चलती कार में
क्यों आती है नींद
Health
सफर से पहले अक्सर लोग
तैयारियों में जुटे होते हैं और
ठीक से सो नहीं पाते।
गाड़ी में बैठने के बाद दिमाग रिलैक्स
हो जाता है और नींद आने लगती है।
लंच के बाद शुगर लेवल एकदम से
बढ़ता है, फिर तेजी से कम हो जाता
है। जिससे थकान महसूस होती है।
रात 2 से सुबह 5 बजे तक गहरी नींद का
समय होता है। इस समय ड्राइवर की
अलर्टनेस कम हो जाती है।
चलती गाड़ी में हिलने से नींद आने
लगती है। इसे रॉकिंग सेंसेशन कहते हैं।
बैठे-बैठे सोने की आदत, डिप्रेशन,
हाइपरटेंशन होने पर रिलैक्स
होते ही नींद आने लगती है।
नींद पूरी न होने पर थकान
महसूस होगी और गाड़ी चलाते
समय नींद आने लगती है।
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