यहां की होली
नहीं देखी
तो क्या देखा
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काशी में मणिकर्णिका घाट पर श्मशान
की राख से होली खेली जाती है। मान्यता
है कि शिव जी ने यहां अपने गणों के साथ
चिता की राख से होली खेली थी।
बरसाना में कई दिनों तक लट्ठमार
होली खेली जाती है। गांवों की महिलाएं
पुरुषों को लट्ठ मारती हैं और पुरुष ढाल से
बचने की कोशिश करते हैं।
मथुरा के मंदिरों में फूलों की होली
होती है। मान्यता है कि मथुरा-वृंदावन
में श्रीकृष्ण ने राधा और गोपियों के
साथ होली खेली थी।
मथुरा से करीब 50 किमी दूर फालैन गांव,
इसे प्रह्लाद का गांव भी कहते हैं। यहां की होली
की खास बात ये है कि यहां जलती हुई होली
के बीच में से एक पंडा चलकर गुजरता है।
कर्नाटक के हम्पी की होली भी
दुनियाभर में फेमस है। ये जगह यूनेस्को वर्ल्ड
हेरिटेज में शामिल है। इस जगह का संबंध
त्रेतायुग की वानर सेना से है।
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