विजय माल्या के
किंगफिशर की कहानी

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फ्लाई द गुड टाइम्स' और 'द टेस्ट ऑफ
रियल इंडिया'। ये दो टैगलाइन किंगफिशर
कंपनी के हैं। लेकिन प्रोडक्ट अलग है।
एक प्रोडक्ट एयरलाइन और दूसरा बेवरेज।

एयरलाइन, जो 20 अक्टूबर 2020 को
बंद हो गई थी। बियर, जो अब भी भारतीय
बाजार में 34% से ज्यादा की हिस्सेदारी
के साथ टॉप पर है।

'द मैन ऑफ गुड टाइम्स' कहे जाने
वाला विजय माल्या के बुरे दिनों की वजह
बनी किंगफिशर एयरलाइन्स।

किंगफिशर बियर यूनाइटेड बुअरीज ग्रुप का
हिस्सा है। 1915 में दक्षिण भारत में 5 डिस्टिलरीज
यानी शराब की भट्ठियों को मिलाकर इस ग्रुप
को स्कॉट्मैन थॉमस लीशमैन नाम के एक
व्यक्ति ने बनाया था। 

इन 5 डिस्टिलरीज में कासल शराब भट्ठी
1857 में बनी सबसे पुरानी थी। यूनाइटेड,
नीलगिरी, बेंगलोर ब्रुइंग को और ब्रिटिश ब्रुइंग
नाम की शराब भट्ठियां शामिल थीं।

कुछ ही सालों में यह काम चल पड़ा।
बैलगाड़ियों पर बड़े-बड़े गैलेन लादकर लोगों के
घरों तक बियर पहुंचाई जाने लगी। तब इसके
ज्यादातर ग्राहक भारत में रहने वाले अंग्रेज थे।

विजय माल्या के पिता विट्टल माल्या ने 1946
में यूनाइटेड बुअरीज ग्रुप के कुछ शेयर खरीदे
और 1947 में पूरी कंपनी खरीद ली। 

1970 के दशक में विट्टल माल्या ने कारोबार
को दूसरी इंडस्ट्री में बढ़ाया। पॉलिमर, बैटरी, फूड
और बेवरेज में कारोबार फैलाया। इस साल कंपनी
की नेट वर्थ 300 करोड़ रुपए थी। 

कहा जाता है कि बियर के प्रचार के लिए ही
किंगफिशर एयरलाइन शुरू कर दिया गया। ग्लैमर
के लिए किंगफिशर कैलेंडर लॉन्च किया गया,
जिसमें देश की बड़ी सुपर मॉडल्स ने हिस्सा लिया।

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