साइबर ठगी के लिए
VPN को बना रहे टूल 

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वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क यानी VPN यूजर
की ऑनलाइन पहचान छिपा देता है। यह यूजर
को एक टेंपरेरी IP ऐड्रेस देता है जिससे यूजर
का लोकेशन ट्रैक नहीं हो पाता। 

VPN आपके डिवाइस और इंटरनेट
के बीच एक सुरक्षित और एनक्रिप्टेड कनेक्शन
बना देता है। यह आपके डेटा और कम्युनिकेशन
को सुरक्षित रखता है।

हालांकि VPN रहते हुए भी साइबर
फ्रॉड की घटनाएं हो रही हैं। VPN कनेक्ट
होते ही पूरे डिवाइस की कमान सामने वाले
व्यक्ति के हाथ में होती है।

VPN Connect होने का मतलब है
कि आपके स्मार्टफोन में दिखने वाली
किसी भी डिटेल को कोई भी यूजर
आसानी से हासिल कर लेगा।

इसके लिए उसे कुछ अलग से
करने की भी जरूरत नहीं होगी। आपको
हमेशा VPN Connect करने से पहले
इसका ध्यान रखना चाहिए।

कई बार बिना OTP हासिल किए
बैंक अकाउंट से पैसे निकाल लेने की
खबरें आती हैं। इन घटनाओं में VPN
कनेक्शन का ही खेल होता है।

जब भी VPN Connect हो जाता है तो कोई
भी आपके स्मार्टफोन को हैंडल कर सकता है।
यहां तक कि कोई बिना इजाजत लिए स्मार्टफोन
के मैसेज तक भी पढ़ सकता है। 

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