रामचरितमानस को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताने पर अयोध्या के संत जगदगुरु परमहंस आचार्य ने बिहार के शिक्षा मंत्री की जीभ काटने पर 10 करोड़ का इनाम देने की बात कही है।
बिहार के शिक्षा मंत्री डॉ. चन्द्रशेखर ने बुधवार को पटना स्थित नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में कहा था कि रामचरितमानस दलितों पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है।
अपनी स्पीच में रामचरितमानस का दोहा अधम जाति में विद्या पाए, भयहु यथा अहि दूध पिलाए... पढ़ते हुए कहा कि यह समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है।
उन्होंने कहा कि "एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस, तीसरे युग में गुरु गोवलकर का बंच ऑफ थॉट। इन किताबों को जला देना चाहिए।
डॉ. चंद्रशेखर RJD से विधायक हैं। उन्होंने कहा था कि भारत सशक्त और समृद्ध मोहब्बत से बनेगा, न कि नफरत से। जातियां नफरत की दीवार हैं। इनके रहते भारत विश्वगुरु नहीं बन सकता।
शिक्षा मंत्री ने इस कार्यक्रम में हजारों छात्र-छात्राओं से जाति का बंधन तोड़ने की अपील की थी। कहा कि किसी से जाति न पूछो और किसी की जाति पता लगाने की कोशिश न करो।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और सांसद सुशील मोदी ने डॉ. चंद्रशेखर के इस्तीफे की मांग की है। कहा कि वो इस पद पर रहने लायक नहीं हैं।
विवाद बढ़ने के बाद डॉ. चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरितमानस में कई अच्छी चीजें भी कही गई हैं लेकिन जहां नफरत फैलाने वाली बात है वहां विरोध होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वह अपने बयान पर कायम हैं। भाजपा को अपने बयानों के लिए माफी मांगनी चाहिए। वहीं सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें इस मामले के बारे में पता नहीं है।