बेटियों को परी कहा जाता है। पिता भी अपनी लाडली की हर खुशी का ख्याल रखते हैं। परिवार की जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे होने के बाद भी बेटी की इच्छा सबसे ऊपर रखते हैं। सारी जिंदगी बेटी को दिल से लगाकर रखते हैं, बेटी को दूर जाता देख फूट-फूट कर रोते हैं। बाप और बेटी का रिश्ता बहुत खास और अनमोल होता है। लेकिन मेरे पिता ने कोई रिश्ता नहीं रखा। ये शब्द हैं दिल्ली में रहने वालीं 10 साल की नियति चित्रांश के।
नियति चित्रांश ने वुमन भास्कर को बताया कि मुझे मेरे पिता ने मारने की कोशिश की। लेकिन वह नाकाम रहे। भले ही मुझे बाप का प्यार नहीं मिला लेकिन लोगों से बहुत प्यार मिलता है और उसकी वजह है म्यूजिक। मैं 17 म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाती हूं।
पापा नहीं चाहते कि उन्हें बेटी हो
पापा अल्कोहलिक थे। नशे में मम्मी को मारा करते। मेरे जन्म से पहले मां नानी के घर आ गई थीं। जन्म के बाद मैं पापा के घर आई। मां को नहीं पता था कि पापा बेटी की जान के दुश्मन बन जाएंगे। उन्हें बेटी नहीं चाहिए थी। जब मैं 1 महीने की थी तो एक दिन भूख की वजह से बहुत रो रही थी। मम्मी का कहना है कि पापा मुझे छीनकर दूसरे कमरे में ले गए और बंद कर दिया। मैं रोती रही और फिर रोते-रोते सो गई।
लेकिन इसके बाद जो हुआ वह सोचकर रूह कांप उठती है। एक दिन मेरे पिता ने मुझे तीसरी मंजिल से फेंक दिया और नीचे चल रहे एक राहगीर ने मुझे पकड़ लिया। वह मेरे लिए किसी भगवान से कम नहीं था। मेरी जिंदगी बच गई और इसके बाद मेरी मम्मी हमेशा के लिए मुझे नानी के घर लेकर आ गईं।
मम्मी और म्यूजिक ही है जिंदगी
जब मैं 6 महीने की थी तो मां मेरे लिए की-बोर्ड लाईं। मम्मी बताती हैं कि जब मेरी उंगलियों ने की-बोर्ड को छुआ तो उन्हें ऐसा लगा कि मुझे बहुत पहले से इसे बजाना आता है। मैं चम्मच, प्लेट, बोतल से भी म्यूजिक बनाती थी। जब मैं 4 साल की थी, मम्मी के साथ मामा के घर रुकी। मामा भी संगीत प्रेमी हैं और उनके घर पर जब मैंने की-बोर्ड बजाया तब मां को समझ आ गया कि मैं म्यूजिक में बहुत आगे जाने वाली हूं। मम्मी ने मेरा वेस्टर्न म्यूजिक की क्लास में एडमिशन करवा दिया।
मैं लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज से पियानो में छठे लेवल पर हूं। पियानो के अलावा मैं की-बोर्ड, तबला, बांसुरी, माउथ ऑर्गन, मेलोडिका, मराकस, कलिंबा, काजू, ओकारिना, युकुलेले समेत 17 म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाती हूं।
कोरोना के दिनों में कॉलोनी की जान बन गई
मुझे अंग्रेजी में कविताएं और गाने लिखने का शौक है। गाने लिखने के बाद मैं म्यूजिक कंपोज भी करती हूं। लॉकडाउन के दौरान जब सब अपने घर में कैद थे, तब रोज शाम को आधे से 1 घंटे तक अपनी बालकनी में की-बोर्ड के साथ कॉलोनी के लोगों के सामने परफॉर्म किया करती थी। वह सब भी अपनी बालकनी में बैठकर मेरा म्यूजिक सुनते।
इस दौरान मैंने 100 से ज्यादा गाने लिखे। चूंकि मैं वेस्टर्न म्यूजिक बजाती हूं इससे मुझे इंटरनेशनल लेवल पर काफी तारीफ मिली। मेरे इंस्टाग्राम पेज पर बहुत लोगों के मैसेज आते हैं जो मेरे टैलेंट की तारीफ करते हैं। मैं आजकल संस्कृत के श्लोकों को वेस्टर्न ट्यून के साथ कंपोज कर रही हूं। मैं बड़े होकर म्यूजिक डायरेक्टर बनना चाहती हूं।
एआर रहमान को गुरु मानती हूं
मुझे एआर रहमान का म्यूजिक बहुत पसंद है। मैं उनकी तरह नाम कमाना चाहती हूं। जिस तरह उन्होंने विदेशों में भारत का नाम रोशन किया है, मैं भी वैसा करना चाहती हूं। एक बार मेरी स्टोरी को एआर रहमान ने अपनी इंस्टाग्राम की स्टोरी पर शेयर किया था। वह दिन मेरी जिंदगी का बहुत खास दिन रहा।
मैं कुछ ऐसा करना चाहती हूं जिससे मेरी बात दुनिया सुने
जब मेरे पापा मुझे मम्मी की गोद से छीन रहे थे। तब मेरी मम्मी ने बहुत मिन्नतें की लेकिन पापा का दिल नहीं पसीजा और कहा कि तुम कोई राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री हो जो मैं तुम्हारी बात मानूं। मेरी मम्मी उस समय बहुत बेबस थीं इसलिए कुछ नहीं कर पाईं। लेकिन मैं दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाना चाहती हूं जिससे लोग मेरी बात को सुनें।
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