सरकारी नौकरी, हायर एजुकेशन और टेक्निकल एजुकेशन के लिए होने वाले कॉम्पिटीटिव एग्जाम और एंट्रेंस टेस्ट में रीजनिंग के सवाल अक्सर पूछे जाते हैं।
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से विभिन्न एग्जाम्स में कैंडिडेट की इंटेलिजेंस, सोचने की शक्ति और एकाग्रता को परखा जाने लगा। तब से 'कोडिंग डिकोडिंग' के प्रश्नों को शामिल किया गया।
ऐसा दुनिया में जासूसों के कोड को समझने के लिए किया गया। 1941-42 के दौरान ब्रिटिश नेवी को जर्मन यू-बोट सबमरीन से ‘एनिग्मा मशीन’ मिली, जिसमें कोड वर्ड का इस्तेमाल हुआ था।
अब उस कोड को तोड़ने के लिए एलन ट्यूरिंग (जिन्हें आज हम कंप्यूटर साइंस के पितामह के रूप में जानते हैं) सहित कई गणितज्ञों और विशेषज्ञों को भर्ती किया गया।
आखिरकार कई महीनों की मेहनत के बाद एलन ने कोड का पता लगा लिया और इसका दूसरे विश्व युद्ध में लाभ उठाया गया।
एग्जाम में पूछे जाने वाले कोड्स वास्तविक दुनिया में जासूसों और एजेंसियों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले कोड्स की तुलना में काफी आसान होते हैं।
आमतौर पर कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स में पूछे जाने 'कोडिंग-डिकोडिंग' के प्रश्न इंग्लिश अल्फाबेट पर आधारित होते हैं।