गलतियां स्वीकार
करके संवारे कल
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गलतियां हर किसी से होती है।
लेकिन स्वीकारने की हिम्मत हर कोई
नहीं दिखा पाता।
धर्मग्रंथों और महापुरुषों की मानें तो
जो लोग अपनी गलतियां खोज लेते हैं और
उन्हें स्वीाकार कर लेते हैं, वे भविष्य में दोबारा
ऐसी गलतियां दोहराते नहीं हैं।
जो लोग अपनी गलती स्वीकार
नहीं करते हैं, वे शांत नहीं रह पाते हैं और
ऐसे लोगों का अहंकार बढ़ जाता है।
जैन धर्म में तो अपनी गलतियां
स्वीकारने और क्षमा याचना के लिए
बाकायदा एक पर्व भी है।
पर्यूषण पर्व के दौरान जैन धर्म के लोग
साल भर में की गई गलतियों को स्वाकारते
हुए क्षमायाचना और भविष्य में ऐसा न
करने का संकल्प लेते हैं।
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