तलाक के केस में
कोर्ट कब नहीं
कराती सुलह

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हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत
तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में याचिका
दायर करनी पड़ती है।

फैमिली कोर्ट पति-पत्नी में सुलह कराने
की कोशिश करती है। सुलह के लिए उन्हें 6 से
18 महीने का वक्त देती है।

कुछ परिस्थितियां ऐसी भी हैं, जब कोर्ट कपल
के बीच सुलह कराने की कोशिश नहीं करती।

अगर पति और पत्नी दोनों ही
एक-दूसरे के साथ रहने से मना कर दें,
तो उन्हें तलाक मिल जाता है।

पति या पत्नी दोनों में से कोई एक
साथ रहने से मना कर दे, तब भी कोर्ट
तलाक को मंजूरी दे देती है।

ये साबित हो जाए कि पत्नी ने
झूठे आधार पर पति, उसके परिवार को
जेल भेजने की कोशिश की है।

मानसिक प्रताड़ना की वजह से दोनों में
से कोई एक दूसरे के साथ नहीं रहना चाहे,
तब भी कोर्ट सुलह नहीं कराती।

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