पेट्रोल-डीजल नहीं,
पानी से कार
चलाने की तैयारी
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पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम और कम होते
भंडार ने दुनिया को एनर्जी के दूसरे सोर्स तलाशने
पर मजबूर कर दिया है। दुनिया के बड़े-बड़े देश
अब पानी को एनर्जी में बदलने की सोच रहे हैं।
इस नए सोर्स का नाम हाइड्रोजन फ़्यूल है।
पानी से बनने वाले इस फ्यूल का इस्तेमाल कार,
प्लेन फैक्ट्री से लेकर बड़े मैन्युफैक्चरिंग
प्लांट में किया जाएगा।
हाइड्रोजन फ़्यूल बनाने के लिए
इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
इसमें कैथोड और एनोड मैथड अपनाकर हाइड्रोजन
और ऑक्सीजन को अलग किया जाता है।
फिर अलग किए हुए हाइड्रोजन को
स्टोर करके फ़्यूल की तरह इस्तेमाल किया
जाता है। पिछले कुछ सालों में हाइड्रोजन
फ़्यूल की मांग बढ़ रही है।
इस वक़्त हाइड्रोजन फ़्यूल को बनाने
और इसकी खपत दोनों ही मामले में चीन सबसे
आगे है। अमेरिका दूसरे नंबर पर है।
भारत में साल 2021 में नेशनल
हाइड्रोजन मिशन लॉन्च किया है। इसका
लक्ष्य साल 2047 तक देश को एनर्जी के
मामले में आत्मनिर्भर बनाना है।
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