वसीयत का कोई तय फार्मेट नहीं है।
यह वकील की मदद से या उसके
बगैर भी लिखी जा सकती है।
वसीयत बनाने वाले की इच्छा न हो या
उससे किसी ने जबरन वसीयत बनवाई, तो
इसे अदलात में चुनौती दी जा सकती है।
वसीयतकर्ता वसीयत बनाने की योग्यता पूरी न
करता हो, जैसे- उसकी उम्र कम हो या मानसिक
तौर पर कमजोर हो, तो उसे चुनौती दी जा सकती है।
वसीयतनामे पर सिग्नेचर करते समय
वसीयतकर्ता को पता न हो कि वो कहां
साइन कर रहा है या अंगूठा लगा रहा है, तो
धोखाधड़ी का केस किया जा सकता है।
कोर्ट में साबित करना होगा कि वसीयत
धोखे, जालसाजी या किसी से प्रभावित
होकर तैयार की गई है।
परिवार का कोई सदस्य कोर्ट में चुनौती
देकर ये दावा कर सकता है कि वसीयत
में उसे उसका हक नहीं मिला है।
फर्जी वसीयत बनवाने पर 10 साल तक की
सजा और जुर्माने का प्रावधान है। जुर्माने की
रकम अलग-अलग कोर्ट में केस के आधार पर
तय की जाती है।
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