महुआ का जिक्र वेदों में भी है। संस्कृत में
इसे मधुका, कश्मीरी में महवा मोवा,
कोंकणी में मोहवा कहते हैं।
16वीं सदी में मुगल सम्राट बाबर ने भी
अपने संस्मरण में महुआ का जिक्र किया है।
आयुर्वेद में इसके कई फायदे बताए गए हैं।
महुआ में प्रोटीन, आयरन, फैट, फास्फोरस,
कैल्शियम, विटामिन-सी जैसे पोषक तत्व होते हैं।
महुआ से पुआ, लड्डू, गुलगुले, खीर, बर्फी,
जैम, जेली, चाय और शराब बनती है।
महुआ खाने से स्पर्म काउंट बढ़ता है।
यह हाइपरटेंशन, गठिया, सिरदर्द, गैस,
एसिडिटी, सूखी खांसी में फायदेमंद है।
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