मारपीट से
महिलाओं को कैंसर का
खतरा 11 गुना ज्यादा

सेक्शुअल और फिजिकल वॉयलेंस
झेलने वाली महिला को सर्वाइकल कैंसर
होने का खतरा 11 गुना ज्यादा होता है।

घरेलू हिंसा में कई बार एब्यूजिव पार्टनर
अननेचुरल सेक्स का दबाव बनाते हैं। जिससे
प्राइवेट पार्ट्स चोटिल हो जाते हैं,
ब्लीडिंग होने लगती है।

महिलाएं हिंसक पति की बेवफाई का
विरोध नहीं कर पातीं और न कंडोम यूज करने
के लिए उसे मना पाती हैं। इससे उन्हें HIV/AIDS
का खतरा दोगुना हो जाता है।

घरेलू हिंसा में होने वाले स्ट्रेस से
महिलाओं को ‘डिसमेनोरिया’ का खतरा
दोगुना हो जाता है, जिससे उन्हें पीरियड्स
में असहनीय दर्द होता है।

प्रेग्नेंसी में अच्छा खाना न मिलने,
मारपीट से गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन जन्म
के समय कम रहता है। कई बार गर्भ में
बच्चे की मृत्यु हो जाती है।

मारपीट के कारण पार्टनर से इमोशनल
बॉन्डिंग और फिजिकल रिलेशन की चाहत खत्म
हो जाती है। पार्टनर की जबरदस्ती पर महिलाएं
डर, दुख, गुस्से और दर्द से जूझती हैं।

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