मुरब्बा हम सभी खाते हैं। कई तरह के
मुरब्बे बनते हैं जैसे- आंवला, बेल, आम, गाजर।
इन मुरब्बों से सेहत बनती है।
शरबत ही नहीं, बेल का मुरब्बा
बनाने का चलन सदियों पहले से रहा है।
जिनके शरीर में हीमोग्लोबीन की कमी हो
उन्हें बेल का मुरब्बा खाना चाहिए।
बेल के मुरब्बे में भरपूर मात्रा में विटामिन C
और फाइबर की मात्रा होती है। फाइबर होने
से डाइजेशन बेहतर होता है।
आंवला को आयुर्वेद में अमलकी कहा गया है।
वात, पित्त और कफ को दूर करने में आंवला से
बढ़िया कोई दूसरी चीज नहीं है।
जैसे आंवला का पाउडर, जूस, कैंडी
बनाकर खाई जाती है वैसे ही आंवले का
मुरब्बा भी खाया जा सकता है।
आम का सीजन शुरू हो गया है। बाजार में कच्चे
आम आसानी से मिल रहे हैं। इनसे अचार तो बनाएं
ही, मुरब्बा बनाने का भी ये सही समय है।
आम के मुरब्बा में विटामिन A, बीटा कैरोटीन,
विटामिन E, सेलेनियम और आयरन प्रचुर मात्रा
में होता है। इससे स्किन हेल्दी बनती है।
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