12 जनवरी 1863 को आज ही के दिन स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ। विवेकानंद का जन्म दिन युवा दिवस की तरह मनाया जाता है।
स्वामी विवेकानंद की बुद्धिमानी के चर्चे देश-विदेश में थे। अपनी हाजिर जवाबी से उन्होंने कई बार लोगों की बोलती बंद की।
अलवर के महाराजा ने एक बार विवेकानंद से पूछा' आप महान विद्वान हैं। आसानी से जीवन जी सकते हैं तो भिखारी की तरह क्यों रहते हैं।
विवेकानंद ने जवाब दिया- महाराज आप दिन भर विदेशियों के साथ रहते हैं। राज कार्यों को छोड़ घूमने चले जाते हैं। ऐसा क्यों?
राजा मंगल सिंह ने विवेकानंद से कहा- आप जिन मूर्तियों की पूजा करते हैं, वो मिट्टी, पत्थर या धातुओं के टुकड़ों के अलावा और कुछ नहीं हैं। मुझे यह मूर्ति-पूजा अर्थहीन लगती है।
स्वामी जी ने समझाया- हिंदू केवल भगवान की पूजा करते हैं, मूर्ति को वो प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
विवेकानंद ने कहा- राजा क्या आप अपने पिता की तस्वीर पर थूक सकते हैं। राजा गुस्सा हो गया।
स्वामी ने समझाते हुए कहा- राजा ये आपके पिता नहीं सिर्फ तस्वीर है। लेकिन आपके लिए यह प्रतीक भावनाओं से जुड़ा है इसलिए आपको बुरा लगा।