ज्वाला देवी:
9 ज्योतियों का रहस्य
अब तक अनसुलझा
Dharm
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से
30 किलोमीटर दूर ज्वाला देवी का प्रसिद्ध
मंदिर है, जिसे जोता वाली माता का
मंदिर भी कहा जाता है।
यहां किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती,
बल्कि धरती से निकल रही 9 रहस्यमयी
ज्वालाओं की पूजा की जाती है। 51 शक्ति
पीठ में से एक इस मंदिर में देवी को
अग्नि के रूप में पूजा जाता है।
इन ज्योतियों को महाकाली,
अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी,
महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका,
अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है।
विश्व प्रसिद्ध इस शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी
मंदिर में यह 9 ज्योतियां सदियों से बिना जोत,
बाती, घी और तेल के धधक रही हैं। माना
जाता है कि ज्योतियों के रुप में
मां ज्वाला खुद दर्शन देती हैं।
यहां के बारे में कहा जाता है कि
जब कोई आपदा आती है तो यह ज्योतियां
पहले ही अलग-अलग रंग में प्रज्ज्वलित
होकर संकेत दे देती हैं।
आजादी से पहले अंग्रेजों ने कई बार
ज्वालामुखी की पहाड़ियों में ज्योति के रहस्य
को जानने का प्रयास किया। लेकिन उन्हें
सफलता हासिल नहीं हुई।
ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड
(ONGC) के वैज्ञानिकों ने यहां गैस या तेल होने
के प्रमाण खोजने के लिए 6 दशक से
अधिक समय तक डेरा डाले रखा,
लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
इस मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवों को
जाता है। मंदिर के निर्माण कार्य की शुरुआत
राजा भूमि चंद ने की। बाद में इसे पंजाब के
महाराजा रणजीत सिंह और राजा
संसारचंद ने 1835 में पूरा किया।
लाइफ & स्टाइल की और
स्टोरीज के लिए क्लिक करें
Click Here