सोमवती अमावस्या
पर करें
पितरों के लिए दान

Dharm

20 फरवरी को फाल्गुन मास
की अमावस्या है। इस दिन महीने का
कृष्ण पक्ष खत्म हो जाएगा। 

जिस सोमवार को अमावस होती है,
उसे सोमवती अमावस कहा जाता है।
इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान, श्राद्ध,
तर्पण, नदियों में स्नान के बाद
दान-पुण्य की परंपरा है।

मान्यता है कि अवमास्या पर
किए गए श्राद्ध कर्म से घर-परिवार में
सुख-शांति बनी रहती है।

सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद
सूर्य को अर्घ्य अर्पित करके दिन की
शुरुआत करें। इसके बाद घर के
मंदिर में पूजन करें।

दोपहर 12 बजे के बाद पितरों
के लिए धूप-ध्यान करने की तैयारी करें।
गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं।
धूप-दीप जलाएं।

जब कंडों से धुआं निकलना
बंद हो जाए, तब पितरों का ध्यान
करते हुए गुड़-घी अर्पित करें।

हथेली में पानी लें और अंगूठे की
ओर से पितरों के लिए अर्पित करें।

धूप-ध्यान के बाद जरूरतमंद
लोगों को भोजन, अनाज और
धन का दान करें।

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