत मदद की और हमेशा हर कदम पर साथ दिया। अब चाहती हूं कि देश की हर बेटी को देश सेवक बनना चाहिए। हर लड़का-लड़की को पढ़ना चाहिए और बेहतर समाज का निर्माण करना चाहिए।
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