अबॉर्शन पिल्स प्रेग्नेंसी के 7 से 9 हफ्ते तक दी जाती है। इसके बाद इन्हें खाने से महिला को हैवी ब्लीडिंग हो सकती है।
डॉक्टर अबॉर्शन पिल्स देने से पहले कुछ टेस्ट और अल्ट्रासाउंड कराते हैं जिससे पता चल जाए कि महिला गोली खाने के लिए फिट है या नहीं। गोली खाने के बाद फिर अल्ट्रासाउंड होता है।
अगर प्रेग्नेंसी यूट्रस के बाहर हो तो अबॉर्शन पिल्स काम नहीं करतीं। फेलोपियनन ट्यूब में प्रेग्नेंसी हो तो वह पेट में फट जाती है। इंटरनल ब्लीडिंग होने से जान तक जा सकती है।
अगर किसी महिला को खून की कमी, रसौली, सिस्ट या लिवर की प्रॉब्लम हो तो उन्हें अबॉर्शन पिल्स नहीं दी जातीं।
बिना डॉक्टर की सलाह से गोली खाने से अगर भ्रूण का एक अंश भी शरीर में रह जाए तो इंफेक्शन फैल सकता है। बच्चेदानी में पस भी पड़ सकती है।
गर्भपात के लिए बार-बार अबॉर्शन पिल्स के इस्तेमाल से इनफर्टिलिटी की समस्या होने का खतरा है।
अबॉर्शन पिल्स के साइड इफेक्ट्स भी हैं। इन्हें खाने के बाद पेट में दर्द, हैवी ब्लीडिंग, उल्टी, बेहोशी, डायरिया और हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है।
भारत में हर रोज 8 महिलाएं अनसेफ अबॉर्शन की वजह से जान गंवाती हैं।