AI रिसर्च में महिलाएं
न बढ़ीं तो मशीन भी
करेगी भेदभाव
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दैनिक भास्कर ने ChatGPT से जानने की
कोशिश की कि AI की फील्ड में महिला अधिकारों
के बारे में वह खुद क्या सोचता है।
ChatGPT के चौंकाने वाले
जवाब वॉर्निंग हैं कि महिला अधिकारों
को क्यों गंभीरता से लेना चाहिए।
दुनियाभर में AI पर काम कर रहे लोगों
में सिर्फ 22% महिलाएं हैं। फेसबुक, गूगल
जैसी कंपनियों में ये हिस्सेदारी और कम है।
ChatGPT की वॉर्निंग है कि महिलाएं न
बढ़ीं तो AI भी शायद महिलाओं से वैसा ही बर्ताव
करे जैसे कोई रूढ़िवादी पुरुष करता है।
AI का इस्तेमाल जिस तेजी से बढ़ रहा है,
उससे संभव है कि भविष्य में रिक्रूटमेंट से लेकर
इलाज तक हर जगह AI महिलाओं से भेदभाव करे।
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